
डॉक्टर मंजू करण सांस्कृतिक सभागार,आजाद पार्क, गया स्थित ‘हिंदी साहित्य सम्मेलन’ के सभा भवन में यशस्वी कवि मुद्रिका सिंह की 11 वीं पुस्तक परमेश्वरायण का लोकार्पण हुआ, जिसकी अध्यक्षता सम्मेलन के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह सुरेन्द्र, मंच संचालन वरीय कवि अरविंद कुमार तथा स्वागत भाषण सम्मेलन के संयुक्त सचिव उदय कुमार ने की। समारोह को संबोधित करते एवं विषय बोध कराते हुए”परमेश्वरायण” के रचयिता श्री सिंह ने बताया कि इस पुस्तक में कुल 2525 कविताएं हैं,जो 263 पृष्ठों में प्रकाशित हैं। उन्होंने अपनी रचना से उद्धरण देते हुए कहा कि –” मन का स्वामी बने रहो,बनो न मन का दास।
दुनिया में तेरा कभी, होगा नहीं उपहास।।
साथही उन्होंने यह भी कहा कि “जिनको काम से ज्यादा, यहां प्रिय है नाम। ऐसे लोग ही करते सदा देश बदनाम।”
संत पुरुषों के बारे में बताया कि “संत पुरुष संसार में, होते बड़े उदार। उनके दिल में जरा भी, रहता नहीं विकार।।” आगे कहा “नैतिकता का गुण हमें, बनाता है महान्। जीवन के हर मोड़ पर करे यह सावधान।।” “सही गलत का जब हमें हो जाता एहसास। आगे बढ़ने के लिए मिलता उसे प्रकाश।।” साथी “प्रेरणा हेतु लोगों से कहा कि-“आस-पास की चीज से जो लेते हैं सीख। जीवन में वे कभी भी, नहीं मांगते भीख”।। “करते हैं जो समय का, सदा सही उपयोग। दूर हो जाता उनका, तन मन का सब रोग”।। “सामाजिक परिवेश में, जो लेते हैं ढाल। जीवन में वे हर जगह रहते हैं खुशहाल।।”
आगे बताया कि “जो तनाव की नाव पर रहते सदा सवार, उनके जीवन में कभी आती नहीं बाहर।।” राजनीतिकों पर उन्होंने कहा कि “देखो स्वयं भी सामने, हो क्या रहा आज ?जनता है लाचार अब, बैठा कुर्सी बाज।।” उन्होंने लोगों को यह भी सीख दी कि “आधे अधूरे मन से, कीजिए कभी न काम। होगा अपने पक्ष में कभी नहीं परिणाम।।” लोगों में विश्वास जगाया कि”आगे बढ़ाना है तुम्हें, मन में रख विश्वास। एक दिन लौटेगी खुशी, पूरी होगी आश।।”
डॉक्टर रामपरीखा सिंह ने मुद्रिका सिंह को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर उपस्थित साहित्यकारों में अपनी बात रखते हुए डॉक्टर रामकृष्ण वरिष्ठ कवि ने कहा कि मुद्रिका सिंह की लेखनी सरल एवं बोधगम्य है। श्री सिंह अपनी बात दोहे के माध्यम से बड़े ही सरल शब्दों में कही है। पूर्व जिला शिक्षा पदाधिकारी अनिल कुमार ने कहा कि कवि मुद्रिका सिंह अपनी पुस्तक के माध्यम से न केवल अपने परिवार, समाज व राज्य बल्कि देश प्रेम की बात भी बतलायी है। प्रलेश के जिला अध्यक्ष कृष्ण कुमार ने कहा कि बिहार की धरती बुद्ध की धरती रही है, ज्ञान की धरती रही है। यहां एक से एक विद्वान हुए,जिन्होंने न केवल बिहार बल्कि देश और विश्व में अपनी महानता को प्रदर्शित किया।
मेहनतकश किसान मजदूर है,जो अपनी श्रम शक्ति से मानव की सेवा करते हैं। उन्होंने पुस्तक में संकलित दोहों की भी व्याख्या की। गया कॉलेज के प्रोफेसर श्रीधर करुणा निधि ने कहा कि कवि मुद्रिका सिंह को इस बात के लिए तारीफ की जाए कि वे विज्ञान के शिक्षक रहते हुए भी साहित्य में उनकी इतनी अपार अभिरुचि है। दोहा, छंद, रस में लिखित यह पुस्तक पुरानी परंपरा को जीवित करने का इन्होंने एक प्रशंसनीय प्रयास किया है। पूर्व विधायक डॉक्टर कृष्णनंदन यादव ने पुस्तक के प्रकाशन के लिए कवि मुद्रिका सिंह को अनेक बधाई देते हुए कहा कि किसान मजदूर को विषय बनाकर अपनी बात कहने का हिम्मत श्री सिंह ने इस भौतिक वादी युग में जुटाए हैं, यह बहुत बड़ी बात है।जहानाबाद के साहित्यकार दीपक कुमार ने कहा कि परमेश्वरायण एक अलग अनुभूति देने वाली पुस्तक है,जिसमें दोहों के माध्यम से जीवन के मूल्य को उजागर किया गया है।
इस अवसर पर अनेक विद्वान एवं साहित्यकार उपस्थित रहे उनमें बिंदेश्वरी प्रसाद सिंह, विजय सिंह, बिंदु सिंह, अजीत कुमार, आशीष कुमार, डॉक्टर शत्रुघन डांगी शोधार्थी कुमार,सहज कुमार, डॉक्टर आफताब आलम, डॉक्टर राकेश कुमार सिन्हा, ज्ञानेंद्र भारती, सोनम भारती, संजीत कुमार सहित कई अन्य लोग प्रमुख थे। सभागार खचाखच भरा हुआ था।
कविवर मुद्रिका जी की रचनाओं में मुख्य रूप से मगही कविता संग्रह में आवहे मलाल, जोरन, दिल के फूल। रुबाई संग्रह में इंसानियत के फूल और गजल संग्रह में इनायत आपकी, अमानत आपकी, आपके लिए और हिंदी कविता में भावना के फूल, पर्यावरण की गूँज आदि कविता संग्रह काफी चर्चित रही है।
ये “टोला टाटी” मगही मासिक पत्रिका के संरक्षक है। साथ ही “अलका मागधी” मगही मासिक पत्रिका और “मूक आवाज” हिंदी मासिक पत्रिका के संपादन का कार्य भी यह करते रहे हैं। ये सहायक मंत्री गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं पूर्व सचिव मगही विकास मंच के लिए इनकी प्रसिद्धि मगध में सदा बनी रही है।




