चरमपंथ की आग में जल रहा है बांग्लादेश का मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर
1 min read2019 में एशियाई विकास बैक (एडीबी) ने एक रिपोर्ट पेश किया था जिसमें बांग्लादेश की जीपीडी ग्रोथ 8.1 फीसदी और भारत की जीडीपी ग्रोथ 7.2 फीसदी बताया था। एडीबी की रिपोर्ट ने यहां तक कहा था कि बांग्लादेश 2017 से ही भारत को पीछे छोड़ते हुए कई क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
निर्यात और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में एशिया महादेश के कई देशों को पीछे छोड़ने वाला बांग्लादेश आज चरमपंथ की आग में जल रहा है। पिछले तीन महीने से बांग्लादेश में हो रहे साम्प्रदायिक दंगों का असर वहां के औद्योगिक सेक्टर पर देखा जा रहा है। वहां की जीडीपी नीचे स्तर पर आती दिख रही है। शेख हसीना के शासनकाल में बांग्लादेश तरक्की की राह पर आगे बढा और यह क्रम निरंतर जारी रहा।
2017 से 2023 तक बांग्लादेश का निर्यात उद्योग श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान सहित एशिया के 11 देशों से आगे चल रहा था। 2019 में बांग्लादेश जीडीपी में भारत को टक्कर देने लगा। बांग्लादेश गारमेंट मैन्यूफैक्चरिंग और निर्यात के क्षेत्र में भारत से आगे चल रहा था। चूंकि बांग्लादेश में रोजगार के अवसर बढ़ गये थे इसलिए वहां श्रम सुधारों में भी अच्छी सफलता देखी गई । कृषि क्षेत्र के विकास दर में बांग्लादेश कई देशों से आगे रहा।
2019 में एशियाई विकास बैक (एडीबी) ने एक रिपोर्ट पेश किया था जिसमें बांग्लादेश की जीपीडी ग्रोथ 8.1 फीसदी और भारत की जीडीपी ग्रोथ 7.2 फीसदी बताया था। एडीबी की रिपोर्ट ने यहां तक कहा था कि बांग्लादेश 2017 से ही भारत को पीछे छोड़ते हुए कई क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
निर्यात, विनिर्माण और मैन्यूफैक्चरिग ये तीन क्षेत्र बांग्लादेश में संरचनात्मक बदलाव करते हुए विकास की एक नयी इबारत लिखा। शेख हसीना के कार्यकाल में विकास का यह क्रम जारी रहा लेकिन आज बांग्लादेश सिविल वार से जूझ रहा है। वहां के चरमपंथी संगठन सरकार के नियंत्रण से बाहर हैं और सरिया कानून के पैरोकार बांग्लादेश का संविधान बदलने की मांग कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता के पीछे पाकिस्तान का हाथ है। विश्व पटल पर उभरते बांग्लादेश से आर्थिक बदहाली के दौर से गुजरते पाकिस्तान की बदनामी हो रही थी।
विश्व में बढ़ती बांग्लादेश की ख्याति पाकिस्तान को चुभने लगी थी। पाकिस्तान ने दुनिया को भले ही कुछ ना दिया हो लेकिन वहां के मौलाना-मुफ्ती हर देश में इम्पोर्ट किये गये हैं। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने के लिए पाकिस्तान से चरमपंथ का सहारा लिया गया।
पाक मौलानाओं ने बांग्लादेश के मुसलमानों को ऐसी तकरीर पढ़ाई की वह देश आज चरमपंथ की आग में झुलस रहा है। आज वह देश सिविल वार में पूरी तरह फंस चुका है।
बांग्लादेश में हिन्दुओं की फैक्ट्रियां बंद करायी जा रही है। वहां गैरमुस्लिम कर्मचारियों को कंपनियों से निकाला जा रहा है। उनके साथ अभ्रद और हिंसक व्यवहार किये जा रहे हैं। उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर किया जा रहा हैं। हालात को भांपते हुए बांग्लादेश में कई विदेशी उद्योगपति अपना कारोबार समेटने लगे हैं।
यूनुस सरकार वहां के मौलानाओं के हाथों की कटपुतली बनती दिख रही है। वर्तमान हालातों के लिए सारा ठीकरा शेख हसीना पर फोड़ने से परिस्थितियां नहीं बदलेगी। हालात को कंट्रोल करने के लिए यूनुस सरकार को ठोस कदम उठाना पड़ेगा लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है।कार्यवाहक प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस की भारत के प्रति सोच बहुत अच्छी नहीं है। पिछले दिनों भारत निर्मित वस्त्रों को बांग्लादेश के मंत्रियों ने जलाकर भारत का विरोध किया था। अब बांग्लादेश की नजदीकी भारत से ज्यादा पाकिस्तान से बढ़ रही है।
पाकिस्तान अपने एजेंडे में सफल हो गया। बांग्लादेश को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है। देर-सबेर बांग्लादेश मुफ्ती और मौलानाओं के कब्जे में चला जायेगा। वहां के मौलाना खुलेआम कह रहे हैं कि बांग्लादेश में शरिया कानून लायेंगे। मतलब, उस देश में अब गैरइस्लामिक लोगों के लिए रहना दुभर हो जायेगा। जो वहां रह रहे हैं उनका तेजी से धर्मांतरण किया जा रहा है। मंदिरों एवं चर्च पर हमले हो रहे हैं। हालात बयां कर रहे हैं कि बांग्लादेश गैरमुस्लिम के लिए कत्लगाह बनने जा रहा है।