Wednesday, November 5, 2025
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इतिहास जगत में अमूल्य निधि के रूप में हैं इतिहासविद् डॉ. महेश शरण

 

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की इकाई “भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद्,नई दिल्ली” ने वर्ष 2021-23 के 2 वर्षों के लिए भारतीय एवं एशियाई देशों के इतिहास के सम्मानित विद्वान होने के उपलक्ष्य में “नेशनल फैल्लोशिप” मगध विश्वविद्यालय बोधगया के प्राचीन भारतीय एवं एशियाई अध्ययन विभाग के सेवा निवृत आचार्य तथा गया कॉलेज गया के प्राचीन भारतीय एवं एशियाई अध्ययन विभाग के सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. महेश कुमार शरण को प्रदान किया है।

डॉ शरण के कुशल निर्देशन में 65 से अधिक अनुसंधायकों ने पीएच.डी. और डी.लिट. की उपाधि प्राप्त की है। इतना ही नहीं इनके स्वयं की पीएच.डी. शोघ्र ग्रंथ “ट्राइबल क्वायन्स: ए स्टडी” तथा डी. लिट शोध ग्रंथ-” स्टडीज इन संस्कृत इनस्क्रिप्शंस ऑफ इनसियेंट कंबोडिया” तथा “कंबोडिया के संस्कृत अभिलेख- भाग 1 एवं 2” को इतिहासकारों एवं विद्वानों ने अति उच्च कोटि का ग्रंथ माना है।

डा.शरण के 100 से अधिक शोध -पत्र राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। शोध प्रबंध के सिलसिले में ये दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में वर्ष-1976 ,1979 और 1986 में विदेशों की यात्रा की। ये “भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, नई दिल्ली तथा महाचुलालाँग कॉर्न बौद्ध विश्वविद्यालय बैंकॉक” के सहयोग से 3 माह तक गेस्ट प्रोफेसर के रूप में थाईलैंड के बौद्ध विश्वविद्यालयों में “भारतीय सभ्यता और संस्कृति” से संबंधित व्याख्यान दिया जो थाई भाषा में प्रकाशित किया गया है। वर्ष 1995 ई० में भी ये नेपाल की 2 बार यात्रा शोध से संबंधित की।
उद्भट विद्वान डॉ महेश शरण ने कंबोडिया में वर्ष 2018 में आयोजित द्वितीय अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन के एक सत्र की अध्यक्षता की तथा “बुद्धिज्म इन कंबोडिया”पर उच्च कोटि का व्याख्यान भी दिया।

इनकी तीन दर्जन से अधिक प्रकाशित पुस्तकें इतिहास जगत में अमूल्य निधि के रूप में प्रतिष्ठा पाई हैं। शोधार्थियों के लिए ये अमूल्य पुस्तकें अमिय सिंधु का कार्य करती है। उनकी प्रकाशित रचनाओं में-” प्राचीन भारत भाग 1 एवं 2, थाईलैंड की सांस्कृतिक परंपराएं, कंबुज देश का राजनैतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास, प्राचीन भारत का सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास, भारत और दक्षिण पूर्व एशिया एक अध्ययन, भारतीय राष्ट्रीयता:अतीत से वर्तमान भाग -1, 2 एवं 3, प्राचीन भारतीय मुद्राएं, प्राचीन भारत के प्रमुख अभिलेख, कंबोडिया के संस्कृत अभिलेख- भाग 1एवं 2,
ए स्टडी ऑफ ट्राइबल कॉइन्स, भगवद् गीता एंड हिन्दू-सोशियोलॉजी, धम्मपद, द ग्लोरी ऑफ थाईलैंड” आदि डॉक्टर शरण की प्रमुख प्रकाशित रचनाएं हैं ।ये “भारतीय इतिहास संकलन समिति, गोरक्ष प्रांत, गोरखपुर” के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा अनुदानित बृहद् शोध परियोजना-” पितृतीर्थ गया : इतिहास संस्कृति एवं पर्यटन” पर ये जनवरी 2017 ईस्वी से कार्यरत थे और इस शोध परियोजना को इन्होंने जनवरी 2019 ईस्वी में पूर्ण कर ली है और इसका प्रकाशन भी कर ली है, जिसका लोकार्पण 5 सितंबर 2021 शिक्षक दिवस के अवसर पर की जाएगी।

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