श्रीराम मंदिर निर्माण में आचार्य विक्रमादित्य ने दान स्वरूप दी एक लाख रूपये की धनराशि
1 min readविश्व हिन्दू परिषद के जिला कार्यालय के उद्घाटन के दौरान आचार्य विक्रमादित्य ने श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए एक लाख रूपये की धन राशि को दान स्वरूप देने का उदघोष किया है।
नई दिल्ली। दिल्ली के यमुना पार स्थित बैंक इंक्लेव (गांधी नगर) में कल विश्व हिन्दू परिषद के जिला कार्यालय का उद्घाटन विवेकानंद नेचरक्योर हॉस्पीटल एंड योगाश्रम के निदेशक एवं धर्म गुरू आचार्य विक्रमादित्य के कर कमलों द्वारा किया गया। इस अवसर पर आचार्य लोकेश मुनि सहित विश्व हिन्दू परिषद के कई शीर्ष नेता एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे। कार्यालय के उद्घाटन के पश्चात, राष्ट्रहित एवं धर्महित संबंधी मुद्दों पर भी उपस्थित गणमान्य लोग अपने-अपने विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर आचार्य विक्रमादित्य ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में एक कलंक का विध्वंश हुआ है और अब स्वाभिमान के निर्माण की बेला आ गई है। उन्होंने कहा कि पिछली 25 पीढ़ियों को यह सौभाग्य प्राप्त नही हुआ, लेकिन हम सभी खुशकिस्मत हैं कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण कार्य को देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मंदिर निर्माण के पश्चात जल्द ही हमलोग वहां जाकर पूजा-अर्चना भी करेंगे।
यह हमारे पूर्वजों द्वारा किये गये अथक प्रयासों के प्रतिफल हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद श्रीराम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
इस अवसर पर आचार्य विक्रमादित्य ने श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए एक लाख रूपये की धन राशि को दान स्वरूप देने का उदघोष किया है। उन्होंने कहा कि देश के सभी भाई बंधुओं और भारतीय संस्कृति को मानने वालों को श्रीराम मंदिर निर्माण कार्य में अपना योगदान तन-मन और धन से देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कहा कि पूर्व की सरकारों की तुष्टिकरण की नीतियों के कारण इस देश में सबसे अधिक नुकसान भारतीय संस्कृति का हुआ है। आचार्य विक्रमादित्य के मुताबिक, कालांतर में हिन्दू धर्म और धर्माम्लम्बियों पर इतना अत्याचार किया गया है कि इस देश की नयी पीढ़ी हिन्दू धर्म से बिमुख हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि, भारतवर्ष में यह दौर राष्ट्रवाद एवं धर्म चेतना के विस्तार का दौर है जो हजारों वर्ष बाद प्राप्त हुआ है। इसलिए अब सुनने एवं कहने का समय नहीं है बल्कि अपने दायित्वों के अनुसार कुछ करने का समय आ गया है। भारतीय संस्कृति को मानने वालों को यह परम सौभाग्य प्राप्त हुआ है कि वह अपने जीवन काल में पुरूषोत्तम श्रीराम के भव्य मंदिर को देख सकेंगे, जिनका हमारे पूर्वजों ने कई सदियों तक इंतजार किया ।