Tuesday, November 4, 2025
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पंचायत चुनाव: 34 फीसदी सीटों पर निर्विरोध जीत के बाद सवालों के घेरे में तृणमूल कांग्रेस

  " राज्य के पंचायत चुनाव में 58 हजार 692 सीटों पर चुनाव होना था। लेकिन 20076 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों ने निर्विरोध जीत दर्ज की है।"

पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल के कई उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं। सूत्र बताते हैं कि राज्य के 34.4 फीसदी सीटों पर बिना चुनाव लड़े ही तृणमूल का कब्जा हो गया। आंकड़ों के मुताबिक राज्य के पंचायत चुनाव में 58 हजार 692 सीटों पर चुनाव होना था। लेकिन 20076 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों ने निर्विरोध जीत दर्ज की है। यह किसी पार्टी द्वारा निर्विरोध जीत का देश में अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। मतलब की राज्य की पंचायत की एक तिहाई सीटों पर तृणमूल कांग्रेस ने बिना चुनाव लड़े ही जीत हासिल कर ली। राज्य में पंचायत चुनाव 14 मई को होना है।

वाकई यह हैरान करने वाली घटना है। लोकतंत्र में कुछ सीटों पर तो निर्विरोध जीत मानी जा सकती है, लेकिन इतनी सीटों पर निर्विरोध जीत से सवाल खड़े हो रहे हैं। इस जीत के बाद जहां तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की दलील है कि हमारी सरकार ने इतना ज्यादा विकास किया है कि ज्यादातर उम्मीदवारो ने तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारो के खिलाफ चुनाव लड़ना उचित नहीं समझा।

जबकि, निर्विरोध जीत के बाद बीजेपी, कांग्रेस का कहना है कि राज्य में त्रृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने डर का माहौल बना रखा है। नामांकन भरने वाले उम्मीदवारों को जान से मारने की धमकी दी जा रही है। बीजेपी और कांग्रेस की बातों में इसलिए दम है कि नामांकन भरने जा रहे उम्मीदवारों पर हमले के बाद न्यायालय ने इसे संज्ञान में लिया था। न्यायालय ने राज्य में चुनाव आयोग से कहा था कि उनके लिए नामांकन भरने की व्यवस्था की जाये। न्यायालय के आदेश के बाद वहां के चुनाव अधिकारियों ने सोशल मीडिया अर्थात व्हाट्सऐप से नामांकन फार्म भरने की सुविधा प्रदान की। मतलब घर पर नामांकन फार्म भरने के बाद उम्मीदवारों ने उसकी फोटो खीचकर व्हाट्सऐप के माध्यम से चुनाव अधिकारी के पास भेज दिया। चुनाव कार्यालय ने उस फार्म को मान्य करार दिया।

वाकई यह सुनकर हैरानी होती है कि उम्मीदवारों के साथ इस तरह के वार्ताव किये जा रहे हैं, फिर भी पश्चिम बंगाल की सरकार कह रही है कि राज्य प्रगति की राह पर है और विपक्षी पार्टियां विशेषकर बीजेपी ने यहां का माहौल खराब किया है। लेकिन जो खबर और तस्वीरें सामने आ रहे है उससे तो पश्चिम बंगाल सरकार की शासनिक-प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। जहां अवाम को चुनाव लड़ने से रोका जा रहा है तो वहां सब कुछ ठीक कैसे है।

पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों में अब तक माहौल शांत नहीं हुए हैं। साम्प्रदायिक दंगों के कारण राज्य के कई क्षेत्रो में अराजक स्थिति बनी हुई है। इस मामले में बीजेपी सत्तारूढ़ पार्टी पर आरोप लगाती है वहीं सत्तासीन तृणमूल का कहना है कि बीजेपी चुनाव जीतने के लिए राज्य में हिन्दू कार्ड खेल रही है, जिससे प्रदेश का माहौल बिगड़ रहा है । राज्य सरकार भले ही दलील दे लेकिन पश्चिम बंगाल की सियासी तस्वीरें बहुत कुछ बयां कर रही है। अवाम की आवाज  वहां दबाई जा रही है, इसका ताजा उदाहरण देखने को मिल रहा है कि उम्मीदवार चुनाव कार्यालय में जाने से डरने लगे हैं।

बहरहाल, पंचायत चुनाव में त्रृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों ने  एक तिहाई  सीटों पर निर्विरोध जीत दर्ज की है। इस जीत के बाद बीजेपी, कांग्रेस, माकपा अर्थात सभी मुख्य विपक्षी पार्टियों ने तृणमूल कांग्रेस की सरकार पर प्रदेश में अराजकता फैलाने का आरोप लगाया है।

पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का दूसरा टर्म चल रहा है। दोबारा सत्ता में आने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने सेफ गेम खेलना शुरू किया है। पहले यही खेल वामपंथी खेलते थे, जिससे वाम पार्टी ने वहां लम्बे अरसे तक राज किया। विपक्षी दलों के आरोप है कि ममता बनर्जी की सरकार विरोधियों को दबाने के लिए शासनिक प्रशासनिक शक्तियों का गलत इस्तेमाल कर रही हैं। बीजेपी का कहना है कि ममता बनर्जी की सरकार पश्चिम बंगाल में कम्यूनल गेम खेल रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य में ज्यादा सीटें जीतने के लिए मुसलमानों में डर पैदा कर रही है।

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