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क्रिप्टो करेंसी ‘बिटकॉइन’: डिजिटल की दुनिया में बेकाबू वर्चुअल मुद्रा

‘बिटकॉइन’ में गिरावट से निवेशकों की सांसे फूल रही है।

दरअसल, पूरी दुनिया में क्रिप्टो करेंसी (आवारा पूंजी) को खपाने के लिए पिछले दो दशक से विकल्प ढूंढे जा रहे थे। यह वह मुद्रा है जिसकी लेन-देन की कोई सर्टिफाइड सोर्स नहीं हैं। ज्यादातर ब्लैक मार्केट से जुड़े लोग अपनी काली कमाई को इधर से उधर करने के लिए अनेकों गैरकानूनी विकल्प अपनाते हैं। उन सबके लिए बिटकॉइन में निवेश करना बेहतर विकल्प साबित हुआ। भले ही कई देशों की सरकारों ने अपने देश में बिटकॉइन को पूरी तरह बैन कर दिया है। इस वर्चुअल मनी में गिरावट से निवेशकों की सांसे फूल रही है। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल दुनिया में किस कदर हो रही है।

31 मई 2021 को एक बिटकॉइन की कीमत 35,600 डॉलर (भारतीय मुद्रा में 25,82,352.80 रूपये ) रहने के बावजूद निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है।  

पिछले एक महीने से क्रिप्टो करेंसी (बिटकॉइन) में भारी उतार-चढ़ाव देखे जा रहे हैं। विशेषकर जब से टेस्ला कंपनी के मालिक एलन मस्क ने बिटकॉइन के जरिये लेन-देन को इनकार किया है तब से बिटकॉइन में कभी गिरावट आ रही है तो कभी इसकी कीमत कई डॉलर बढ़ जा रही है। इस वर्चुअल करेंसी में निवेश करने वालों को कभी फायदा हो रहा है तो कभी उन्हें लाखों का घाटा सहना पड़ रहा है।

विदित हो कि, क्रिप्टो करेंसी से ट्रांजैक्शन को लेकर कई अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने निवेशकों को पहले ही आगाह किया है कि इस तरह की लेन-देन में किसी तरह की प्रोटेक्शन और क्लैम का दावा नहीं कर सकते। अगर इसमें नुकसान होता है तो इसकी भरपाई नहीं हो सकती। यह वर्चुअल मनी है और इसमें रिस्क ज्यादा है। अभी तक इसका कोई नियामक संस्था नहीं है और इस करंेसी का संचालन यूजर पासवर्ड पर आधारित है। साइबर क्राइम के दौर में अगर इसका प्रोटेक्शन नहीं होगा तो भविष्य में इससे संबंधित कई खतरे सामने आ सकते हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक 14 अप्रैल को बिटकॉइन 66,418.79 अमेरिकी डॉलर (भारतीय मुद्रा में करीब 48.40 लाख रूपये) का स्तर छू लिया। जबकि 21 मई को इसकी वैल्यू गिरकर 35,202 डॉलर (करीब 26 लाख रूपये) पर आ गयी। ऐसा होने से बिटकॉइन में निवेश करने वालों को 47 फीसदी का नुकसान हुआ है। चीन के सरकारी संगठन पेमेंट एंड क्लियरिंग एसोसिएशन ऑफ चाइना की ओर से एक चेतावनी जारी की गई है जिसमें कहा गया है कि दुनिया के ज्यादातर देशों में बिटकॉइन की मंजूरी नहीं है। फिर भी इस करेंसी का संचालन हो रहा है तो विकसित देशों की इकोनॉमी पर किसी न किसी रूप में इसका असर आने वाले दिनों में जरूर दिखेगा। एसोसिएशन ने निवेशकों को क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने से बचने की सलाह दी है।

यह पूरी तरह कम्प्यूटर आधारित ट्रांजैक्शन है। इसका संचालन ओटीपी और पासवर्ड के जरिये होता है। इस क्रिप्टो करेंसी का इतिहास बहुत पुराना नहीं है। इस वर्चुअल मनी को 2008 में वर्चुअल तरीके से अस्तित्व में लाया गया और 2009 में इसे सॉफ्टवेयर के जरिये दुनिया भर में लोगों तक पहुंचाया गया।

दरअसल, पूरी दुनिया में क्रिप्टो करेंसी (आवारा पूंजी) को खपाने के लिए पिछले दो दशक से विकल्प ढूंढे जा रहे थे। यह वह मुद्रा है जिसकी लेन-देन की कोई सर्टिफाइड सोर्स नहीं हैं। ज्यादातर ब्लैक मार्केट से जुड़े लोग अपनी काली कमाई को इधर से उधर करने के लिए अनेकों गैरकानूनी विकल्प अपनाते हैं। उन सबके लिए बिटकॉइन में निवेश करना बेहतर विकल्प साबित हुआ। भले ही कई देशों की सरकारों ने अपने देश में बिटकॉइन को पूरी तरह बैन कर दिया है। इस वर्चुअल मनी में गिरावट से निवेशकों की सांसे फूल रही है। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल दुनिया में किस कदर हो रही है।

12 साल के छोटे से अंतराल में बिटकॉइन ने लम्बी छलांग लगाई है। उन देशों में बिटकॉइन से लेन-देन ज्यादा की जा रही है जिन देशों की अर्थव्यवस्था ही दुनियाभर की ब्लैकमनी और सफेदपोश विदेशी इनवेस्टर्स पर टिकी है।
महज 0.0008 अमेरिकी डॉलर से शुरूआत होने वाली इस क्रिप्टो करेंसी की मार्केट वैल्यू 14 अप्रैल 2021 को 66,418.79 अमेरिकी डॉलर (भारतीय मुद्रा में 48.62 लाख रूपये) पहुंच गई। हालांकि शुरूआत में एक-दो साल तक इसकी रफ्तार काफी धीमी रही। 2011 में अप्रैल महीने में इसकी वैल्यू एक अमेरिकी डॉलर थी और उसी साल जून महीने में ही इसकी वैल्यू 32 अमेरिकी डॉलर पहुंच गई। महज तीन महीने में बिटकॉइन ने 3200 फीसदी ग्रोथ किया। इसके बाद इस वर्चुअल मनी की ग्रोथ रेट बढ़ती ही गई।

एक दशक पहले सभी लोगों के लिए इंटरनेट और स्मार्टफोन की सुलभ उपलब्धता नहीं थी। देश-दुनिया में दस साल पहले इंटरनेट सर्फिंग काफी महंगी थी और स्मार्टफोन की कीमत बहुत ज्यादा होती थी। उस समय शौक पालने वाले अथवा कामकाजी लोग ही स्मार्टफोन रखते थे। इसलिए इस तरह के कारोबार तक हर लोगों की पहुंच नहीं थी। लेकिन आज के दौर में औसतन हर युवा के हाथ मे स्मार्टफोन मिल जायेंगे।

इंटरनेट और तकनीकी की उपलब्धता से वित्तीय ट्रांजैक्शन आसान हुई है, लेकिन इसमें जोखिम भी कम नहीं हैं। आज के दौर में इंटरनेट एवं स्मार्टफोन के माध्यम से ज्यादातर वित्तीय ट्रांजेक्शन और फाइनांसियल डेटा शेयर बिना सिक्युरिटी अथवा साइबर प्रोटेक्शन के हो रहे हैं। ऐसा होने से पर्सनल डेटा हैकिंग और बैंकिंग फ्रॉड से जुड़ी अपराधों में वृद्धि हुई है।
बहरहाल, इंटरनेट की ब्राउंजिंग स्पीड बढ़ने और स्मार्टफोन से डिजिटल की दुनिया में क्रांति आयी और कई तरह की वर्चुअल मनी अस्तित्व में आयी। जिनमें रेड क्वाइन, सिया क्वाइन, वॉइस क्वाइन, डॉग क्वाइन, सिबा इनू, सिस्क्वाइन और मोनरो आदि का चलन दुनिया के कई देशों में है। लेकिन बिटकॉइन उनमें सबसे उपर है और यह वर्चुअल करंसी निवेशकों को आकर्षित करती है।

भारत में बिटकॉइन को मोदी सरकार ने बैन कर दिया और 2019 में इसे लेकर एक आपराधिक बिल तैयार किया था। लेकिन यह बिल संसद में पेश नहीं हो सका। अब खबर है कि भारत सरकार बिटकॉइन को वैधानिक तरीके से मंजूरी देने की तैयारी कर रही है। बिटकॉइन से लेन-देन पर सरकार की नजर रहेगी। भारत में अन्य डिजिटल ट्रांजैक्शन की तरह बिटकॉइन को मंजूरी देने से पहले भारत सरकार इसपर वित्त विशेषज्ञों से राय ले रही है।

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