Tuesday, November 4, 2025
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पितृ पक्ष मेला 2025: शंखनाद और वैदिक मंत्रोंच्चार के साथ भव्य शुभारंभ

पितृपक्ष मेले का विष्णुपद मंदिर परिसर में भाद्रपद चतुर्दशी 6 सितंबर 2025 शनिवार से लेकर 22 सितंबर 2025 तक चलने वाले मेले का भव्य समारोह के बीच शंखनाद और वैदिक मंत्रोंच्चार के बीच “पितृपक्ष महासंगम-2025” नाम से शुभारंभ किया गया।

इस महासंगम को राज्य के राजस्व मंत्री संजय सरावगी, सहकारिता मंत्री सह गयाजी विधायक डॉ प्रेम कुमार, पर्यटन मंत्री राजू कुमार सिंह, पर्यावरण मंत्री एवं गयाजी जिला प्रभारी मंत्री सुनील सिंह और एमएलसी आफाक अहमद ने दीप प्रज्वलित कर जहां विधिवत् उद्घाटन किया, वहीं सभी मंत्रियों एवं देश-विदेश से आए तीर्थ यात्रियों का स्वागत जिला प्रशासन की ओर से जिलाधिकारी शशांक शुभंकर ने किया।

शुभंकर ने जिला प्रशासन द्वारा पूरे मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं व तीर्थ यात्रियों के लिए किये गये सुविधाओं को विस्तार से बताया। उन्होंने सुरक्षा, स्वास्थ्य, पार्किंग,आवासन, पेयजल तथा सफाई आदि सहित गया के गांधी मैदान में देश-विदेश से आए तीर्थ यात्रियों के लिए 2500 बेड का नि: शुल्क “टेंट-सिटी” निर्माण की भी चर्चा की। उन्होंने यह भी कहा कि देश- विदेश से आने वाले सभी अतिथि हमारे “देवो भव:” के श्रेणी में होंगे।

सहकारिता मंत्री प्रेम कुमार ने कहा की पितृपक्ष मेले को अंतर अंतर्राष्ट्रीय मेला बनाने का प्रयास करूंगा। आज 80,000 घरों में गंगाजल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा और केंद्र सरकार की मदद से गंगाजल पहुंच रहा है। तीन रोप वे भी पहाड़ियों पर बन रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मेले का दर्जा दिलाने का प्रयास सभी लोगों के सहयोग से करुंगा। उन्होंने सबों से सहयोग करने की अपील की। उन्होंने बताया कि पिछले साल करीब 22 लाख पिंडदानी यहां आए थे। इस साल और भी संख्या बढ़ सकती है।

राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने कहा कि पहले पिंडदानी फल्गु में बालू खोद कर पानी निकालते थे और पिंडदान की प्रक्रिया पूर्ण करते थे। आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्र सरकार के प्रयास से रबर डैम बनाकर गंगाजल उसमें लाकर भरा हुआ है । इस तरह आज गयाजी कहां से कहां पहुंच गया। उन्होंने कहा पिंडदानी यहां से अच्छा संदेश लेकर जाएं यह लोगों से अपील की।

पर्यटन मंत्री राजू कुमार सिंह ने कहा कि दूसरे देशों में भारत के साथ गया जी की महत्ता है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी व्यवस्था यहां हो कि पिंडदानी अपने यहां जाकर बोले कि गया की व्यवस्था काफी अच्छी रही। उद्घाटन मंच पर विदेश व प्रदेश से आए पिंडदानियों को गंगाजल उपहार स्वरूप दिया गया।

पितृपक्ष मेले को लेकर पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन के सहयोग से सीताकुंड घाट पर फल्गु महाआरती भी हुई।
त्रिपक्षीय पिंडदानी यानी 17 दिनी पिंडदान करने वाले पिंड दानी मुख्य रूप से “पुनपुन-नदी घाट” पर तर्पण कर पूर्वजों को मोक्ष दिलाने की कामना करते हैं।

यह स्थल गया-पटना रेल खंड पर स्थित है। जो यात्री पुनपुन नहीं जाते, वे गयाजी में ही गोदावरी तालाब में कर्मकांड को शुरू करते हैं। वे भाद्रपद पूर्णिमा को फल्गु में स्नान कर तर्पण करते हैं, फिर देवघाट और विष्णु पद में पिंडदान एवं मंदिर के गर्भ गृह में स्थित विष्णु चरण का दर्शन और पूजन कर, अक्षयवट में अंतिम पिंडदान के बाद अपने पंडों से “सुफल” की प्राप्ति कर अपने पितरों को मोक्ष दिलाते हैं।

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