Thursday, May 22, 2025
Google search engine
Homeविरासतमुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की गया में पितृपक्ष तैयारियों की समीक्षा

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की गया में पितृपक्ष तैयारियों की समीक्षा

आगामी 9 सितंबर से 25 सितंबर तक लगने वाला विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष का राजकीय मेला-2022 आयोजित है। इस मेले में बड़ी संख्या में इस वर्ष तीर्थयात्रियों को आने की संभावना है। इस वर्ष नदी में रबड़ डैम फल्गु नदी में बन जाने से पिंडदानियों को अब अपने पूर्वजों को तर्पण तथा पिंडदान करने में कोई असुविधा नहीं होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक और “गंगा- उद्वह” बडी़ योजना” के तहत गया शहर में घर-घर गंगा पानी पहुंचाने का भी ऐतिहासिक निर्णय लिया है, जिसका कार्य प्रगति पर है। इसका भी जायजा उन्होंने लिया।

अंतःसलीला फल्गु नदी जो मोक्ष भूमि विष्णुपद गया में प्रवाहित है, उसमें पिंडदानियों को पवित्र फल्गु नदी का जल पितृतर्पण तथा पिंडदान करने में यात्रियों को सदा मिले, इसके लिये 3 फीट पानी कम से कम सदा डैम में बना रहे। इस कार्य के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरगामी सोंच के तहत अंतः सलीला फल्गु नदी में “रबड़ डैम” का निर्माण किया गया है। उसके निरीक्षण हेतु सोमवार को वे गया पधारे और उसका निरीक्षण किया। उन्होंने फल्गु नदी की दूसरी छोर पर बने पवित्र सीता कुंड वेदी को भी इससे जोड़ने के लिए मार्ग निर्माण का निर्देश दिया ।

मुख्यमंत्री ने गया की महत्ता का जिक्र करते हुए कहा कि गया न केवल बिहार वरन् पूरे देशऔर विश्व में एक पौराणिक तथा ऐतिहासिक स्थल है। इसकी प्राचीनता और पवित्रता जानकर ही लोग इसे “गया जी” कह कर संबोधित करते हैं। विष्णु पद मंदिर में गयावाल पंडों के वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मुख्यमंत्री ने विष्णुचरण पर दूध, दधी,घी,फल,तुलसी-पत्र, मिष्ठान आदि चढ़ाये और राज्य तथा देशवासियों के लिए मंगल एवं शांति की कामना की।

बाद में उन्हें मंदिर समिति की ओर से सम्मानित किया गया, जहाँ मुख्यमंत्री को पंडों ने एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने डेढ़ हजार क्षमता वाली तीर्थ यात्रियों को ठहरने के लिए एक नया “विष्णु भवन” का निर्माण, सालों भर तीर्थ यात्रियों की आने वाले वाहनों के लिए ‘पार्किंग’ की सुविधा, देव घाट पर बन रहे रबड़ डैम के बीच “भगवान विष्णु की 80 फीट ऊंची प्रतिमा” की स्थापना, विष्णुपद परिसर का सौंदर्यीकरण,पथों को चौड़ाई करने आदि की मांग रखी, जिसपर मुख्यमंत्री ने अपनी सहमति जताई।

मुख्यमंत्री ने उपस्थित अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि श्रद्धालुओं को हर सुविधा मिलनी चाहिए, साफ सफाई की बेहतर व्यवस्था रहे तथा बिजली की अबाध आपूर्ति हो। सुरक्षा को लेकर सतर्कता बरतने तथा असामाजिक तत्वों पर विशेष नजर रखने की भी चेतावनी दी।

पहली बार विष्णुपद मंदिर के गर्भ-गृह में इस बार ‘अहिंदू’ मंत्री के प्रवेश से पंडा समाज बिफर उठे। विष्णुपद मंदिर प्रबंध कारिणी समिति के अध्यक्ष शंभूलाल विट्ठल ने बताया कि विष्णुपद मंदिर एक “हिंदू मंदिर” है। “अहिंदू” का प्रवेश इसमें बिल्कुल वर्जित है। अंग्रेजों के जमाने में भी अहिंदुओं का प्रवेश वर्जित था। भगवान- विष्णु- चरण के दर्शन के लिए उत्तर दिशा में एक स्थान निर्धारित है, वहीं से अहिंदुओं को विष्णु चरण दर्शन की इजाजत दी गई है,न कि मंदिर में प्रवेश कर।

मुख्यमंत्री ने विष्णुपद से जुड़े अनेक प्रमुख पास के वेदियों का भी जायजा लिया, उनमें ब्रह्मसतसरोवर,अक्षयवट आदि मुख्य हैं। उन्होंने अक्षय वट तक जाने के रास्ते को बेहतर और सुलभ बनाने का सुझाव दिया। रुक्मिणी सरोवर को भी देखा उसे भी सौंदर्यीकरण के लिए प्लान बनाने का निर्देश दिया।

इस बार अधिकाधिक संख्या में पिंडदानी यात्रियों को पहुँचने की संभावनाएं जताई जा रही है,क्योंकि बीते दो तीन वर्षों में कोरोना के चलते पिंडदानियों की संख्या नगण्य रही है। मुख्यमंत्री ने सभी उपस्थित अधिकारियों, आमजन तथा अधिकारियों को विशेष निर्देश दिया कि यात्रियों को कोई भी असुविधा ना हो, वे अच्छा भाव लेकर यहां से जाएं यह आपलोग हमेशा याद रखेंगे। मुख्यमंत्री इसके बाद सीधे समाहरणालय गए और वहां सभाकक्ष में बैठकर पितृपक्ष मेले के पूर्ण तैयारी की समीक्षा की। स्वास्थ, साफ-सफाई, विधि व्यवस्था आदि पर जिलाधिकारी त्यागराजन एस एम, तथा एसएसपी हरप्रीत कौर ने तैयारियों को मुख्यमंत्री के सामने रखा।

इस मौके पर सहकारिता मंत्री डा. सुरेन्द्र यादव,पर्यटन मंत्री कुमार सर्वजीत,अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण मंत्री संतोष कुमार सुमन, सांसद विजय मांझी,बिहार विधान पार्षद कुमुद वर्मा, पूर्व विधान पार्षद मनोरमा देवी, अनुज कुमार, जद यू महानगर जिला अध्यक्ष राजू बरनवाल आदि उपस्थित रहे। देखना अब यह है कि इस नई सरकार में राज्य का भविष्य और सरकार के प्रति बाहर से आए देश-विदेश के श्रद्धालुओं एवं राज्य वासियों का क्या रुख रहता है। वर्षा का अभाव है।दक्षिणी बिहार विशेषकर मगध सुखाड़ की चपेट में है। यहां की नदियों में जहां जून में बाढ़ आती थी, वहां आज अभीतक नदियां सूखी हैं। सौ बरसों के इतिहास में यह पहली घटना मानी जा रही है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments