चंगेज खान बर्बर, क्रूर,आक्रामक,अत्याचारी, संगठन शक्ति करने में बेजोड़ तथा साम्राज्य विस्तार के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध रहा है। वह छोटे-छोटे कबीलों में बिछड़े मंगोलों को एकजुट करने तथा अपनी चपलता से युद्ध से पहले ही दुश्मन के हौसले को पस्त करने में अद्वितीय था। वह घुड़सवारी एवं तीरंदाजी में भी काफी प्रवीण था। एक ओर जहां वह दुनिया में निर्दयी शासक के रूप में जाना गया, वहीं वह बौद्ध धर्म अनुयायी था।
वह दूरगामी सोंच रखने वाला, शक्तिशाली, अनुशासित, कुशल प्रशासक और रणनीति में बिल्कुल निपुण था। वह खानाबदोश की जिंदगी जीता था और उसका बचपन बड़ी मुश्किलों में गुजरा था। दस साल की अवस्था में ही उसके पिता ‘येसूजेई बगातुर’ को जहर देकर निर्मम तरीके से दूसरे कबीलै वालों ने हत्या कर दी थी।
बावजूद वह हिम्मत नहीं हारा और पिता का बदला लेने के लिए वह डट कर युद्ध कौशल में प्रवीण होने का दृढ़ संकल्प ले रखा। उसने अपनी मजबूत संगठन शक्ति के बल पर कबीला समुदायों को इकट्ठा कर अपनी बड़ी शक्ति सेना तैयार कर ली और पिता का बदला भी ले लिया।12 साल की अवस्था में ही उसका विवाह ‘बोरते’ नामक कन्या से कर दिया गया,जिसे दूसरे कबीले बालों ने अपहरण कर लिया। तब उसने अपनी पत्नी को छुड़ाने के लिए जंग कर वापस ले आया।
चंगेज खान का एक सगा भाई ‘जमूका’ का था, जो सदा उसके साथ रहता था, किंतु बाद में वह भी उसका दूश्मन बन गया। तब वह जमूका को हरा कर तथा अन्य कबीलों को साथ लेकर अपने अधीन साम्राज्य विस्तार करने में लग गया। उसने सभी कबीलों को अपनी तलवार के बल पर साथ कर बड़े भूभाग में अपने साम्राज्य का विस्तार किया। इससे उसकी इच्छाशक्ति और भी बढ़ गई। चंगेज खान के बचपन का नाम तेमुजिन था। कबीलावासियों ने इसे चंगेज नाम दिया।
देखते ही देखते वह मंगोलिया सहित यूरोप एवं एशिया के बड़े भूभाग पर साम्राज्य स्थापित कर लिया। उसने तत्कालिन मुस्लिम सल्तनत को नेसनाबूद कर मुसलमानों के लिए अल्लाह का कहर बन बैठा। उसने दो दर्जन से ज्यादा शादियां भी की थी, जिनसे उसे करीब 200 पुत्र पैदा हुए थे। वह लुटेरा शासक होते भी बौद्ध धर्म का अनुयायी था। उसने अपने संगठन शक्ति को बर्बरता से विस्तार कर, छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटे मंगोलों को एकजुट करते हुए बड़े साम्राज्य स्थापित करने मे कामयाबी हासिल कर ली थी।
कहा जाता है कि उसने संसार के करीब 22% इलाके पर अपने साम्राज्य का विस्तार कर लिया था। इस दौरान उसने करीब 4 करोड़ लोगों को मौत के घाट उतारे थे। संसार में बलात्कार, शोषण और अत्याचारी का वह खौफनाक पर्याय बन बैठा था। उसने गजनी सहित ईरान का 75% भाग तथा पश्चिमोत्तर भारत के काबुल, कंधार, पेशावर, कश्मीर और चीन से लेकर समरकंद, बल्ख,बुखारा जैसे विश्व के बड़े राज्यों को अपने अधीन कर लिया था। उसके भय से चीन, रूस एवं भारत के कुछ हिस्से तथा अरब और संपूर्ण दक्षिण पूर्व एशिया उसके नाम से थर कांपते थे। वह सिंधु नदी पार कर उत्तरी भारत और असम के रास्ते मंगोलिया वापस लौटना चाहता था, किंतु ऐसा नहीं कर पाया, जिससे संपूर्ण उत्तर भारत उसके लूट,अत्याचार और उत्पात से बच गया।
उसने करीब तीन करोड़ वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर अपना आधिपत्य जमा लिया था। आज तक विश्व में इतना बड़ा कोई भी शासक नहीं हुआ। चंगेज खान मास्को से लेकर वीजिंग तक के साम्राज्य का मालिक था। एक अनुसंधान से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार करीब एक करोड़ 60 लाख पुरुषों का जीन चंगेज खान के खून से मिलता है और वे मंगोल नस्ल के मनाते जाते हैं। मुगल, चुगताई और मिर्जा कहे जाने वाले अपने को मंगोल नस्ल के बताते हैं।
सभी मंगोलियन वासी तुर्की, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान आदि जगहों में फैले लोग बौद्ध धर्मावलंबी थे, जिन्हें बाद में इस्लाम में परिवर्तित कर दिया गया जो मंगोल से मुगल कहलाते हैं। हालांकि अभी भी यह एक शोध का विषय है। प्रसिद्ध लेखक जैक वेदरफोर्ड ने चंगेज खान पर लिखी अपनी पुस्तक में उसके बारे में कहां है कि जीवन भर वह लूट कर सारी दुनिया से पैसा इकट्ठा किया, किंतु खुद या अपने परिजनों पर खर्च नहीं कर पाया। मरने के बाद भी उसे साधारण तरीके से दफनाया गया। चंगेज खान की मौत के बाद उसका बेटा ओगताई उत्तराधिकारी बना, जो एक अति शांतप्रिय और दयालु शासक के रूप में विख्यात हुआ।