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मेवात पर पूर्व जस्टिस पवन कुमार की रिपोर्ट भयावह सच को उजागर करती है

2020 में मेवात में जबरन धर्मांतरण और दलित महिला के साथ बलात्कार की जांच के लिए एक कमिटी गठित की गई थी। इस कमिटी के अध्य़क्ष डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के पूर्व जज पवन कुमार ने मेवात में बढ़ते अपराधों पर चिंता जाहिर करते हुए एक रिपोर्ट पेश की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि मेवात में हिन्दुओं की स्थिति पाकिस्तान से भी बदतर है।

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हरियाणा का मेवात जिला दिल्ली से 85 किलोमीटर की दूरी पर है।  हरियाणा के सभी 22 जिलों में नूंह और मेवात को बहुत ही पिछड़ा माना जाता है। नूंह और मेवात दोनो पास में ही है। इस क्षेत्र में 74 फीसदी आबादी मुसलमानों की है। पिछले कुछ सालों से नूंह और मेवात का क्षेत्र अवैध कारनामों के लिए देश भर में चर्चित है।

पिछले कुछ सालों से इस क्षेत्र को इस्लामी धर्मांतरण का मुख्य केन्द्र भी माना जा रहा है। मेवात से ही तबलीगी जमात का जन्म हुआ है। मेवात में जबरन धर्मांतरण, दलित महिलाओं के साथ रेप, गाय तस्करी, ड्रग्स, हत्या, साइबर फ्रॉड की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है।

हरियाणा के मेवात से सटे नूंह में पिछले दिनों साम्प्रदायिक दंगा भड़की थी। इस्लामी भीड़ ने हिन्दुओं की धार्मिक यात्रा पर पथराव किया था। यह दोनों इलाका बहुत ही संवेदनशील माना जाता है।

कुछ इतिहासकारों का कहना है कि मेवात राजपूतों का गढ़ रहा है। लेकिन कलांतर में इस्लामी धर्मांतरण के कारण उस समय के राजपूत मुसलमान बन गये। मेवाती भी मानते हैं कि उनके पूर्वज राजपूत थे। पिछले कुछ सालों से मेवात गलत कारणों से चर्चा में है। इस क्षेत्र में जबरन धर्मांतरण, दलित महिलाओं के साथ अत्याचार, हिंसा, लूट और साइबर फ्रॉड की घटनाओं में तेजी आई है।

विदित हो कि 2020 में मेवात में जबरन धर्मांतरण और दलित महिलाओें के साथ बलात्कार की जांच के लिए एक कमिटी गठित की गई थी।  इस कमिटी के अध्य़क्ष डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के पूर्व जज पवन कुमार ने मेवात में बढ़ते अपराधों पर चिंता जाहिर करते हुए एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि मेवात में हिन्दुओं की स्थिति पाकिस्तान से भी बदतर है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मेवात दलितों के लिए कब्रगाह बनता जा रहा है।
पिछले कई वर्षों से यह क्षेत्र गलत वजहों से मीडिया में चर्चा का विषय बन रहा है। पूर्व न्यायाधीश की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मेवात के 503 गांवों में से 103 गांवों में हिन्दुओं की आबादी लगभग समाप्त हो चुकी है और अब यहां मवेशी भी सुरक्षित नहीं हैं। जबकि 84 गांवों में हिन्दुओं के परिवार महज 4-5 ही बचे हैं।

बदलते डेमोग्राफी पर पूर्व जस्टिस पवन कुमार ने उस समय कहा था कि अगर इस क्षेत्र में शासन-प्रशासन के नियंत्रण में चूक हुई तो यह क्षेत्र अपराध का बड़ा अड्डा बन जायेगा और वहां लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन होगा। पूर्व जस्टिस पवन कुमार की सारी बातें आज मेवात पर सही होते दिख रही है।

जमीनी स्तर पर जाकर आप देखेंगें तो पता चलेगा कि इस क्षेत्र के गैर मुस्लिम लोगों को पूजा-पाठ या अन्य धार्मिक कर्मकांड से लेकर अंतिम संस्कार करने में भी कई अड़चने आती है। हिन्दू विहीन होते गांव में मंदिरों और श्मशान घाटों पर भी वहां के मुसलमानों ने कब्जा कर लिया है।

आशय यह है कि जिस क्षेत्र में मुसलमानों की आबादी बढ़ जाती है तो वहां होने वाले जुर्म के खिलाफ कदम उठाने में पुलिस-प्रशासन भी लाचार दिखता है। ऐसे क्षेत्र में विकास की भी योजनाएं ठप्प पड़ जाती है या उसकी रफ्तार धीमी हो जाती है।

नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार देश के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में मेवात का नाम सबसे उपर है। विशेषतौर पर यहां की साक्षरता दर भी कम है। लेकिन हैरानी की बात है कि मेवात का इलाका साइबर क्राइम का बड़ा अड्डा बनता जा रहा है।

इसलिए इस इलाके को दूसरा जामताड़ा और मिनी पाकिस्तान भी कहा जाता है। जामताड़ा झारखण्ड का एक बहुत ही पिछड़ा जिला है जो साइबर फ्रॉड के कारण देश दुनिया में चर्चा में आया था।

नूंह और मेवात को इतना संवेदनशील माना जाता है कि कोई पुलिसकर्मी भी इस इलाके में अकेले जाना पसंद नहीं करता। उन पर खतरे की आशंका बनी रहती है। सूत्र बताते हैं नूंह और मेवात में अवैध कारोबार तेजी पनप रहे हैं। हाल के वर्षो में दिल्ली एवं दिल्ली के आस-पास होने वाले कई लूट एवं महिलाओं के साथ अत्याचार के तार मेवात से जुड़े हैं।

नूंह साम्प्रदायिक दंगे में कई रोहिंग्या पकड़े गये हैं। पिछलेे कुछ सालों में मेवात और नूूंह में रोहिंग्या की आबादी तेजी से बढ़ी है। रोहिंग्या चाहे देश के जिस क्षेत्र में रह रहे हो उनकी अवैध गतिविधियों में संलिप्तता पायी जाती है।

सरकारी सूत्रों के अनुसार नूंह साम्प्रदायिक दंगे में रोहिंग्या की संलिप्तता भी पायी गई है। सरकार ने नूंह में करीब ढाई सौ से ज्यादा रोहिंग्याओं के घरों पर बुलडोजर चलवा दिया। ये सभी अवैध तरीके से सरकारी जमीन पर कब्जा करके रह रहे थे। पिछले कुछ सालों से इस क्षेत्र में अवैध तरीके से रोहिंग्या को बसाया जा रहा है, जो राष्ट्र की सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती है।

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