हारा हुआ गठबंधन जीत का जश्न मना रहा है
……………
लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम सामने आ गये। सत्तारूढ़ एनडीए तीसरी बार केन्द्र में सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है। एनडीए ने 293 सीटों पर जीत दर्ज की है। जबकि बहुमत के लिए एनडीए को 272 सीटें चाहिए।
एनडीए गठबंधन में सबसे ज्यादा सीटें बीजेपी को मिली है। बीजेपी ने 240 सीटों पर जीत दर्ज की है। हालांकि इस बार बीजेपी को 63 सीटों का नुकसान हुआ है। 2019 में बीजेपी 303 सीटों पर जीत हासिल की थी और वह अपने बलबूते पर केन्द्र में सरकार बनाने में सक्षम थी। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है।
बीजेपी को केन्द्र में सरकार बनाने के लिए एनडीए घटक का साथ बहुत जरूरी है। एनडीए में दूसरी बड़ी पार्टी टीडीपी 16 सीटों पर जीत दर्ज की है। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में टीडीपी को मात्र तीन सीटें मिली थी। इस बार टीडीपी को 13 सीटों का फायदा मिला है।
तीसरे नंबर पर एनडीए का सहयोगी दल जदयू है जिसे 12 सीटों पर जीत मिली है। हालांकि इस बार जदयू को चार सीटों का नुकसान हुआ है। पिछले चुनाव में जदयू ने 16 सीटों पर जीत दर्ज की थी। फिर भी ये दोनों घटक दल एनडीए के लिए गेमचेंजर साबित हुए हैं। टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू और जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार का साथ एनडीए के लिए पावर बूस्टर का काम किया है।
चौथे नंबर पर शिवसेना का शिंदे गुट है जिसे सात सीटो पर जीत मिली है। वहीं पांचवे नंबर पर एनडीए का मजबूत सहयोगी लोजपा (रामविलास) है। लोजपा (आर) ने अपनी जीत को बरकरार रखा। पिछले चुनाव में भीे लोजपा को पांच सीटें जीत हासिल हुई थी। इस बार भी लोजपा के पांचों उम्मीदवार जीत गये। इस पार्टी को युवा नेता चिराग पासवान नेतृत्व कर रहे है। चिराग पासवान की लीडरशिप क्वालिटी बहुत अच्छी है। सभी युवा नेताओं में सबसे लोकप्रिय चिराग पासवान है।
जबकि 2014 से लगातार विपक्ष में बैठी यूपीए को इस बार भी निराशा हाथ लगी है। अब यूपीए का नाम इंडिया हो गया है। 37 दलों का इंडिया गठबंधन जनादेश से चूक गया। इंडिया गठंबंधन को 234 सीटें ही मिल सकी और इस बार पुनः विपक्ष में बैठना पड़ेगा।
हालांकि इस बार एनडीए को हराने के लिए कोशिशें बहुत की गई। पूरब से पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण तक कोई कोना नहीं छूटा। भारत जोड़ो यात्रा, न्याय यात्रा के पर इस देश में मोदी सरकार को केन्द्र की सत्ता से हटाने के लिए विपक्ष के द्वारा अच्छी रणनीति बनायी गई थी। विपक्ष के द्वारा रेवड़ियों का एलान भी खूब किया गया है।
एक रणनीति के तहत कांग्रेस नेता राहुल गांधी मोदी सरकार को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने के लिए विदेशों के कॉलेजो में जाकर भारत सरकार के खिलाफ बयान देते हुए दिखे। घरेलू मामलों में विदेशी हस्तक्षेप भी दिखा। चाहे वह किसान आंदोलन हो या सीएए-एनआरसी से जुड़ा आंदोलन। इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए सरकार की खूब किरकिरी हुुई थी।
विदेशी सेलेब्रिटियों से भारत सरकार के खिलाफ ट्वीट करवाये जाने लगे। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ता भारत के घरेलू मामलों को विश्व मंच पर रखने लगे। किसान आंदोलन और सीएए आंदोलन को लेकर भारत सरकार के खिलाफ कई देशों की लांमबंदी देखी जाने लगी। जिन देशों की भारत के सामने दो कौड़ी की औकात नहीं वह भी इस देश के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करने लगा और वैश्विक मंचों पर मानवाधिकार की दुहाई देने लगा।
इन सभी का फायदा कहीं न कहीं इंडिया गठबंधन को मिला है जिससे 2019 में 127 सीटों पर सिमटी यूपीए को इस बार इंडिया गठबंधन के रूप में 234 सीटें प्राप्त हुई है। इस बार विपक्षी गठबंधन को 107 सीटो का फायदा हुआ है। लेकिन केन्द्रीय सत्ता पर पकड़ बनाने में नाकामयाब रहे।
फिर भी इंडिया गठबंधन के नेताओ को ऐसा लग रहा है कि उन्होंने किला फतह कर ली है। बयान भी इसी तरह के दिये जा रहे हैं और विपक्ष के नेताओं द्वारा जश्न भी मनाये जा रहे हैं। मतलब हारा हुआ गठबंधन जीत का जश्न मना रहा है।
एनडीए को सीटों का नुकसान जरूर हुआ है लेकिन केन्द्र में सरकार चलाने के लिए अच्छी स्थिति में है। एनडीए के घटक दलों ने पीएम नरेन्द्र मोदी पर भरोसा जताया है।
यह तो गठबंधन राजनीति का चरित्र है कि जो भी घटक दल साथ देगा उसके कुछ अपने भी शर्त होंगे। गठबंधन सरकार में दलों के बीच संतुलन साधकर आगे बढ़ना एक नेता को अतिविशिष्ट बनाता है। पीएम नरेन्द्र मोदी संतुलन साधने में और अमित शाह शह-मात के खेल में माहिर हैं, यह जगजाहिर है।




