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वैश्विक कूटनीति से अनभिज्ञ जेलेंस्कि ने यूक्रेन को युद्ध की आग में झोंक दिया

यूक्रेन के सामने आज जो हालात बने हैं उसके लिए राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्कि जिम्मेदार हैं। वैश्विक कूटनीतिक ज्ञान से अनभिज्ञ जेलेस्कि रूस के खिलाफ अमेरिका की बनायी पिच पर बैटिंग कर रहे थे। नतीजा रूस के आगे यूक्रेन चारो खाने चित हो गया। अगर यह युद्ध कुछ दिन और जारी रहा तो यूक्रेन के पास बचाने के लिए कुछ नहीं बचेगा। स्पष्ट तौर पर यह कहा जा सकता है कि एक गैरजिम्मेदार राष्ट्राध्यक्ष के अड़ियल रवैये ने यूक्रेन को युद्ध की आग में झोंक दिया, जिसकी कीमत आने वाली पीढ़ियों को भी चुकानी पड़ेगी।

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रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला कर दिया था। लगभग दो सप्ताह होने को है लेकिन भीषण जंग अभी भी जारी है। अभी तक युद्ध रूकने की कोई संभावना नहीं दिखाई देती है जब तक कि रूस के साथ शर्ताें पर बातचीत के लिए यूक्रेन राजी नहीं हो जाता। इसमें कोई दोमत नहीं कि अब यह जंग यूक्रेन अकेले नहीं लड़ रहा है। पर्दे के पीछे यूएस और यूरोपियन देशों का भरपूर सहयोग यूक्रेन को मिल रहा है। हथियारो के साथ अथाह धन भी दान स्वरूप यूक्रेन को विकसित देशों द्वारा दिये जा रहे है। 28 देश यूक्रेन के समर्थन में और रूस के विरोध में खड़े हैं। ये सभी देेश अपने सियासी और सामरिक हितों के लिए यूक्रेन का इस्तेमाल रूस के खिलाफ कर रहे हैं।

रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किये जाने के 24 घंटे के भीतर राष्ट्रपति बोलोडिमिर जेलेंस्कि रूस के साथ वार्ता करने को तैयार थे, यहां तक की भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपील कर रहे थे कि वह आगे आकर दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करायें। क्योंकि पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच गहरी दोस्ती है। दोनों देश के बीच सामरिक रिश्ते मजबूत है। लेकिन एक दिन बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति अपने बयान से पलटते दिखे। इस युद्ध में यूक्रेन की हो रही बर्बादी के बावजूद उनके तेवर बदलते गये।

जबकि रूस से साथ युद्ध मंें यूक्रेन समर्थ नहीं है। एक महाशक्ति देश से टकराने की कीमत यूक्रेन को बहुत भारी पड़ रही है। रूसी मिसाइलों और फाइटर जेट से बमबारी के कारण यूक्रेन के कई शहर कबाड़ और कब्रगाह में तब्दील हो गये हैं। सड़कों पर लाशें बिखरी पड़ी हैं। यूक्रेन के स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, रेलवे स्टेशन, बस अड्डे, मेट्रो सभी रूस की बमबारी से तबाह हो चुके हैं। यातायात के सभी मार्ग अवरूद्ध हो चुके हैं।

इस युद्ध में रूस की भी भारी छति हो रही है। यूक्रेनी राष्ट्रपति ने दावा किया है कि इस युद्ध में 600 से ज्यादा रूसी सैनिक मारे गये है, सैंकड़ों रूसी टैंकों को यूक्रेन के सैनिकों ने बम से उड़ा दिया है। जान-माल की भारी छति दोनों देशों को हो रही है। लेकिन यूक्रेन में रूसी हमले के विध्वंसक परिणाम देखे जा रहे हैं। युद्ध की परिस्थितियों को देखते हुए यूक्रेन के लोगों में अफरातफरी मची है। जान बचाने के लिए वहां के लोग सुरक्षित जगह तलाश रहे हैं। अब तक सात लाख लोग यूक्रेन से पलायन कर चुके हैं।

अन्य देशों के लोग वहां बड़ी संख्या में अभी भी फंसे हैं और वहां से निकलने के लिए संबंधित दूतावास में अपील कर रहे हैं। यूक्रेन के अलग-अलग शहरों मेें फंसे भारतीयों को वहां से निकालने के लिए एयर इंडिया ने पहल की है। भारत सरकार वहां से सभी भारतीयों को सुरक्षित निकालने की कोशिशें जारी हैं।

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्कि इस भ्रम में थे कि युद्ध की नौबत नहीं आयेगी। अगर युद्ध की नौबत आ भी गई तो अमेरिका उनके पक्ष में खडा हो जायेगा। रूस को नाटो सेना का भी डर दिखाया गया। लेकिन यूक्रेन को बचाने के लिए न अमेरिका की तरफ से ठोस पहल की गई और ना ही नाटो देश रूस के खिलाफ कोई कदम उठा सके। जिसपर यूक्रेन के राष्ट्रपति को कहना पड़ा कि हमारे देश पर रूस द्वारा बम गिराये जा रहे हैं, लेकिन विकसित देश, नाटो के सदस्य देश और यूनाइटेड नेशन कुछ भी नहीं कर पा रहे।

यूक्रेन के राष्ट्रपति ने जिन देशों के भरोसे रूस के साथ दुश्मनी निभायी। उन देशों ने सबसे पहले उनका साथ छोड़ दिया। रूस एक महाशक्ति देश है और यूक्रेन किसी भी मामले में उसके टक्कर का नहीं है। यूक्रेनी राष्ट्रपति से यही गलती हुई है कि उन्होंने अपनी हैसियत पहचानने में देर कर दी। युद्ध से पहले भी इस मामले का समाधान टेबल पर हो सकता था। जिसपर आज यूक्रेन हर समझौते के लिए तैयार है। लेकिन यूक्रेन ने उन देशों पर भरोसा किया जिनका इतिहास छोटे देशों को युद्ध की आग में झोंकना और अपना हित साधना है। इस युद्ध के पीछे की रणनीति भी यही थी, लेकिन रूस ने उन देशों के मशूबों पर पानी फेर दिया।

रूस ने डंके की चोट पर यूक्रेन के दो राज्य को अलग कर एक देश बना दिया और उसे मान्यता भी दे दी है। जंग की नौबत तब आ गई जब अलग बन चुके देश से यूक्रेन के राष्ट्रपति ने अपनी सेना को हटाने से इंनकार कर दिया। यूक्रेन को इस बात का भरोसा था कि विकसित देश, नाटो संगठन ऐसा नहीं होने देंगे। लेकिन, रूस की धमकी सुनकर अमेरिका की हालत एक मेमने की तरह हो गई है। रूस ने उन सभी देशों को धमका दिया कि इस मामले में जो भी बाहरी देश दखल देंगे, उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। नतीजा जो देश इस मामले में दखल देने की कोशिश भी कर रहे थे, अब उन देशों ने चुप्पी साध ली है।

यूक्रेन के सामने आज जो हालात बने हैं उसके लिए राष्ट्रपति जेलेंस्कि जिम्मेदार हैं। वैश्विक कूटनीतिक ज्ञान से अनभिज्ञ जेलेस्कि रूस के खिलाफ अमेरिका की बनायी पिच पर बैटिंग कर रहे थे। नतीजा रूस के आगे यूक्रेन चारो खाने चित हो गया। अगर यह युद्ध कुछ दिन और जारी रहा तो यूक्रेन के पास बचाने के लिए कुछ नहीं बचेगा। स्पष्ट तौर पर यह कहा जा सकता है कि एक गैरजिम्मेदार राष्ट्राध्यक्ष के अड़ियल रवैये ने यूक्रेन को युद्ध की आग में झोंक दिया, जिसकी कीमत आने वाली पीढ़ियों को भी चुकानी पड़ेगी।

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