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अग्निपथ पर अग्निवीर: सैन्य क्षेत्र में सुधार की दीर्घकालिक योजना

मोदी सरकार का एक फैसला जिससे देश में उबाल है। देश के युवाओं को अग्निवीर बनाने से पहले ही पूरा देश अग्निपथ बन चुका है। सेना की नौकरी का सपना पाले युवाओं में अपने भविष्य को लेकर शंका और भ्रम की स्थिति बनी हुई है। उन्हें भ्रमित करनें में विपक्षी दलों के नेताओं की भी बड़ी भूमिका है। क्योंकि उन्हें भी इस योजना के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है। विपक्षी दल के नेताओं को मोदी सरकार के खिलाफ विरोध करने का एक बड़ा मुद्दा हाथ लग गया। इस आंदोलन की आग में विपक्षी नेता सियासी रोटियां सेंकने लगे हैं।

केन्द्र में मोदी सरकार के आठ साल के शासनकाल में पहली बार देश के युवाओं ने सड़कों पर उतरकर इस कदर उत्पात मचाया कि देश के कई राज्यों की शासनिक और प्रशासनिक व्यवस्था हलाकान हो गई। युवाओं के आगे पुलिस लाचार दिखी। बसों, ट्रनों एवं अन्य सरकारी सांस्थानिक संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचाया है।

युवाओं द्वारा किया गया विरोध का यह तरीका तर्कसंगत नहीं है। आज के डिजिटल दौर में आप अपनी बात को सरकार तक पहुचाने के लिए और भी माध्यम अपना सकते थे। लेकिन युवाओं ने मोदी सरकार के इस फैसले के विरोध में सरकारी संपत्तियों को जलाना शुरू कर दिया। विपक्षी नेताओं के बयानों ने भी आग में घी का काम किया है।

बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा सरकारी संपत्तियों का नुकसान हुआ है। पिछले 50 सालों में पहली बार रेलवे को इतना भारी नुकसान उठाना पड़ा है। करीब डेढ़ हजार करोड़ रूपये की रेलवे की संपत्तियां नष्ट हुई है। साथ ही कई एक्सप्रेस ट्रेन कैंसिल करने पर रेलवे को 70 करोड़ रिफंड भी करना पड़ा है। इस दौरान 15 लाख यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा है। लोकल ट्रेन बंद होने और बिलम्ब से चलने से दैनिक यात्रियों को अब भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पुलिसकर्मी वीडियो फुटेज के आधार पर उपद्रवियों की पहचान कर रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी के लिए प्रशासनिक स्तर पर टीम गठित की गई है। पहचान के आधार पर उनकी की धर-पकड़ शुरू हो गई है।  आंदोलन तो बंद हो चुके हैं लेकिन युवाओं को उकसाने के लिए विपक्ष की सियासत चालू है। इसमें दोमत नहीं कि विपक्षी दल ने मोदी सरकार के खिलाफ माहौल बनाया है, युवाओं को उकसाया है। देश के कई शैक्षणिक संस्थान जो सेना की तैयारी कराते है, उनपर भी आरोप है कि युवाओं को अग्निवीर योजना पर भ्रमित किया है। इस कारण कई शैक्षणिक संस्थान जांच के दायरे में हैं। शासन-प्रशासन द्वारा उनपर कड़ी नजर रखी जा रही है।

विपक्षी दलों ने केन्द्र सरकार पर दबाव बनाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो सके। सरकार ने कृषि कानून की तरह अग्निवीर योजना को वापस लेने से साफ तौर पर इंकार कर दिया और भर्ती की गाइडलाइन भी जारी कर दी है। इसी महीने से अग्निवीरों की भर्ती प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।  युवाओं के विरोध को कम करने के लिए सरकार के मंत्री इसके फायदे गिना रहे हैं।

सनद रहे कि, इस योजना के विरोध में सड़कों पर आगजनी करने वाले, सरकारी संपतियों का नुकसान पहुंचाने वाले युवा इस योजना के पात्र नहीं होंगे। गिरफ्तार किये गये युवाओं के खिलाफ प्रशासन ने कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है।

फौज में भर्ती की तैयारियों में मैदान पर घंटों पसीना बहाने वाले युवाओं को चार साल की नौकरी पसंद नहीं है। सेना में भर्ती के लिए तैयारी करने वाले युवाओं का कहना है कि यह एक तरह से कांट्रैक्ट की नौकरी है जिसमें चार साल में रिटायर कर दिये जायेंगे।

केन्द्र सरकार ने अग्निवीर योजना में युवाओं की भर्ती के लिए साढ़े सत्रह साल उम्र की न्यूनतम सीमा तय की है और अधिकतम आयुसीमा 21 वर्ष रहेगी। कोविड काल के संदर्भ में 23 साल की गई है, जो इस साल तक ही मान्य है। इस आधार पर देखा जाये तो औसत 23.5 तक की उम्र में अग्निवीर की सेवा देने वाले युवा रिटायर हो जायेंगे और उन्हें कॅरियर/आजीविका के लिए पुनः अन्य विकल्पों का चयन करना पड़ेगा।

केन्द्र सरकार की मानें तो रिटायर होने वाले 25 फीसदी अग्निवीर युवाओं के लिए मुख्य सरकारी संस्थानों गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय एवं अन्य महत्वपूर्ण सरकारी संस्थानों में आरक्षण दिया जायेगा। जबकि, 75 फीसदी युवा अपनी योग्यता के बल पर पीएसयू अथवा अन्य सेक्टर में अपनी सेवा दे सकते हैं। उन्हें भर्ती में पहली प्राथमिकता दी जायेगी। उद्योगपति आनंद महिन्द्रा ने कहा है कि अग्निवीरों को उनकी कंपनी सुरक्षा प्रहरियों की भर्ती में पहली प्राथमिकता देगी। इसी तरह कई औद्योगिक संस्थानों के मालिकों ने अग्निवीर योजना पर सकारात्मक पक्ष रखा है।

इस योजना का सकारात्मक पक्ष यह है कि सैन्य क्षेत्र में युवाओं की भागीदारी बढ़ेगी। क्योंकि 2023 तक सभी सैन्य विभागों को मिलाकर करीब डेढ़ लाख सैन्य कर्मचारी रिटायर होंगे। केन्द्र सरकार ने उनकी जगह युवाओं नौकरी में पहली प्राथमिकता दी है। इसलिए अग्निवीर योजना में आवेदक की अधिकतम उम्र सीमा 21 वर्ष की गई है।

इस योजना को लेकर युवाओं में जो भ्रम की स्थिति बनी हुई है वह एक-दो बहाली प्रक्रिया के उपरांत समाप्त हो जायेगी। यह योजना सरकार की दूरगामी सोच पर आधारित है और युवाओ के हित मे है। जो युवा सेना में जाने की चाहते रखते हैं उन्हें किन्तु-परन्तु छोड़कर तैयारी में जुट जाना चाहिए। क्योंकि यह योजना भावी पीढ़ियों को ध्यान  में रखकर बनायी गई है। इस योजना में केन्द्र सरकार के एक भारत-सशक्त भारत के सपने परिलक्षित हैं।

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