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ऐतिहासिक, धार्मिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण मगध के कई क्षेत्र सरकारी उपेक्षा के शिकार

विश्व पटल पर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मगध की धरती जहां एक और ऐतिहासिक, पुरातात्विक, धार्मिक तथा पर्यटन की दृष्टि में महत्वपूर्ण एवं प्रसिद्ध रही है, वहीं नवपाषाण काल, बौद्ध काल और आधुनिक काल के महत्वपूर्ण स्थलों को आत्मसात किए हुए डुमरिया अंचल क्षेत्र का प्रसिद्ध बुध पहाड़ी और पचमठ गांव( जहां पंच वर्गीय भिक्षु ऋषिपत्तन जाने के क्रम में रुके थे और जहां बुद्ध ज्ञान की प्राप्ति के बाद उनसे मिले थे एवं उन्हें प्रथम उपदेश दिया था) वह उपेक्षित है।

इसके अलावा इमामगंज का शकरपुर पहाडी़ (जहां आदम काल के रंगीन चित्र शैल आश्रय मे अंकित है) वहीं, बांके बाजार के बलथरवा के पास करीब तीन कि.मी. में सुरक्षा दीवार से घिरे थाड़ी पर्वत की एक गुफा में बौद्ध स्तूप के लिपी युक्त हेमाटाइट पेंटिंग्स का पाया जाना, बांके धाम स्थित सूर्य मंदिर, शिव मंदिर एवं बुद्ध मूर्तियां के अलावे गुरुआ का मरहट, चिल्लौर, बैजू धाम, मंडा पहाड़ी, गुनेरी, नगवां गढ़, मुरहा, दुब्बा आदि पर्यटन विभाग एवं कला संस्कृति विभाग भारत सरकार तथा राज्य सरकार की आंखों से आज तक ओझल है।

जबकि इतिहासकार एवं पुराविद् डॉक्टर शत्रुघ्न दांगी ने पत्रांक 213 दिनांक 23 फरवरी 2006 को भारत सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय तथा बिहार राज्य के राज्यपाल महामहिम आर. एस. गवई के उप सचिव द्वारा पत्रांक वि.07/08-508 पीपी/रा.स.(3) दिनांक 16 मई 2008 को डॉक्टर दांगी द्वारा भेजे गए मगध क्षेत्र के धरोहरों को विकसित करने को लेकर पर्यटन विभाग को पत्र भेजा था। किन्तु दोनों ही सरकारें आज तक इन ऐतिहासिक एवं धार्मिक तथा पुरातात्विक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण स्थलों और गरीबी में जी रहे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास की किरणें पहुंचाने का कार्य नहीं किया है।

इस बीच डा.दाँगी के खोजपूर्ण स्थलों की सूची ज्योहीं दिल्ली में रह रहे विद्वान चिंतक जे.के.भेलौरिया को टिकारी राज घराने के रजनीश बाजपेयी के माध्यम से मिली तो उन्होंने तुरत ही भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, मुख्य अभियंता दक्षिण का कार्यालय, पत्थ निर्माण विभाग बिहार, पटना तथा भारत सरकार एवं बिहार के कला संस्कृति विभाग बिहार और बिहार सरकार खान एवं भूतत्व विभाग से संपर्क साधा और इन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास को लेकर चौतरफा विकास की किरणें फैलाने का कार्य आरंभ कर दिया है, जो कुछ ही दिनों में भूपटल पर देखने को मिलेगा।
बडे़ गौरव की बात यह है कि झारखंड से सटे इस बड़े भूभाग में “इंडियन मिनिरल बुक -2019 के पार्ट 2 पृष्ठ आठ के मुताबिक बिहार में बडी़ मात्रा में जिप्सम और क्रोमियम जैसे खनिज पदार्थ के अलावा अकूत भंडार स्वर्ण का पता लगा है जो गया जिला के झारखंड से सटे क्षेत्रों में फैला है।

एक आंकड़े के अनुसार बिहार में जहां सोना 44 प्रतिशत मौजूद होने की बात उल्लेखित है, वहीं दूसरे स्थान पर राजस्थान 25 प्रतिशत, तीसरे स्थान पर कर्नाटक 21 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल 3% ,आंध्र प्रदेश 3% ,झारखंड 2% और शेष 2% में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के क्षेत्र आते हैं ।

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में केंद्र सरकार द्वारा 205 किलोमीटर सड़क बनाने की स्वीकृति मिली है, वहीं कार्यपालक अभियंता निर्माण विभाग पथ प्रमंडल, शेरघाटी द्वारा संयुक्त सचिव (प्र.को)सह मॉडल पदाधिकारी आरसीपीएलडब्ल्यूई ए पथ निर्माण विभाग बिहार पटना को उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के सड़क सम्पर्क परियोजना के तहत अतिरिक्त सड़क /पुलों की आवश्यकता को ध्यान में रखकर पूर्व में ग्रामीण सड़क जो मात्र 3. 75 मीटर थे, उसकी चौड़ाई अब 5.50 मी.किए जाने की स्वीकृति दी गयी है। इनमें 27 पथों की अनुशंसा की गई है , वहीं दिनांक 21.9 .2021 को पत्रांक 684 (अनु.) के द्वारा उल्लेखित रोड में 1. बांके बाजार- लूटुआ पथ के तीसरे किलोमीटर डूंगला बाजार से तथा दो रूट सोनदाहा होते हुए आमस (जी.टी रोड ) 2. डूंगलाबाजार,कमालपुर,धनेता, सोनदाहा, चपरवार, डूमरी, वगात, बार, मंझियामां, सखूआही होते हुए आमस( जी.टी रोड )। इसमें सखुआही से आमस तक जंगल और घाटी के क्षेत्र हैं। यह करीब 18 किलोमीटर लंबा है । 3. डूंगला बाजार ,कमालपुर,धनेता,सोनदाहा,पिपरा टांड़,बरसाती, बघमरवा घाटी,बहेराझरी होते हुए आमस (जी.टी रोड ) तक । इसमें बघमरवा घाटी जंगल तथा घाटी के क्षेत्र हैं । यह 6 किलोमीटर लंबा है। 4 . डूंगला बाजार से सोनदाहा कुल लंबाई 5 किलोमीटर है ।

इस प्रकार कुल 24 किलोमीटर है। उमगा (औरंगाबाद जिला ) मदनपुर से 4 किलोमीटर है । इन पथों के विकास हेतु अभियंता प्रमुख (कार्य प्रबंधन) पथ निर्माण विभाग पटना को सीमा सिन्हा विभागीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी पथ निर्माण विभाग ने पत्र भेजा है।

इन क्षेत्रों को रेल लाइन से जुड़ने के लिए भी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सह बिहार विधान सभा सदस्य जीतन राम मांझी ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मिलकर दो रेलपरियोजनाओं- एक गया से बोधगया, शेरघाटी, बांके बाजार, इमामगंज, डुमरिया होते हुए डाल्टनगंज तक तथा दूसरा इस्लामपुर से खिजरसराय होते हुए मानपुर – गया तक रेल परियोजना को आरंभ करने की मांग-पत्र उन्हें सौंपा है, जिसकी स्वीकृति शीघ्र मिलने की संभावना है।

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