सनातन धर्म की पूजा पद्वति में छिपे हैं विज्ञान के रहस्य
1 min readसनातन धर्म शाश्वत और निर्विवाद है। सनातन धर्म हमें सभी जीवों पर दया करना सिखाता है और मानवता के तारतम्य से जोड़े रखता है। हमारी दिनचर्या में सनातन धर्म की पूजा पद्वति शामिल है जो आध्यात्मिक के साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं।
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सनातन जिसका अर्थ शाश्वत अर्थात सदा जीवंत रहने वाला। जिसका न आदि और ना ही अंत है। सनातन को हिन्दू धर्म का पर्याय के रूप में जाना जाता है। हिन्दू धर्म दुनिया का सबसे प्राचीनतम धर्म है। दुनिया भर में होने वाली खुदाई में मिलने वाले अवशेष और प्रतीक चिन्ह इसके गवाह हैं।
हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में अमेरिकी पुरातत्वविदों द्वारा कराये जा रहे खुदाई में कुछ अवशेष मिले हैं, जो हिन्दू धर्म के धार्मिक प्रतीकों से मिलते जुलते हैं। कार्बन डेटिंग किये जाने पर वह प्रतीक 28 हजार साल पुरानी बताई जा रही है।
सनातन अर्थात हिन्दू धर्म हमें प्रकृति से तारतम्य स्थापित करना सिखाता है। हिदू धर्म मानने वाले प्रकृति के हर रूप की पूजा करते हैं। वह नदी, पहाड़, मिट्टी, पेड़-पौधे की पूजा करते है क्योंकि येे सभी सृष्टि प्रदत हैं। हमारे धर्मशास्त्र के अनुसार इस सृष्टि का निर्माण ब्रह्मा ने किया है। इसी कारण इस संसार को ब्रह्मांड कहा जाता है। इस जगत के सारे जीव और निर्जीव वस्तुओं को ब्रह्मांडीय तत्व के रूप में जाना जाता है।
इस दुनिया में यह पहला धर्म है जो हर जीवो के साथ मानवता का भाव रखना सिखाता है। शास्त्र, कला, सस्कृति, अध्यात्म , योग और विज्ञान का समिश्रण ही सनातन है। आज जो अध्यात्म को विज्ञान की तराजू पर तौलने की बात करते हैं उन्हें सबसे पहले सनातन से जुड़े शास्त्र का ज्ञान अर्जन करना चाहिए।
भारत में हजारों वर्षो की गुलामी के कारण हिन्दू धर्म के सिद्धांतों, मान्यताओं के साथ एक साजिश के तहत बिसंगतियो को जोड़ दिया गया। आज वो बिसंगतियां हमारे लिए चुनौतियां बन रही है और हिन्दू धर्म की आस्था पर चोट पहुंचायी जाने लगी है।
जबकि सनातन धर्म शास्वत और निर्विवाद है लेकिन आज के दौर में इसका राजनीतिक फायदा उठाने के लिए कुछ राजनीतिक पार्टियों के कुछ नेता बेतुके बयान देने लगे हैं। इस देश में जान बूझकर सनातन धर्म की पूजा पद्वति और इससे जुड़े धार्मिक प्रतीकों को बहस का मुद्दा बनाया जा रहा है।
जबकि आप इसकी गहराई में जायेंगे तो हिन्दू धर्म जिन सिद्धांतो ंपर आधारित है उनमें कुछ भी मानव निर्मित नहीं है। शास्त्र सम्मत है कि सृष्टि को चलाने और धर्म की रक्षा के लिए भगवान ने युगे युगान्तर इस धरती पर मनुष्य रूप में अवतार लिया है। देवों के अवतारों से जुड़ी स्मृतियों, प्रतीकों को हम सभी पूजा करते हैं। उनके प्रतीकों से हमारी आस्था जुड़ी है।
सृष्टि के पंचतत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु मनुष्य के शरीर में भी निहित है। इन पांचों तत्वों के बिना मानव जीवन संभव नहीं है। मनुष्य की मृत्यु के बाद इस शरीर को पंचतत्वों में विलीन कर दिया जाता है। सनातन धर्म से जुड़ी पूजा पद्वति और हमारी प्रकृति के अनुकूल दिनचर्या विज्ञान की कसौटी पर खरा उतरते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त में जागना एवं स्नान के बाद आसन पर बैठकर ध्यान लगाना, उगते सूर्य को अर्ध्य देना, मंत्रोच्चार, हवन, यज्ञ, शंखनाद् आरती…इन सभी में विज्ञान के रहस्य छिपे हैं। इस रहस्य को जानने के लिए आपको शास्त्र का ज्ञान होना जरूरी है। इस सृष्टि का अंधकार सूर्य के प्रकाश से मिटता है लेकिन मनुष्य के भीतर का अंधकार ज्ञान के प्रकाश से मिटेगा।
मनुष्य के आचार और विचार उनके आहार पर भी निर्भर करते हैं। इसलिए कहा जाता है कि जैसा अन्न वैसा मन। इसका अर्थ है कि अगर हम सात्विक भोजन करते हैं तो हमारे व्यवहार और मानसिक चेतना पर इसका सात्विक और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जबकि तामसिक भोजन करने से हमारी वृति और व्यवहार में तमस का भाव दिखने लगता है।
सनातन धर्म अपनाकर मनुष्य एक व्यवस्थित और संतुलित जीवन जीता है। सनातन की पूजा पद्वति हमें मानवता के भाव से जोड़े रखती है और सभी जीवों पर दया रखना सिखाती है। सनातन धर्म के मूल में ही दया, सहिष्णुता, अंहिसा और सेवा का भाव है।
सनातन धर्म ईश्वर की प्राप्ति सबसे सबसे सरल मार्ग है। सनातन अर्थात हिन्दू धर्म कहता है कि कण-कण में ईश्वर है। सनातन की अवधारणा धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष है। जो मनुष्य इन मूल अवधारणाओं को समझ लेता है उन्हें जीवन में मोक्ष की प्राप्ति के लिए अलग से कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। सदियों से सनातन धर्म हमें मोक्ष का रास्ता दिखाता रहा है। सनातन धर्म ही स्वयं से परिचित कराकर नैतिक जिम्मेदारियों का बोध कराता है।
‘वसुधैव कुटुम्बकम’ और ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः’ सनातन धर्म के आधार स्तम्भ हैं।