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गांव-गांव धर्मांतरण : बिहार के छोटे-छोटे गांवों पर मिशनरी की नजर

न्यूज रिव्यू नेटवर्क और विवेकानंद योग प्रतिष्ठान के संयुक्त सहयोग से पिछले दिनों बिहार के कई गांवों में जाकर यह जानने का प्रयास किया गया कि भारतीय सभ्यता-संस्कृति और सनातन धर्म की जड़ें गांवों में कितनी मजबूत है। संस्कृति बाहुल्य गांवों में धर्मांतरण की आंच पहुंची है या नहीं ?

लेकिन, गांवों में धर्मांतरण की जमीनी हकीकत बहुत ही डरावनी है।

आज की नयी पीढ़ी भारतीय संस्कृति और सनातन से जुड़ी परम्पराओं, विचारधाराओं और यहां तक कि धार्मिक आस्था से भी दूर होती जा रही है और इसी का फायदा गांव-गांव में जाकर मिशनरियां उठा रही है।

जिस तरह झारखण्ड के गांवों में बड़े स्तर पर आदिवासी जनजाति को इसाई धर्मं में धर्मांतरित किया गया, ठीक उसी तरह बिहार के कई जिलों में शहर से दूर, बाजार से दूर स्थित ग्रामीण बस्तियों पर इसाई मिशनरियों की नजर है।

ये मिशनरियां ऐेसे- ऐसे गांवों में इसाइयत फैला रही है जिसकी पहचान हिन्दू धर्म औंर संस्कृति से है। उन गांवों में हिन्दू धर्म के प्रतीकों, शिलालेखों, मठों, मंदिरों, नदी, तालाब, पोखर में आपको सनातन की प्रतिछाया दिखेगी।

जहानाबाद जिले के अंतर्गत वहां से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर आदर्श ग्राम धराउत है, जिसे मौर्यकाल में धरावत कहा जाता था। यह ग्राम मखदुमपुर प्रखंड में आता है। धराउत में हिन्दू और बौद्ध धर्म से जुड़े कई प्रतीक चिन्ह मिल जायेंगे।

भगवान नरसिंह का प्रसिद्ध मंदिर धराउत में ही है और वहीं पर करीब 2000 फीट लंम्बा और 800 फीट चौड़ा चंदोखर जलाशय है, जिसका निर्माण मौर्यवंश के राजा चंद्रसेन ने करवाया था। यह गांव मौर्यकालीन है। वहां आज भी मौर्यकालीन प्रतिलिपियां, शिलालेख एवं अन्य प्रतीक मिल जायेंगे। भारतीय इतिहास में यह गांव अनमोल महत्व रखता हैं। इसकी ऐतिहासिक विशिष्टताआंें को कम शब्दों में समेटना आसान नहीं है।

धराउत ग्राम वाणावर पहाड़ की तलहटी में स्थित है। बाणावर पहाड़ सात गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है। बिहार सरकार ने बाणावर को बिहार का मुख्य पर्यटन केन्द्रों में शामिल किया है।

वाणावर पहाड़ की चोटी पर बाणासुर ने शिवलिंग की स्थापना की थी। बाणासुर एक राक्षस था और और भगवान शिव का अनन्य भक्त। कई धार्मिक ग्रंथों में बाणासुर का वर्णन हैं। सावन के महीनें में बड़ी संख्या में श्रद्धालू बाबा सिद्धेश्वर नाथ का दर्शन करनें और उनपर जलाभिषेक करने आते हैं। यहां आस-पास कई किलोमीटर तक धार्मिक-सांस्कृतिक पहचान की अदभूत मिसालें देखने को मिलेंगी।

अब आते हैं मुख्य बिन्दू पर।

ग्राम धराउत में करीब 10000 की जनसंख्या हैं जिनमें 3000 से ज्यादा जनसंख्या सिर्फ दलितों की है, जो मेहनत-मजदूरी करके अपनी आजीविका चलाते हैं। यहां के ज्यादातर पुरूष सुबह-सुबह काम की तलाश में नजदीकी शहर चले जाते हैं या फिर आस-पास के ईट भट्ठे में काम करते हैं। कई घरों की महिलाएं भी आजीविका के लिए कोई न कोई काम करती हैं। कुल मिलाकर कहें तो उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं हैं। इसी का फायदा वहां इसाई मिशनरी उठा रही हैं। इस गांव में बहुत तेजी से इसाइयत फैल रही है।

शहर में मजदूरी करके घर चलाने वाले सुरेश मांझी ( बदला हुआ नाम ) कहते हैं कि उनके घर से चार लोग इसाई बन चुके हैं। पिछले दिनों उनका भतीजा दिल्ली से घुमकर आया है। मिशनरी वाले ही ले गये थे। उसने इसी साल हिन्दू धर्म छोड़कर इसाई धर्म अपनाया है।

सूत्र बताते हैं इस गांव में बाहर से टीम आती हैं। पिछले दिनो धराउत में दिल्ली से मिशनरी के कई बड़े लोग आये हुए थे। मिशनरी में शामिल लोग उस गांव के लोगों को प्रे कराते हैं और उन्हें इसाई में धर्मांतरण के लिए प्रेरित करते हैं। वह उन लोगों की निजी, साामजिक आर्थिक समस्याओं के लिए हिन्दू धर्म को जिम्मेदार ठहराते हैं। भूत-प्रेत और मानसिक बीमारियों के लिए मिशनरी वाले कहते हैं, हिन्दू धर्म छोड़ देने पर तुम्हारी सारी समस्याएं दूर हो जायेगी।

मिशनरी में शामिल एक सफेद कपड़े पहने टोना-टोटका और भूत प्रेत भगाने का भी काम करते हैं। वह कहते हैं कि हिन्दू पितरो को पूजते है, मरे हुए लोगों को पूजते हैं इसीलिए भूत प्रेत उन्हेे ज्यादा परेशान करते हैं।

किसी महिला, बच्ची, लड़की पर से भूत-प्रेतोें के साया को भगाते देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग वहां पर मौजूद रहते हैं। । यह सब वहां खुले तौर पर हो रहा है। हैरानी इस बात की है कि उस जगह पर एक भी चर्च नहीं है।

धराउत ग्राम से सटे करीब 15-20 गांवों में दलितों की बड़ी आबादी है और उन सभी गांवों पर इसाई मिशनरियों की नजर हैं। गांव-गांव इनके एजेंट घूम रहे हैं। ट्रेंड महिलाएं गांव-गांव घूमकर पर्चा बांट रही हैं। गरीब लोगों के बीच इसाई धर्म का गुणगान कर रही हैं। वह इसाई धर्म अपनाने के फायदे गिना रही है और हिन्दू धर्म के प्रति लोगों के मन में तरह-तरह की भ्रांति फैला रही हैं।

इसपर धर्मगुरू आचार्य डॉ. विक्रमादित्य का कहना है कि धर्मांतरण कराने वाले लोगों की जांच की जाये तो ये सभी अंतर्राष्ट्रीय रैकेट में शामिल पाये जायेंगे। धर्मांतरण को लेकर भारत में कई अंतर्राष्ट्रीय सस्थायें सक्रिय स्तर पर कार्य कर रही है। गरीबों, दलितों, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर कमजोर लोगों को लोभ लालच देकर धर्मांतरित कराने वालों के खिलाफ जबतक सख्ती नहीं बरती जायेगी, तबतक मुझे नहीं लगता है कि इस देश में धर्मांतरण पर रोक लग सकती है।

भारत में योजनाबद्ध तरीके से धर्मांतरण कराया जा रहा है। यह भारत को कमजोर करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय साजिश का हिस्सा है।  इसे रोकने के लिए एक केन्द्रीय कानून बनाने की जरूरत है।

आचार्य डॉ. विक्रमादित्य के मतानुसार, धर्मांतरण को रोकने के लिए जिला स्तर पर ऐसी प्रशासनिक इकाई बनाने की जरूरत हैं जिससे पता चल सके कि किस महीने, किस तारीख को किस प्रखंड से किसका धर्मांतरण हुआ है।

लेकिन, वोटो की खातिर अपनी प्रतिबद्धता और सिद्धांतों से समझौता करने वाले कथित सेक्युलरवादी दलों और सरकारों से यह उम्मीद करना बेमानी है।

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