
यदि बिहार सरकार मगही भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव विधानसभा से पारित कर केंद्र सरकार को भेजती है, तो प्रस्ताव मिलने के बाद प्रधानमंत्री से मैं विशेष रूप से मिलकर बात करूंगा और अपनी ओर से पूर्ण जोर लगाकर इसे आठवीं सूची में शामिल कर ही दम लूंगा : जीतन राम मांझी
मगही अकादमी गया बिहार एवं मगध विश्वविद्यालय बोधगया स्थित डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन सभागार में मगही अकादमी गया और मगध विश्वविद्यालय के (आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ ) द्वारा आयोजित मगही महोत्सव सह डॉक्टर राम प्रसाद सिंह अंतरराष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार- 2025 को मुख्य अतिथि पद से संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि यदि बिहार सरकार मगही भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव विधानसभा से पारित कर केंद्र सरकार को भेजती है, तो प्रस्ताव मिलने के बाद प्रधानमंत्री से मैं विशेष रूप से मिलकर बात करूंगा और अपनी ओर से पूर्ण जोर लगाकर इसे आठवीं सूची में शामिल कर ही दम लूंगा।
इस अवसर पर मगही के पुरोधा व मगही के भारतेंदु कहे जानेवाले डॉक्टर राम प्रसाद सिंह को फूलों से लदे एक भव्य सुशोभित मंच पर श्रद्धांजलि दी गई। वहीं राम लखन सिंह यादव कालेज के पूर्व प्राचार्य राम सिंहासन सिंह ने उन्हें मगध का ‘दधिचि’ बतलाते हुए मगही के लिए किये गये उनके कार्यों को विस्तार से बताया।
बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर गिरीश कुमार चौधरी ने नई शिक्षा नीति के तहत क्षेत्रीय भाषाओं के संवर्धन की दिशा में हो रहे प्रयासों की विशेष रूप से सरहाना करते हुए उन्होंने लोगों से अपील की कि मगही को अपने दैनिक जीवन में व्यवहार की भाषा के रूप में अपनाकर मगही को समृद्ध करें।
दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉक्टर ऋतुराज आनंद ने मगध को मौन क्रांति की भूमि बताते हुए मगही लोक साहित्य के संकलन व संरक्षण पर जोर दिया। साहित्यकार प्रेम कुमार मणि ने बतलाया कि मगही केवल भाषा ही नहीं एक समृद्ध संस्कृति भी है,इसे रोजगार से जोड़ने और युवा पीढ़ी के बीच प्रासंगिक बनाने की आवश्यकता है। उपस्थित अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया और इस अवसर पर “समीक्षकों की दृष्टि में डा.राम प्रसाद सिंह” नामक उनके सुपुत्र प्रोफेसर उपेंद्रनाथ वर्मा द्वारा संपादित पुस्तक का लोगों के बीच लोकार्पण किया गया।
सुपुत्र श्री वर्मा ने डॉ राम प्रसाद सिंह द्वारा रचित पुस्तकों में लोहा मरद महाकाव्य, सरहपाद खंडकाव्य, परस पल्लव कविता संग्रह, नरक सरग धरती उपन्यास, मेधा उपन्यास, सरद राजकुमारी बाल उपन्यास, बराबर की तलहटी में उपन्यास, मगध की लोक कथाओं का अनुशीलन, मगध की लोक कथाएं, मगही लोकगीत के बृहद संग्रह आदि के अलावा संपादन में ‘मुस्कान’ कविता संग्रह, ‘सोरही’ मगही कहानी संग्रह, मगही नव निबंध, मगही के मानक रूप, ‘झरोखा’ मगही कविता संग्रह, मगही साहित्य का इतिहास, ‘एकारसी’ एकांकी संग्रह, डॉक्टर संपत्ति ‘आर्याणी ‘ द्वारा संपादित ‘मगही कथा सम्राट: राम प्रसाद सिंह’ आदि साहित्य के बारे में लोगों के बीच बतलाया।
बड़ी संख्या में उपस्थित विद्वानों में पाटलिपुत्रा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर उपेंद्रनाथ सिंह, आयोग सदस्य सुशील कुमार सिंह, प्रतिकूलपति बि.आर.के. सिन्हा, विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ब्रजेश राय, डॉक्टर राकेश कुमार रंजन, डॉक्टर अंबे कुमारी,परम प्रकाश राय, कवि मुद्रिका सिंह, मगही पत्रिका ‘टोला-टाटी’ के संपादक सुमंत, सांस्कृतिक अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डॉ शत्रुघ्न दांगी, अश्विनी कुमार मेहता,अलख देव प्रसाद ‘अचल’ आदि दूर-दूर से आए लोगों ने भाग लिया।




