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भारत की सांस्कृतिक पहचान को पुनर्जीवित करने का प्रयास

भारत अपनी खोयी हुई गरिमा को प्राप्त करने और अपनी सांस्कृतिक पहचान को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहा है। क्योंकि हजारों वर्षाे की गुलामी की बेड़ियों से जब यह देश आजाद हुआ तो भारत की सांस्कृतिक कारक तत्वों में कई तरह की बिसंगतियों को वामपंथी और सेक्युलरवादियों ने शामिल कर दिया।

धर्म, सभ्यता और संस्कृति देश के मूल विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं। लेकिन इस देश की पिछली सरकारों ने ही भारत की सांस्कृतिक मूल तत्वों को छति पहुुचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। यही कारण है कि इस देश की सांस्कृतिक विचारों, मान्यतओं और उससे जुड़ी आस्था के प्रति उदासीन है।

नरेन्द्र मोदी की सरकार भारत और सनातन की जड़ों को मजबूत करने पर कार्य रही है। हमारे कई धर्मशास्त्रों में भारत का नाम भारतवर्ष, जम्बूद्वीप, आर्यावर्त, भारतखण्ड…. है और हम सभी सनातन पूजा पद्वति में इन्हीं नामों का उच्चारण भी करते हैं। इंडिया तो अंग्रेजों के द्वारा दिया गया नाम है।

जी-20 समिट में केन्द्र सरकार ने अतिथियों के स्वागत के लिए सरकारी प्रपत्रों में भारत का जिक्र किया है जिसे देखकर यहां के विपक्षी दलों ने इसपर आपत्ति जाहिर की है। जी-20 में शामिल गणमान्य हस्तियों को रात्रिभोज कार्यक्रम के दौरान निमंत्रण पत्र में ‘‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’’ का उल्लेख है।

यहीं से विवाद शुरू हुआ कि क्या केन्द्र सरकार आधिकारिक तौर पर इंडिया का नाम भारत करने जा रही है। भारत नाम के संदर्भ में पिछले कुछ दिनों से बेमतलब की बयानबाजी हो रही है और विपक्षी दलों ने बहस का मुद्दा इंडिया बनाम भारत कर दिया है।

विपक्षी दलों द्वारा अटकलें लगायी जा रही है कि 18 से 22 सितम्बर तक चलने वाले विशेष सत्र के दौरान केंद्र सरकार इंडिया का नाम भारत कर सकती है। केन्द्र सरकार ऐसा ना कर सके इसलिए विपक्षी दल मुखर होकर विरोध कर रहे हैं।

हम सभी जानते हैं कि भारत इस देश का मूल उपनाम है। भारत शब्द एक भौगोलिक संरचना का प्रतीकवाद है जिसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। भारत नाम हमारी प्राचीन सांस्कृतिक विरासतों का प्रतिनिधित्व करता है। महान राजा भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा है।

सदियों से विविधिताओं को समेटे हुए भारत आज सांस्कृतिक एकता और प्रगतिशील देश के रूप में पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाबी पायी है। इसका श्रेय पीएम नरेन्द्र मोदी को दी जानी चाहिए।

नरेद्र मोदी सरकार की कार्य्रप्रणाली से विविधता और एकता के साथ भारत को आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ है। यह मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है। इस देश में पहले कभी नहीं देखा गया कि भारत की संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए कोई सरकार संकल्प के साथ काम किया हो।

किसी भी देश का नाम उस देश की अस्मिता और उसकी सांस्कृतिक-ऐतिहासिक विरासतों का प्रतिनिधित्व करता है और वहां के लोगों को गौरव की अनुभूति कराता है। अगर केन्द्र सरकार इस देश का नाम अधिकारिक स्तर पर भारत करने जा रही है तो हम सभी को इसकी सराहना करनी चाहिए।

जबकि, भारत सरकार की ओर से अभी तक इसपर किसी तरह के बयान जारी नहीं किये गये हैं। अगर केन्द्र सरकार इस देश का नाम भारत कर देती है तो विपक्ष को इससे क्या परेशानी है यह समझ से परे है।

येे एजेंडाविहीन राजनीतिक दल भारत सरकार के हर कदम का विरोध करते हैं जो तर्कसंगत नहीं लगता है। सेक्युलरवाद के चश्मे से देश को देखने वाले नेता यह बताये कि प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखने से किसका क्या नुकसान होने जा रहा है।

 

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