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जीएसटी में सुधार : डैमेज कंट्रोल में जुटी सरकार

पहले तो नोटबंदी और जीएसटी ने किसानों, बेरोजगारों और कारोबारियों को परेशान किया। लेकिन अब इसके घातक परिणाम से बीजेपी ही आहत हो रही है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और इससे पहले कई राज्यों में हुए चुनावों और उपचुनावों के परिणाम बीजेपी के लिए अच्छे नहीं कहे जा सकते हैंं। अब तो बीजेपी के अंदर से भी आवाज आने लगी है कि नोटबंदी और जीएसटी ने पार्टी और सरकार को मुश्किल में डाल दिया है।

चुनावों में विपक्ष ने तेल और तेल की धार देखकर बीजेपी पर हमला करना शुरू किया और अपने एजेंडे को पीछे छोड़ चुनावी रैलियों में सिर्फ मोदी सरकार की विफलताओं को ही गिनाने लगा। मोदी सरकार से नाराज किसानों, कारोबारियों और बेरोजगारों का साथ कांग्रेस को मिला और परिणाम सामने है। बीजेपी के हाथ से तीन महत्वपूर्ण राज्य निकल गये।
जबकि जीएसटी को लेकर केन्द्र सरकार अब भी उलझन में है। जीएसटी की कई मीटिंग के बाद भी अब तक संतोषजनक निष्कर्ष नहीं निकल पाये है कि किस प्रोडक्ट को टैक्स के किस दायरे में रखा जाये।

हाल ही में केन्द्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित जीएसटी की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिये गये हैं। सरकार के मुताबिक, अब ज्यादातर जरूरतमंद उत्पादों को 12 और 18 प्रतिशत वाले स्लैब में डाला जायेगा। जबकि कुछ ही प्रोडक्ट अब 28 प्रतिशत वाले ले स्लैब में रखे जायेंगे।  बैठक में 23 और वस्तुओं पर जीएसटी की रेट घटायी गई है। लेकिन, अभी भी कई मसलों पर जीएसटी की नीतियां स्पष्ट नहीं है। यही कारण है कि जीएसटी को लेकर कारोबारी अब भी उलझन में हैं।

माना कि, जीएसटी सही है औद देश के हित में है, लेकिन उसे सही तरह से पेश नहीं किया गया। जल्दीबाजी में लिये गये कुछ फैसलों ने सरकार को आज मुश्किल में डाल दिया है। बहुत ऐसे कारोबारी है जिनका तकनीकी ज्ञान शून्य है और वह जीएसटी को लेकर अपने वर्करों और ऑडिट करने वालों पर निर्भर है। लिहाजा जीएसटी के कारण अधिकांश कारोबारियों ने अपनी दुकानदारी समेट ली है। कारोबार बंद होने के कारण ज्यादातर युवा आज बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं।

हालांकि, हालांकि थोड़े दिनों के बाद हालातों में बदलाव आये। लेकिन जो उजड़ चुके थे वह फिर आबाद नहीं हो पाये। चाहे वह कारोबारी हो या किसान या आम आदमी। जो बर्बाद हो गये है वह बीजेपी सरकार को कोस रहे हैं। कारोबारी वर्ग बीजेपी का आधार वोट रहा है। लेकिन नोटबंदी और जीएसटी के बाद कारोबारी वर्ग बीजेपी के हाथ से निकलते जा रहे हैं। कई चुनावों के परिणाम मेें यह साफ दिखा है कि बीजेपी अपना आधार वोट खिसकने के कारण हारी है।

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