January 28, 2025

News Review

Hindi News Review Website

एंटीलिया मामला: महावसूली कांड के कितने किरदार ?

1 min read

शासन-प्रशासन की इस भिडंत में ताल ठोकता विपक्ष

मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी की बिल्डिंग एंटीलिया के नजदीक विस्फोटक पदार्थ से भरी वैन के मिलने की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ती जा रही है, नये-नये तथ्य सामने आ रहे हैं। उन तथ्यों के उजागर होने से महाराष्ट्र के सरकारी तंत्रों की भूमिका पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। इस मामले में शासन और प्रशासन दोनोें कटघरे में है।

वैन के मालिक मनसुख हिरेन की हत्या/आत्महत्या के मामले में एनआईए द्वारा एपीआई सचिन वाजे की गिरफ्तारी के बाद जो खुलासे हो रहे हैं, यह पुलिस विभाग के लिए काफी शर्मनाक है। महाराष्ट्र की पुलिस को स्कॉटलैंड यार्ड कहा जाता है। लेकिन इस घटना से महाराष्ट्र पुलिस की छवि दागदार हुई है। यह परिस्थितियां उन पुलिसकर्मियों को सबक देने के लिए काफी है जो सत्ता की चाकरी करना ही अपनी जिम्मेदारी समझ लेते हैं।

इस मामले में कहा जा रहा है कि पूर्व पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह ने सचिन वाजे की करतूतों को नजरअंदाज किया है। एक एपीआई ने इतनी सम्पत्ति कैसे अर्जित कर ली। ऐसा हो ही नहीं सकता कि इस वसूली कांड से महाराष्ट्र का पुलिस विभाग अंजान हो।

महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने मीडिया के सामने खुद बयान दिया कि एनआईए चाहे तो परमवीर सिंह से भी पूछताछ कर सकती है, सरकार को इसमें कोई आपत्ति है। मतलब इस मामले मे सारा ठीकरा परमवीर सिंह पर फोड़कर सरकार खुद को अलग करना चाह रही है।

गृह मंत्री के बयान के बाद पूर्व पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह द्वारा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चिट्ठी भेजी गई, जिसमें साफ तौर पर लिखा है कि सचिन वाजे को मुंबई में 100 करोड़ रूपये मंथली वसूली का टारगेट अनिल देशमुख ने दिया था। इसलिए मेरा नियंत्रण सजिन वाजे पर नहीं रहा। एक अदना सा पुलिसकर्मी सीधे राज्य के होम मिनिस्टर को रिपोर्ट कर रहा है और हाईप्रोफाइल लोगों के टच में है तो उसके लिए सीनियर पुलिस अधिकारी का ऑर्डर कोई मायने नहीं रखता। परमवीर सिंह पर भी कई आरोप लगते रहे हैं और उनका विवादों से पुराना नाता है।

हालांकि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने उस चिट्टी में लिखी बातों खंडन करते हुए परमवीर सिंह पर मानहानि का केस दायर करने की बात कही है। जबकि महाराष्ट्र सरकार ने उस चिट्ठी को ही फर्जी करार दिया और उसकी जांच कराने की बात कही है। वहीं परमवीर सिंह पुनः सरकार के नहले पर दहला मारते हुए कहा है कि वह चिट्ठी मैने लिखी है और उनके निजी मेल से भेजी गई है इसलिए उस चिट्ठी में हस्ताक्षर नहीं है। ईमेल से भेजी गई चिटठी अपने-आप में पुख्ता प्रमाण है और उसमें हस्ताक्षर की जरूरत नहीं पड़ती है।

परमवीर सिंह महाराष्ट्र सरकार से दो कदम आगे चल रहे है। पूर्व पुलिस आयुक्त ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है कि उन्हें किस आधार पर महाराष्ट्र के पुलिस आयुक्त पद से हटाया गया है। वह अपने बयान पर कायम है और उन्होंने गृहमंत्री अनिल देशमुख के घर के सारी सीसीटीवी फुटेज की जांच कराने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट से उन्होंने इन मामलों की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है।

महाराष्ट्र में उठे इस सियासी बवंडर में सरकार पर खतरा मंडराते दिख रहे रहे हैं। क्योंकि कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि अगर अनिल देशमुख पर पूर्व पुलिस आयुक्त द्वारा लगाये गये आरोप सही हैं तो नैतिकता के आधार पर उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। बता दें कि कांग्रेस पार्टी महाराष्ट्र की महाअघाड़ी सरकार में सत्तारूढ़ पार्टी है। विपक्ष द्वारा गृह मंत्री अनिल देशमुख के इस्तीफे की मांग को भले ही शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की तिकड़ी सरकार नकार दे। लेकिन वसूली कांड पर सरकार की जो किरकिरी हो रही है इसे लेकर अब साझीदार पार्टी ही असहज दिख रही है।
शासन और प्रशासन की इस भिडंत में विपक्ष ताल ठोक रहा है।

दो दिन पूर्व महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने जब एनसीपी चीक शरद पवार से दिल्ली में मुलाकात की थी उस समय बहुत कुछ संकेत मिल रहे कि इस सियासी बवंडर को रोकने के लिए अनिल देशमुख की कुर्सी जा सकती है। लेकिन जिस तरह एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अनिल देशमुख का बचाव किया है उससे और भी कई सवाल खड़े होने लगे हैं।

हालांकि एक दिन पहले तक शरद पवार ने इस मामले को बहुत गंभीर बताया था। तब उम्मीद की जा रही थी कि महाराष्ट्र की सियासत में उठे इस बवंडर को शांत करने के लिए अनिल देशमुख से गृह मंत्री की कुर्सी छीनी जा सकती है। लेकिन शरद पवार ने 24 घंटे के अंदर दो बार प्रेस कांफ्रेंस करके अनिल देशमुख का बचाव किया और उनसे इस्तीफा मांगने के सवाल पर साफ तोर पर कहा कि यह मामला प्रशासनिक डिफॉल्टर से जुड़ा है जिसकी जांच की जा रही है।

अनिल देशमुख के बचाव में जिन-जिन तथ्यों पर मीडिया के सामने शरद पवार में ब्रीफिंग की है उन तथ्यों पर ही सवाल उठ रहे है। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पत्रकारों के सवालों पर शरद पवार असहज हो गये। ऐसी असजहता की क्या वजह है यह तो शरद पवार ही बता सकते है। इस महावसूली कांड पर सरकार एवं सत्तारूढ़ दलों के नुमाइंदों द्वारा जितनी लीपापोती कर ली जाये लेकिन महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह ने जब अदालत का रूख किया है, तो इतना तय मान लीजिए की इस मामले में अभी और खुलासा होना बाकी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *