पीएम मोदी की पहल के बाद उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना में आई तेजी
1 min readबिहार सरकार ने अपने संसाधनों से 1972 में ही परियोजना के बांध के निर्माण के साथ-साथ अन्य सहायक कार्य व गतिविधियां शुरू की थी और वह 1993 तक जारी भी रहा। किंतु उस वर्ष ही बिहार सरकार के वन विभाग द्वारा काम रोक दिया गया और ये क्षेत्र सिंचाई सेअबतक वंचित रहे। प्रधानमंत्री की पहल से किसानों में आशा की किरण जगी है।
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विगत पांच दशक से लंबित “उत्तरी कोयल- जलाशय- परियोजना” के शेष कार्यों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने बिहार और झारखंड में सिंचाई कार्य हेतु 2430.76 करोड रुपए व्यय के संशोधित प्रस्ताव को मंजूरी दी है। मालूम हो कि यह परियोजना एक लंबे अरसे से करीब 54 वर्षों से लंबित थी।
हाल ही में बुधवार को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति की दिल्ली में हुई बैठक में ‘उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना-विशेष कार्य’ के कार्यान्वयन हेतु संशोधित 2430.76 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई है। इसमें केंद्र सरकार का हिस्सा 1836.41 करोड़ रुपए का है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग इस आशय के एक प्रस्ताव को मंत्रिमंडल ने मंजरी दी है।
इसी कार्य की अनुमानित लागत वर्ष 2017 में 1622. 27 करोड़ रुपए के थे। उस समय इसमें केंद्रीय हिस्सा 1378. 60 करोड रुपए का था। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अनुसार शेष कार्य 30 महीने में पूरा करना होगा, जिससे कि झारखंड और बिहार में मुख्य रूप से चार सुखाड़ ग्रस्त जिले में 42301 हेक्टर जमीन क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।
बिहार सरकार ने अपने संसाधनों से 1972 में ही परियोजना के बांध के निर्माण के साथ-साथ अन्य सहायक कार्य व गतिविधियां शुरू की थी और वह 1993 तक जारी भी रहा। किंतु उस वर्ष ही बिहार सरकार के वन विभाग द्वारा काम रोक दिया गया और ये क्षेत्र सिंचाई सेअबतक वंचित रहे। प्रधानमंत्री की पहल से किसानों में आशा की किरण जगी है।
उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना के पूर्ण होने से बिहार और झारखंड के जमीन की सिंचाई हो पाएगी और इस क्षेत्र में जो सुखाड़ की स्थिति सदियों पड़ी है ,उसका निदान मिल पायेगा। साथ ही भू का जल स्तर जो नीचे की ओर भागी है, उसकी भी पूर्ति हो जाएगी।