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इलेक्शन रिव्यू: बरकरार है पीएम मोदी का जलवा

पांच राज्यों ( मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम )  के चुनाव परिणामों के बाद  इंडिया गठबंधन में कांग्रेस को लेकर असहजता बढ़ी है।
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पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणामों ने देश को हैरान किया है। क्योंकि इस देश के कई एक्जिट पोल में हिंदी भाषी राज्यों में कांग्रेेस को बढ़त दिखाई जा रही थी। लोकसभा चुनाव के नजरिये से महत्वपूर्ण तीन हिंदी भाषी राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीेजेपी की प्रचंड बहुमत से जीत कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ा झटका है।

मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 163 सीटों पर बीेजपी ने जीत दर्ज की है। जबकि कांग्रेस को 66 सीटें मिली है। वहीं 199 विधानसभा क्षेत्रों वाला राज्य राजस्थान में बीजेपी ने 115 सीटें दर्ज की हैं। जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी 69 सीटें पर ही जीत दर्ज सकी। 2018 के चुनाव में इस राज्य में कांग्रेस ने 108 सीटें दर्ज की थी। वहीं 90 विधानसभा सीटों वाला राज्य छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ कांग्रेस 35 सीटों पर सिमट गई। जबकि बीजेपी के खाते में 54 सीटें आयी है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस राज्य में 71 सीटों पर जीत दर्ज की थी।

119 विधानसभा सीटों वाला राज्य तेलंगाना में केसीआर की सत्तारूढ़ पार्टी बीआरएस 39 सीटों पर सिमट गई। जबकि कांग्रेस को इस राज्य में 64 सीटें मिली है। बीजेपी ने तेलंगाना में 8 सीटों पर जीत दर्ज की है जबकि एआईएमआईएम को 7 सीटों पर जीत मिली है।

तेलंगाना की जीत से कांग्रेस को थोड़ी खुशी भले ही मिली होगी। लेकिन तीन राज्यों में करारी शिकस्त मिलने से कांग्रेस को आने वाले दिनों में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। मिजोरम में सत्तारूढ़ दल एमएनएफ (मिजो नेशनल फ्रंट ) को कम सीटें मिली और विपक्षी दल जेडपीएम (जोरम पीपुल्स मुवमेंट) ने 27 सीटों पर जीत हासिल की है। मिजोरम में 40 विधानसभा सीट है। इस लिहाज से जेडपीएम ने पूर्ण बहुमत हासिल कर ली है। वहां कांग्रेस  एक सीट ही जीत पायी जबकि बीजेपी ने दो सीटों पर जीत दर्ज की है।

साल 2023 का आखिरी महीना कांग्रेस पार्टी के सामने 2024 की चुनौतियों को सामने रख दिया है। क्योंकि देश में लोकसभा चुनाव होने में ज्यादा समय नहीं है। कांग्रेस पार्टी को इन राज्यों के चुनावों से उम्मीद थी कि उनकी सरकार बनने जा रही है। लेकिन जहां उम्मीदें थी वहां नाकामी हाथ लगी है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी। ये दोनों राज्य कांग्रेस के हाथ से निकल गये। मध्य प्रदेश को लेकर कांग्रेस आशान्वित थी कि इस बार राज्य में बीजेपी के विरूद्ध लहर है और इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा। लेकिन मोदी मैजिक ने कांग्रेस के अरमानों पर पानी फेर दिया है।

विशेषकर, छत्तीसगढ़ में भुपेश बघेल की वापसी को लेकर कांग्रेस हाईकमान सबसे अधिक निश्चित थी। भुपेश बघेल की सरकार वापसी की गारंटी मानी जा रही थी। लेकिन राज्य में बढ़ते भ्रष्टाचार और महादेव ऐप में निवर्तमान मुख्यमंत्री भुपेश बघेल का नाम सुर्खियों में आने के बाद उनकी लोकप्रियता में गिरावट आ गई।

राजस्थान के चुनाव परिणाम ने राज्य के निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलौत को भी हैरान किया है। उन्हें भी इसका अंदाजा नहीं था कि कांग्रेस सत्ता से बाहर हो जायेगी। कुछ महीने पहले अशोक गहलौत ने कई कल्याणकारी योजनाएं राज्य में लागू की थी, जिसकी देश भर में चर्चा हुई थी। उन्हीं कल्याणकारी योजनाओं के आधार पर कहा जा रहा था कि राजस्थान में अशोक गहलौत की सरकार सत्ता में वापसी कर सकती है। लेकिन कांग्रेस पार्टी को राजस्थान में करारी हार मिली है।

राजस्थान कांग्रेस की अंदरूणी लड़ाई से पार्टी सत्ता से बाहर हो गई। सचिन पायलट और अशोक गहलौत के बीच अंतर्कलह पार्टी पर भारी पड़ गई। राजस्थान कांग्रेस का मजबूत धड़ा सचिन पायलट के पक्ष में है और यह धड़ा अशोक गहलौत के खिलाफ हमेशा मुखर रहा है। दोनों शीर्ष नेताओं के बीच अंदरूणी रस्साकस्सी से कांग्रेस के वोट बिखर गये।

बीजेपी ने इस बार चुनाव से पहले किसी भी चुनावी राज्य में सीएम उम्मीदवार घोषित नहीं किया। पीएम मोदी के चेहरे पर बीेजेपी ने पांच राज्यो में चुनाव लड़ी है। बीजेपी की शानदार जीत यह बताती है कि पीएम मोदी की नेतृत्व शैली देश की जनता को पसंद है। पांच राज्यों के चुनाव को लोकसभा का सेमीफाइनल माना जा रहा है, जिसमें बीजेपी का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा।

इन राज्यों के चुनाव परिणाम से विपक्ष को सीधा संदेश गया कि लोकप्रियता के स्तर पर पीएम मोदी से बड़ा नेता भारत में फिलहाल नहीं है। पीएम मोदी ने चुनावी हार को जीत में बदल दिया है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जीत पीएम मोदी की जीत है।

दूसरी तरफ, चुनावों में मिली करारी हार के बाद इंडिया गठबंधन में शामिल कई दलों के नेताओं ने कांग्रेस पार्टी नेतृत्व को बड़ी नसीहत दी है। इंडिया गठबंधन ने इस हार के लिए कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है।

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