नीतीश कुमार फिर करने जा रहे हैं खेला, एनडीए ने बंद दरवाजा खोला !

मंझधार में नीतीश कुमार, फिर नयी सियासी पिच तैयार!
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एनडीए के खिलाफ विपक्षी दलों के गठबंधन के प्रमुख सूत्रधार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इंडिया अलायंस से मोहभंग होता दिख रहा है। इंडिया अलायंस की हुई अब तक की बैठकों से नीतीश कुमार के हित में कोई महत्वपूर्ण फैसले नहीं लिये गये। सिर्फ उन्हें विपक्ष के नेताओं द्वारा बरगला कर रखा गया है।
जिन उन्मीदों को लेकर नीतीश कुमार ने विपक्षी धड़ा को मजबूत किया, शायद वह अब पूरी होती नहीं दिख रही है। जब महागठबंधन एक आकार ले रहा था तब नीतीश कुमार को पीएम उम्मीदवार बनाये जाने की बात कही गई थी। लेकिन उन्हें इंडिया अलायंस के कन्वेनर बनाये जाने पर भी सहमति नहीं बन पायी। इसलिए गत साल 29 दिसम्बर को दिल्ली में हुई डिजिटल बैठक में नीतीश कुमार ने इंडिया अलायंस में किसी भी पद को लेने से इनकार कर दिया।
बता दें कि इससे पहले हुई इंडिया अलायंस की बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को पीएम उम्मीदवार बनाये जाने की वकालत की थी, जिसपर आम आदमी पार्टी सहित कई दलों ने सहमति जता दी थी। इससे नीतीश कुमार को यह समझ में आ गया कि इंडिया अलायंस अब उनके महज खानापूर्ति की जगह है। यहां उनका राजनीतिक भविष्य मंझधार में दिख रहा है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब ठगा सा महसूस कर रहे है। जदयू के नेताओं द्वारा अब दिये जा रहे है बयानों से ऐसा लग रहा है कि नीतीश कुमार जल्दी ही किसी नये फैसले पर विचार कर सकते हैं। उन्हें इस बात का शायद अहसास भी हो रहा है कि एनडीए से नाता तोड़ता उनकी बड़ी भूल थी। जबकि विशेषतौर पर बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल में लोकसभा सीटों के बंटवारे पर इंडिया अलायंस में घटक दलों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है।
सीटों को लेकर बिहार में राजद और जदयू के बीच तनातनी बढ़ती दिख रही है। बिहार की 40 लोकसभा सीटों को लेकर महागठबंधन किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा है। जदयू 16 सीटों की मांग कर रही है। उतनी ही सीटें राजद भी अपने पास रखना चाहती है। जबकि, बिहार में कांग्रेस एवं अन्य सहयोगी दल भी अधिक सीटो की मांग कर रहे हैं।
जदूय ने इंडिया अलायंस में होने के बावजूद बिहार की कई लोकसभा सीटों पर अपनी उम्मीदवारी पर दावा ठोक दिया है। जदयू के इस फैसले पर राजद के मुखिया लालू प्रसाद यादव बेचैन हो गये हैं। उनका कहना है कि सीटों को लेकर जदयू की जल्दीबाजी ठीक नहीं है।
इसी संदर्भ में गत दिनों लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के आवास पर उनसे मिलने गये थे। हालांकि तेजस्वी यादव नेे मीडिया के सामने यह जताने का प्रयास किया कि सीटों को लेकर जदयू और राजद के बीच किसी तरह के मतभेद नहीं है। जबकि, हकीकत है कि इंडिया अलायंस में अंतविरोध तेजी से बढ़ता दिख रहा है।
अयोध्या में राम मंदिर प्रमाण प्रतिष्ठा के निमंत्रण को कांग्रेस द्वारा ठुकराये जाने के बाद इंडिया अलायंस के कई घटक दल अहसहजता की स्थिति में हैं। उन दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को लग रहा है कि कहीं कांग्रेस की अदूरदर्शिता घटक दलों पर भारी ना पड़ जाये।
जदयू इंडिया अलायंस में होेने के बावजूद खुद कोे अलग थलग महसूस कर रही है। क्योंकि, जदूय के हिस्से में कुछ नहीं आया है। नीतीश कुमार की यह सियासी पारी मुश्किल दौर से गुजर रही है। सर्वे बता रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में राम लहर में बीजेपी अप्रत्याशित जीत हासिल कर सकती है।
खबर यह भी है कि एनडीए की ओर से नीतीश कुमार को लेकर हरी सिग्नल दे दी गई है।नीतीश कुमार के प्रति बीजेपी के नरम रूख के बाद जदयू नेता और बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी द्वारा सकारात्मक बयान दिये गये है। जिसके बाद आने वाले समय में नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने के कयास लगने शुरू हो गये। अब नीतीश कुमार को तय करना है कि उन्हें इंडिया अलायंस में रहना है या एनडीए में जाना है।
सियासत में ना कोई स्थायी दोस्त होता है और ना दुश्मन। यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है कि कौन किस पाले में जायेगा। देखना यह है कि आने वाले समय में नीतीश कुमार क्या कदम उठाते हैं।