बिहार में एसआईआर से किसी को भी दिक्कत नही है सिवाय विपक्ष के। जिन वोटर्स के नाम किसी कारणवश मतदाता सूची से हटाये गये हैं वह तो किसी भी पार्टी के हो सकते हैं। लेकिन, विपक्ष इस तरह हो-हल्ला कर रहा है जैसे उनका वोट कट गया हो। अभी से ही उन्हें हारने की चिंता सता रही है। – सुधांशु त्रिवेदी, बीजेपी नेता
चुनाव आयोग द्वारा बिहार में एसआईआर अर्थात स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के बाद आंकड़े जारी कर दिये गये हैं। मतदाता पुनरीक्षण के बाद लगभग 66 लाख मतदाताओं के नाम हटाये गये हैं। बिहार के किस जिले से कितने वोटर्स के नाम हटे हैं इसकी सूची भी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। एक अगस्त को नयी सूची जारी कर दी गई है। जिनका नाम किसी कारणवश छूट गया है उन्हें अपना नाम जुड़वाने एवं नाम-पता में सुधार करवाने के लिए एक महीने का समय दिया गया है। एक सितम्बर को फाइनल लिस्ट जारी होगी।
66 लाख मतदाताओं के नाम हटने के बाद बिहार के मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने इसपर शंका जाहिर की है। राजद का कहना है कि चुनाव आयोग की मंशा ठीक नहीं है। यह गरीबों, वंचितों के मताधिकार को छीनने की साजिश हैं। केन्द्र सरकार के इशारे पर चुनाव आयोग काम कर रहा है।
इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होना है। चुनाव से कुछ महीने पहले राज्य के मतदाताओं का चुनाव आयोग द्वारा विशेष गहन पुनरीक्षण कराया गया है। ज्ञात हो कि, चुनाव आयोग द्वारा 24 जून 2025 को नोटिफिकेशन जारी की गई और 25 जून से मतदाता पुनरीक्षण का कार्य शुरू कर दिया गया। 25 जुलाई स्पेशल इंटेसिव रिवीजन की अंतिम तिथि थी।
एसआईआर से पहले बिहार के मतदाताओं की संख्या 07 करोड़ 89 हजार 844 थी। वहीं, रिवीजन के बाद 7 करोड़ 24 लाख 5 हजार 756 हो गई। यानि की 65 लाख चौसठ हजार 75 वोटर्स के नाम मतदाता सूची से हटाये गये हैं।
प्राप्त जानकारी मुताबिक, बिहार में 14 लाख वोटर्स मृतक हो चुके हैं। 15.5 लाख वोटर्स बिहार छोड़ चुके हैं। जबकि 7 लाख वोटर्स अन्य राज्यों में अपना नाम मतदाता सूची में दर्ज करा चुके हैं। 8 लाख के करीब ऐसे मतदाता है जो बिहार में ही कई स्थानों पर अपना नाम मतदाता सूची में दर्ज कराये हुए हैं। जबकि, लगभग 14 लाख वे लोग हैं जो मतदाता सूची में अंकित पते पर बीएलओ को नहीं मिले हैं। 7 लाख ऐसे मतदाता है जिनके दस्तावेज तथ्यात्मतक तौर पर सही नहीं पाये गये हैं। हालांकि उन्हें दावा करने का एक महीने का समय दिया गया है। चुनाव आयोग का कहना है कि किसी भी वैध मतदाता का नाम नहीं छूटेगा।
चुनाव आयोग के बहाने विपक्षी दल बीजेपी से आर-पार के मूड में हैं। विपक्ष चुनाव आयोग द्वारा स्पेशल इंसेंटिव रिवीजन पर संसद में चर्चा कराना चाहता है। बिहार में एसआईआर की प्रक्रिया को निरस्त करवाना चाहता है। बिहार में मतदाता पुनरीक्षण को लेकर विपक्षी दलों ने इसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाकर कई दिन संसद नहीं चलने दी है और संसद की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
हालांकि, चुनाव आयोग पर विपक्ष के राजनीतिक दबाव पर कोई असर नहीं पड़ा। चुनाव आयोग का कहना है कि एसआईआर एक सामान्य प्रक्रिया है। इसे बेवजह मुद्दा बनाया जा रहा है। विपक्षी दलों के द्वारा मतदाता पुनरीक्षण कार्य पर रोक लगाने की भरपूर कोशिश की गई। चुनाव आयोग के खिलाफ बिहार बंद करवाया गया। बिहार बंद के दौरान विपक्ष की एकजुटता भी दिखी। राजद कांग्रेस, सीपीआई सहित कई राजनीतिक दल भी चुनाव आयोग के खिलाफ आयोजित बिहार बंद में शामिल हुए।
विपक्ष ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन को लेकर चुनाव आयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी, लेकिन सर्वाेच्च अदालत ने एक शीर्ष संवैधानिक संस्था के अधिकार क्षेत्र में दखल देने से इनकार कर दिया। हालांकि, सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को इतना सुझाव जरूर दिया कि मतदाता गणना प्रपत्र में जिन ग्यारह सुचियों को शामिल किया गया है उसमें वोटर आईडी, आधार कार्ड, राशन कार्ड को भी शामिल करने पर विचार करना चाहिए। इसपर चुनाव आयोग ने कहा था कि मतदाता गणना प्रपत्र में वोटर आईडी के एपिक नंबर दर्ज हैं और आधार संख्या के लिए कॉलम बनाये गये हैं। लेकिन इससे उनकी नागरिकता की पुष्टि नही हो रही है।
राजद नेता तेजस्वी यादव का कहना है कि चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सत्यापन के लिए प्रपत्र में जिन 11 सूचियों को शामिल किया गया उनमें ज्यादातर वोटरों के पास उससेे संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं। बिहार के 60 फीसदी क्षेत्र में बाढ़ से लोग त्रस्त हैं। इस समय वह अपनी जानमाल की सुरक्षा करेंगे कि फार्म भरने के लिए जरूरी कागजात इकट्ठा करने के बारे में सोचेंगे। ऐसे समय में मतदाता पुनरीक्षण का कार्य तर्कसंगत नहीं है।
वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कहना है कि चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जिताने के लिए ऐसा कर रही है। बिहार में वोटों की चोरी की जा रही है। यहां तक तक कि राहुल गांधी ने धमकी भरे लहजे में कहा है कि चुनाव आयेाग के अधिकारी हो या कर्मचारी। वह सेवा में हो या रिटायर हो जायें। उन्हें हम छोड़ेगें नहीं। वह किसके इशारे पर ऐसा कर रहे हैं, इसका जवाब तो उन्हें रिटायरमेंट के बाद भी देना पड़ेगा।
इसपर चुनाव आयेाग ने राहुल गांधी को कहा है कि उन्हें गैर-जिम्मेदाराना बयानों से बचना चाहिए। हमारे सभी सभी अधिकारी और कर्मचारी निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से काम कर रहे हैं। बहरहाल, इस मसले पर सियासी संग्राम जारी है। पक्ष-विपक्ष एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं।
एनडीए घटक में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (आर) के सांसद चिराग पासवान का कहना है कि बिहार में एसआईआर से विपक्ष को क्यों आपत्ति हो रही है। चुनाव आयोग बिहार में फर्जी मतदाताओं की जांच करवा रहा है। बहरहाल, एनडीए के खिलाफ विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा मिल गया और इसे भूनाने मे कोई कसर नहीं छोड़ेगा। बिहार में दिसम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव में विपक्ष के लिए यह बड़ा मुद्दा रहेगा।




