Tuesday, November 4, 2025
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कोरोनाः भारत सरकार की कोशिशों पर पानी फेर रहे कुछ लोग

कोरोना वैश्विक महामारी का रूप ले चुका है। दुनिया के 195 देश इससे प्रभावित हैं। विकसित कहलाने वाले देश इस बीमारी के आगे घुटने टेक चुके हैं। दुनिया भर में साढ़े 6 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं और अब तक 30 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। रिपोर्ट के आधार पर चीन से निकला यह वायरस पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है। यह वायरस कैसे फैला यह अब भी एक रहस्य है।

यह प्रयोगशाला में निर्मित वायरस है या जीव-जंतुओं में प्रकृति प्रदत पाये जाने वाले वारयस से यह महामारी फैली है, इसकी भी पुख्ता जानकारी अब तक किसी के पास नहीं है। हालांकि अमेरिका ने आशंका जाहिर की है कि चीन में हुबेई प्रांत के बुहान शहर में स्थित लेबोरेटरी से यह वायरस फैला है। जबकि चीन ने अमेरिका पर आरोप लगाते हुए कहा है कि कोरोना वायरस अमेरिका ने जानबुझकर चीन में फैलाया है।

बहरहाल, महाशक्ति देशों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का यह सिलसिला लम्बे समय तक चलेगा। लेकिन बेकाबू हो चुके इस कोरोना से कई सवाल उभर रहे हैं। इस बीमारी ने देश-दुनिया की चिकित्सकीय व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस, इटली सहित कई यूरोपीय देशों की मेडिकल फैसिलिटी की बेहतरी को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाता रहा है, लेकिन आज ये सभी देश कोरोना के आगे नतमस्तक हो चुके हैं।

अब कोरोना की गिरफ्त में अमेरिका आ गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका की अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए वहा पूरी तरह लॉकडाउन से मना कर दिया है। लिहाजा बीमारी फैलती जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के सभी राज्यों में कोरोना से संक्रमित लोग पाये जा रहे हैं। अमेरिका में कोरोना संक्रमितों और इससे मरने वालों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है।

भारत की बात करें तो कोरोना से निपटने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं दिख रही है। देश में लॉकडाउन से कोरोना पर कोई खास असर नहीं पड़ रहा है। यह एक संचरित बीमारी है। इसलिए पीएम नरेन्द्र मोदी भी सोशल डिस्टेंसिग का विशेष ख्याल रखने की लोगों से अपील कर रहे हैं। हालात अगर नियंत्रित नहीं हो पाये तो लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई भी जा सकती है। कोरोना के कारण देश में होने वाले आर्थिक घाटे की भरपाई के लिए 1.70 लाख करोड़ की घोषणा सरकार ने कर दी है। जिसके तहत देश के निम्न वर्ग के लोगों को 90 दिन तक वित्तीय सहायता प्रदान की जानी है।

कोरोना की लड़ाई में हमारी मेडिकल फैसिलिटि बहुत अच्छी नहीं है। इससे निपटने के लिए देश में अच्छी चिकित्सा सुविधाओं की दरकार है, जो भारत में नहीं हैं। मेट्रो सिटिज में फौरी तौर पर कुछ व्यवस्था मुहैया करायी जा रही है लेकिन सुदूर इलाकों की स्थिति पहले से ही बहुत खराब है जहां सामान्य चिकित्सा सुविधा के लिए लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सुदूर इलाकों में कोई व्यक्ति कोरोना से ग्रसित है या नहीं इसे जांचने की पुख्ता व्यवस्था नहीं है। जिला स्तर के अस्पतालों में किट, बेड, मास्क एवं जरूरी संसाधनों के अभाव हैं।

कारोना से निपटने के लिए फौरी तौर पर सरकार की यही व्यवस्था है कि जितना हो सके लोगों को घर में रहने के लिए कहा जाये। इसके लिए प्रेस, मीडिया एवं सामाजिक संगठनों के माध्यम से जागरूकता फैलायी जाये। फिर भी जो नहीं माने तो पुलिस के डंडों का इस्तेमाल कर उसे घर में रखा जाये। क्योंकि विश्व स्तर पर कोरोना के परिणामों के देखने के बावजूद भारत में कुछ लोग बेवजह सड़कों पर घूमकर , नारद उवाच बनकर, भारत सरकार की तमाम कोशिशों पर पानी फेर रहे हैं।

केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों को निर्देश दिये हैं कि वह अपने-अपने राज्यों के बॉर्डर को सील कर दें। ऐसा इसीलिए कहा जा रहा है क्योंकि भारत में कोरोना तीसरे चरण में पहुंच चुका है। तमाम रोकथाम के बावजूद कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है।

वैश्विक स्तर की रैंकिंग में चिकित्सा सुविधा में भारत का नंबर इटली से 112 अंक नीचे है। इटली के हालत इतने खराब हैं कि वहां लाशों को रखने की जगह नहीं मिल पा रही है। वहां अब तक 6 हजार से ज्यादा लोग मर चुके हैं। जबकि स्पेन में चार हजार और अमेरिका में 2 हजार से ज्यादा लोग मर चुके हैं। आर्थिक, सैन्य, विज्ञान और बौद्धिकता के बल पर विश्व में अपनी विशेष पहचान रखने वाले ये सभी देश कोरोना के आगे घुटने टेक चुके हैं और इनकी निगाह अब भारत पर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख का कहना है कि कोरोना का भविष्य भारत पर निर्भर है। सरकार अपनी तरफ से हर संभव प्रयास कर रही है। जबकि मेडिकल सुविधाओं और संसाधनों को लेकर मामूली-मामूली देशों से भी भारत बहुत पीछे है तो इस मेडिकल इमरजेंसी में मोदी सरकार पर किसी तरह की विफलता का ठीकरा फोड़ना उचित नहीं हैं। इसलिए इस आपात स्थिति में देश की जनता का यह कर्तव्य है कि धैय रखें और खुद को घरो में कोरेंटाइन करें।

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