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संयोग या प्रयेागः दिल्ली दंगों की तर्ज पर नूंह में किये गये साम्प्रदायिक दंगे!

 * पुलिस ने एफआईआर में लिखा है कि नूंह का हिंसा आकस्मिक नहीं है। इसकी तैयारी पहले से ही की जा रही थी। दंगाई सिर्फ नूंह के ही नहीं थीे बल्कि आस-पास के कई गांवों से पहुंचे थे। पथराव और आगजनी के सामान पहले से ही जमा किये गये थे।

* इस भीषण कत्लेआम की साजिश को भी कई सेक्युलर नेता मोनू मानेसर के बयानों पर ठीकरा फोड़कर जांच की दिशा भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।

 * सावन के महीने में 84 कोसी ब्रजमंडल यात्रा निकाली जाती है, जो नूंह से होकर गुजरती है।

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हरियाणा के नूंह जिले में हुए साम्प्रदायिक दंगों की साजिश की परतें धीरे-धीरे खुलने लगी है। हरियाणा सरकार को भी मानना पड़ा कि इस दंगे के पीछे कोई न कोई मास्टरमांइड है जो इसे ऑपरेट कर था। एजेंसियां इसकी जांच में जुटी है कि कहीं इस साजिश के तार सीमा पार से तो नहीं जुड़े हैं।

इस दंगे के कारण कई क्षेत्रीय नेता जांच की रडार पर हैं। कांग्रेस विधायक मामन खान, आप नेता जावेद अहमद को हिंसा भड़काने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। सरकार ने मामन खान से सुरक्षा छीन ली है। जबकि इस दंगे में एक बीएचपी नेता की हत्या के आरोप में आम आदमी के नेता जावेद अहमद पर एफआईआर भी हो चुकी है। वहीं गौरक्षक मोनू मानेसर को भी माहौल बिगाड़ने का जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

इन तीन चेहरों पर नूंह साम्पद्रायिक दंगे के आरोप लग रहे हैं।

दंगों के स्वरूप को स्वरूप देखकर सरकारी एजेंसियां भी मानकर चल रही है कि यह सुनियोजित है। प्रशासन का मानना है कि इतने बड़े स्तर पर दंगा अचानक नहीं हो सकता। जिस पहाड़ी से गोलीबारी की जा रही थी वहां से हथियारों के जखीरे निकल रहे हैं। नूंह के कई घरों में ताले लटके हैं। अगर वह जिम्मेदार नहीं हैं तो वह घर छोड़कर क्यों भागे हुए हैं।

हरियाणा पुलिस इस साम्प्रदायिक दंगे को इसे रोक पाने में असमर्थ दिखी। इस दंगे में ढाई सो से ज्यादा गाड़ियां जला दी गई। दंगाइयों ने पुलिस को भी नहीं बख्शा। पुलिसकर्मी खुद अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते दिखे। दर्जनों पुलिसकर्मी इस दंगे में घायल हो चुके हैं। दंगाइयों ने साइबर थाना जला दिया। जिसमें कई महत्वपूर्ण दस्तावेज नष्ट हो गये। इस दंगे में अब तक सात लोगों की मौत हो चुकी है और कई गंभीर रूप से घायल हैं।

इस दंगे की हर स्तर पर जांच की जा रही है। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल बिज ने स्पष्ट कर दिया है कि  दंगाई बख्शे नहीं जायेंगे। पुलिस ने एफआईआर में लिखा है कि नूंह का हिंसा आकस्मिक नहीं है। इसकी तैयारी पहले से ही की जा रही थी। दंगाई सिर्फ नूंह के ही नहीं थीे बल्कि आस-पास के कई गांवों से पहुंचे थे। पथराव और आगजनी के सामान पहले से ही जमा किये गये थे।

नूंह दंगे का पूरा पैटर्न ही दिल्ली में हुए 2020 में हुए दिल्ली दंगे जैसा दिख रहा था। जिसमें एक साथ कई जगहों पर दंगाइयों ने पत्थरबाजी और आगजनी की थी।

इसपर बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने कहा है कि हिन्दुओं के पर्व के दौरान ही हिंसा क्यों होती है। दलीलें यह दी जाती है कि मुसलमानों के इलाके से हिन्दुओं को जुलूस निकालने की क्या जरूरत थी। जबकि मुसलमानों के पर्व में कभी दंगे नहीं होते। कपिल मिश्रा का कहना है कि नूंह दंगा एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। इस दंगा के माध्यम से मुसलमानों को जो संदेश देना था उन्होंने दे दिया। इन दंगाइयों का मनोबल इस देश की कथित सेक्युलर पार्टियों के नेता बढ़ाते रहते हैं।

नूंह के एक मंदिर में सैकड़ों लोंगों ने छिपकर अपनी जान बचाई है। मंदिर के बाहर तीन तरफ से दंगाई गोली चला रहे थे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दंगाई हिन्दुओं को मारने के लिए किस स्तर पर तैयारी की थी। हरियाणा के बड़े पुलिस अधिकारी और जिला जज को जान बचाने के लिए मंदिरो में शरण लेनी पड़ी।

जांच एजेसियां इस स्तर पर भी जांच कर रही है कि नूंह के दंगे को कोई बाहर से मॉनिटर तो नहीं कर रहा था। नूंह दंगे में सोशल मीडियो को टूल की तरह इस्तेमाल किया गया। कई व्हाट्सऐप ग्रुप के माध्यम से भी दंगाई एक दूसरे से जुड़े थे।

इस भीषण कत्लेआम की साजिश को भी कई सेक्युलर नेता मोनू मानेसर के बयानों पर ठीकरा फोड़कर जांच की दिशा भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि, छोटी-मोटी घटना पर भी बयानबाजी करने वाले राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव जैसे नेताओं की नूह साम्प्रदायिक दंगा पर बोलती बंद है। कई नेता बहुत ही नाप तौलकर बोल रहे हैं ताकि उनका मुस्लिम वोटबैंक पर असर ना पड़े।

इस दंगे की आंच हरियाणा के नौ जिलों तक पहुुंच चुकी है। संवेदनशील इलाकों में अर्धसैनिक बल के जवान गश्त कर रहे हैं। दुकानें बंद और लोगों में डर का माहौल है। हालांकि कई जगहों से धारा 144 हटा दी गई है। लेकिन उन इलाको में इंटरनेट अभी भी बंद है।

हरियाणा की सबसे हाइटेक सिटी गुरूग्राम जहां कई मल्टीनेशनल कंपनियां हैं, दंगाइयों की एक बड़ी झुंड यहां भी देखी गई। लेकिन पुलिस की चौकसी से हालात पर काबू पा लिये गये। एक वीडियो बहुत तेजी से वायरल हो रही है जिसमें एक कथित पाकिस्तानी यूटयूबर अहसन मेवाती भड़काउ बयान दे रहा है। वह मुसलमानों को एकजुट होने और हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के लिए उकसाता भी दिख रहा है। हांलांकि वह अलवर राजस्थान की लोकेशन बताकर वीडियो अपलोड किया था। इस हिंसा से उसका क्या संबंध है यह भी पुलिस खंगालने में जुटी है।
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शेष…

 

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