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चीन की फजीहत: कश्मीर मामले में दखल देने से पहले हांगकांग सम्भालो…

यूएनएससी में चीन गया था एशिया का चौधरी बनने, सदस्य देशों ने दी बड़ी नसीहत

पाकिस्तान सरकार आज बेबस है, लाचार है, हैरान है और परेशान है कि आज भारत आज उसे किस मोड़ पर खड़ा कर दिया है। बात-बात पर परमाणु बम पटकने की धमकी देने वाला आज पाकिस्तान दुनिया के सामने गिड़गिड़ा रहा है। लेकिन किसी की पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति तक नही है, सिवाय चीन के। पाकिस्तान ने चीन को लॉलीपॉप देकर, अंदरखाते में कुछ सेटिंग कर यूएन में कश्मीर के मामले को उठाने के लिए मदद मांगी।

चीन ने पाकिस्तान की बातों में आकर भारत को नीचा दिखाने के लिए यूनाइटेड नेशन के सदस्यों की बंद कमरे में मीटिंग करवाने का फैसला कर अपनी ही बदनामी करा ली। जब यूएन के पांच स्थायी सदस्यों ( चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका) में चीन को छोड़कर पाकिस्तान के पक्ष में कोई नहीं आया। जबकि 10 अस्थायी सदस्य देशों में शामिल पोलैंड ने तो चीन को उसकी औकात बता दी। पौलैंड ने चीन को दो टूक कहा कि कश्मीर मामले में टांग अड़ाने से पहले अपना घर संभालो। हॉंगकांग, तिब्बत, आदि औपनिवेश देशों में चीन सरकार द्वारा मानवाधिकार का हनन किया जा रहा है। चीन की तानाशाही के खिलाफ हांगकांग में लोग सड़कों पर उतर चुके हैं। चीन सरकार उन देशों में सैन्य बल का इस्तेमाल कर मानवाधिकार को कुचल रही है। पोलैंड द्वारा हांगकांग और तिब्बत पर आइना दिखाने के बाद चीन की बोलती बंद हो गई।

बहारहरल, यूएनएससी में चीन को छोड़कर सभी स्थायी और अस्थायी सदस्यों में किसी ने भी पाकिस्तान का साथ नहीं दिया। यूएन में पाकिस्तान के साथ-साथ चीन की भी काफी किरकिरी हुर्ह है। एक महाशक्ति देश को यह उम्मीद नहीं थी कि पाकिस्तान के कारण उसकी (चीन) भी फजीहत हो जायेगी। यूएनएससी के सभी सदस्य देशों ने कश्मीर मामले को भारत का आंतरिक मामला करार दिया है।

जबकि पाकिस्तान की शह पर चीन इसे अंतर्राष्ट्रीय मसला बनाने की रणनीति तैयार कर चुका था। लेकिन ऐसा हो न सका और सदस्य देशों ने ड्रेगन को अच्छी खासी नसीहत भी दे दी। सदस्य देशों विशेषकर, पोलैंड, रूस और फ्रांस ने तो यहां तक कह दिया कि चीन एशिया में अपना प्रभूत्व कायम करना चाहता है। किसी न किसी बहाने पड़ोसी देशों पर अपनी नीतियों और दलीलों को थोपना चाहता है।

पूरी दुनिया में अपनी बादशाहत दिखाने वाला अमेरिका ने पाकिस्तान को स्पष्ट तौर पर कह दिया कि यह भारत का आंतरिक मामला है और वह अपने संविधानिक और शासनिक क्षेत्र में कुछ भी करने को स्वतंत्र है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के मुताबिक, अगर पाकिस्तान को बहुत आपत्ति है तो दोनों देश बैठकर टेबल पर वार्ता कर लें। इशारे-इशारे में अमेरिका ने चीन को भी घुड़की दे दी कि इस मसले पर किसी अन्य देश को हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं बनता है।

जबकि, विकट परिस्थितियों में रूस हमेशा भारत का साथ देता रहा है और इस बार यूएनएससी में भी रूस में भारत के साथ सच्ची मित्रता का परिचय देते हुए चीन की बातों को तरजीह नहीं दी। देश दुनिया के लोग कमेंट कर रहे हैं कि यूएन में पाकिस्तान की 14-1 से हार हुई है। मतलब यूएनएससी के 15 सदस्यों में मात्र चीन पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा दिखा। यह चीन के लिए भी सबक है कि बिना समझे किसी मामले मे टांग अड़ाने का हश्र क्या होता है। लेकिन भारत को नीचा दिखाने लिए चीन पाकिस्तान के साथ हर कदमताल पर चलने को तैयार है।

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