Thursday, May 22, 2025
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मोदी सरकार के सपनों को पलीता लगा रहा स्वास्थ्य मंत्रालय के सीजीएचएस का आयुष विभाग

– सीजीएचएस द्वारा कहा गया है कि जो मरीज एक बार प्राकृतिक चिकित्सा, योग एवं आयुर्वेद सिद्धा यूनानी से इलाज करा लेगा फिर उसे छह महीने तक इन चिकित्साओं से दुबारा इलाज नहीं मिलेगा।

– यदि मरीज गंभीर बीमारी जैसे मधुमेह, रक्तचाप और कमर दर्द सहित कई जटिल बीमारियों से ग्रसित है तो वह ऐलोपैथी चिकित्सा से इलाज बार बार करा सकता हैपरन्तु प्राकृतिक चिकित्सा, योग एवं आयुर्वेद से केवल 6 माह में एक बार।

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केन्द्र में मोदी सरकार के आने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आयुष विभाग का गठन किया गया। जिसके अंतर्गत योग और प्राकृतिक चिकित्सा एवं आयुर्वेद सिद्धा यूनानी पद्वति को शामिल किया गया। मोदी सरकार ने इसके व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए हजारों करोड़ खर्च भी किये। सरकार के प्रयास से सार्थक परिणाम यह निकला कि लोगों का आयुष चिकित्सा के प्रति झुकाव बढ़ा।

कोविड काल के दौरान लोगों में योग और प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति रूझान बढ़ा है। लोग एलोपैथी चिकित्सा से हटकर आयुष चिकित्सा पद्वति का विकल्प ढूंढने लगे और प्राकृतिक चिकित्सा पद्वति में लोग सहज महसूस करने लगे।

मोदी सरकार ने विश्व में योग का डंका बजवाया और आज आम से लेकर खास लोगों के जीवन का हिस्सा बन गया है। आयुष विभाग ने प्राकृतिक चिकित्सा में शामिल पद्वतियों को कैटेगराइज किया और संबद्ध संस्थानों को रियायतें देनी शुरू कर दी। जिसका लाभ मरीजों को भी मिलने लगा।

केन्द्र सरकार का सीजीएचएस विभाग देश के कई आयुष चिकित्सा संस्थानों को पैनलबद्ध किया। पिछले आठ सालों में देशभर में लाखों मरीजों ने इसका फायदा उठाया है।

लेकिन, हाल ही में सीजीएचएस के आयुष विभाग द्वारा एक गाइडलाइन जारी की गई जो आयुष चिकित्सा के मरीजों के हित में नहीं है। जिसके बाद मरीजों में रोष है।

सीजीएचएस द्वारा कहा गया है कि आयुष चिकित्सा के अंतर्गत एक दिन में एक मरीज दो से ज्यादा चिकित्सा लाभ नहीं ले सकते। ये भी सीजीएचएस का आयुष विभाग बताएगा न कि जो आयुष डाक्टर मरीज की चिकित्सा कर रहा है। जैसे प्राकृतिक चिकित्सा में मरीज एक दिन में केवल 2 ट्रीटमेंट ही ले सकता है। मड पैक या जल चिकित्सा। आयुर्वेद में केवल स्नेहन या कोई और एक इलाज। सीजीएचएस द्वारा यह भी कहा गया है कि जो मरीज एक बार प्राकृतिक चिकित्सा से इलाज करा लेगा फिर उसे छह महीने तक प्राकृतिक चिकित्सा से इलाज नहीं मिलेगा।

यदि मरीज गंभीर बीमारी जैसे मधुमेह, रक्तचाप और कमर दर्द सहित कई जटिल बीमारियों से ग्रसित है तो वह ऐलोपैथी चिकित्सा से इलाज बार बार करा सकता है, परन्तु प्राकृतिक चिकित्सा, योग एवं आयुर्वेद से केवल 6 माह में एक बार।

यही पर कई सवाल खड़े होते हैं कि सीजीएचएस प्राकृतिक चिकित्सा, योग एवं आयुर्वेद के मरीजों को ऐलोपैथी चिकित्सा के पास भेजने को क्यों आतुर है।

25 अगस्त को सीजीएचएस की बैठक हुई थी जिसमें आयुष मंत्रालय से संबंधित कई शीर्ष अधिकारी एवं चिकित्सक भी शामिल हुए थे। कई आयुष मंत्रालय के चिकित्सकों ने आरोप लगाया है कि सीजीएसच में प्राकृतिक चिकित्सा योग के प्रति दोहरे मापदंड अपनाये जा रहे हैं।

खबर है कि जो संस्थान योग, आयुर्वेद, यूनानी एवं विभिन्न प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में लोगों को सेवाएं दे रहे हैं, उन संबंधित सस्थानों के बिल पिछले एक-डेढ साल से पेंडिंग हैं अथवा लंबित हैं। बिल के पास होने में विभाग द्वारा कई तरह की अड़चने लगायी जा रही है। विभाग द्वारा यह रवैया सिर्फ प्राकृतिक चिकित्सा योग एवं आयुर्वेद संस्थानों के प्रति ही देखा जा रहा है।

एक तरफ मोदी सरकार योग और आयुष के प्रचार-प्रसार के लिए हजारों करोड़ खर्च कर चुकी है। वहीं दूसरी तरफ संबंध चिकित्सा संस्थानों और मरीजों पर नये नियम थोपे गये हैंं। जिससे आने वाले समय में मरीजों को कई असुविधाओं का सामना करना पड़ सकता है। या यूं कहें कि इलाज नहीं मिल पाने के कारण उनका योग और आयुष प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति मोहभंग हो सकता है और वह पुनः मजबूरीवश एलोपैथी चिकित्सा के प्रति रूख कर सकते हैं।

स्पष्ट तौर पर कहें तो मोदी सरकार के सपनो को पलीता स्वास्थ्य मंत्रालय के सीजीएचएस में बैठे कुछ लोग ही लगा रहे है। आज स्वास्थ्य मंत्रालय के सीजीएचएस में बैठे कुछ लोग ही योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के प्रसार में नये-नये अंकुश लगा रहा है। पिछले आठ सालों में जिसके उत्थान को लेकर केन्द्र सरकार ने कोई कसर ना छोड़ी हो, आज सीजीएचएस के विभागीय फैसलों की वजह सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आखिर अंदरखाते में क्या चल रहा है?

बहरहाल, अगर विभागीय स्तर पर यह खेल चल रहा है तो केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को इसपर त्वरित एक्शन लेना चाहिए। ताकि, डैमेज को कंट्रोल किया जा सके। क्योंकि अगर ऐसा कुछ भी होता है तो यह विभाग की बदनामी नहीं है, मंत्रलाय की बदनामी नहीं है। यह सीधे-सीधे मोदी सरकार की नीतियों की असफलता मानी जायेगी। क्योंकि योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा को जन-जन तक पहुचाना मोदी सरकार के महत्वपूर्ण एजेंडे में शामिल हैै।

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