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इलेक्शन रिव्यू: इंडिया अलायंस के लिए कांग्रेस जरूरी या मजबूरी ?

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद विपक्षी दलों के इंडिया घटक में सबकुछ ठीक नहीं है। यही कारण है कि इंडिया गठबंधन की बैठक बार-बार टल रही है। पहले इंडिया गठबंधन की बैठक की तारीख छह दिसम्बर तय की गई। लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, सपा नेता अखिलेश यादव, आम आदमी पार्टी सहित दलों के नेताओं ने बैठक में शामिल होने से इंकार कर दिया। अंत में कांग्रेस नेता मल्ल्किार्जुन खड़गे ने बैठक को रद्द किये जाने की घोषणा की।

उसके बाद इंडिया गठबंधन के एक शीर्ष नेता द्वारा 12 दिसम्बर को विपक्षी दलों की बैठक की बात कही गई। लेकिन एक दिन बाद कहा गया कि 12 दिसम्बर को इंडिया गठबंधन की बैठक नहीं होगी। जल्दी ही नयी तारीख तय की जायेगी। अब इंडिया गठबंधन से खबर आ रही है कि 19 दिसम्बर को बैठक होनी है। लेकिन इसपर भी संशय है। क्योंकि बैठक कहां होगी इसकी जानकारी नहीं दी गई है।

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक राज्य तेलंगाना को छोड़कर कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली है। परिणाम के बाद इंडिया गठबंधन के कुछ दल कांग्रेस पार्टी से खासा नाराज हैं। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की बात करें तो मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर दोनों दलों के बीच सहमति नहीं बनी। सपा ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा से लगे विधानसभा सीटों पर कांग्रेस से सीट शेयर करने को कहा था। लेकिन कांग्रेस ने एक भी सीट सपा को नहीं दी तब समाजवादी पार्टी को अकेले चुनाव लड़ना पड़ा।

परिणाम स्वरूप सपा का खाता भी नहीं खुला। इस हार के लिए सपा कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराती है। सपा के आंतरिक सूत्र कहते हैं कि जब तालमेल ही नहीं है तो लोकसभा चुनाव में इनसे क्या उम्मीद की जा सकती है। यही कारण बैठक बार-बार टाल दी जा रही है। क्योंकि कई दल बैठक के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। हालांकि विपक्ष के कुछ नेताओं को उम्मीद है कि समय के साथ सबकुछ ठीक हो जायेगा।

राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू प्रसाद यादव कहते हैं कि हम सब एकजुट होकर एनडीए के खिलाफ लोकसभा चुनाव में लड़ेंगे। लेकिन हकीकत यही है कि परिणाम आने के बाद इंडिया गठबंधन के नेताओं ने कांग्रेस को उनकी हैसियत का अहसास करा दिया है।

इंडिया गठबंधन में ऐसे कई दल शामिल है जो कांग्रेस के खिलाफ चुनाव मैदान में थे। समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, जदयू… आदि राजनीतिक दल इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं। लेकिन कांग्रेस पार्टी के साथ इनका 36 का आंकड़ा हैं। कहा जा सकता है कि यह चुनाव परिणाम इंडिया गठबंधन की एकजुटता में भी पलिता लगा दिया है।

राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए इंडिया गठबंधन में कई पार्टियां भले ही शामिल हों लेकिन उनके वैचारिक मेल नहीं खा रहे हैं। देखा जाये तो पांच राज्यों के चुनाव परिणाम से इंडिया गठबंधन में खलबली मची है। लेकिन यह दिखाने की कोशिश की जा रही है इंडिया गठबंधन पर इस हार से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।

घटक दल सीटों को लेकर पहले भी आपस में टकरा चुके हैं। दिल्ली में लोकसभा सीट को लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच जमकर बयानबाजी भी हुई है। ममता बनर्जी भी कांगेस को सीटों को लेकर नसीहत दे चुकी हैं। समाजवादी पाटी के साथ कांग्रेस की तल्खी सीट शेयरिंग को लेकर ही बढ़ी है।

अब देखना यह है कि इंडिया गठबंधन कितनी मजबूती के साथ 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को टक्कर देता है या सीटों को लेेकर कई दल अलग रास्ता अख्तियार करते हैं। क्योंकि, इंडिया गठबंधन में भी दो गुट बन चुके हैं जिसमें एक गूट कांग्रेस को साथ लेकर चलना चाहता है जबकि दूसरा गूट कांग्रेस से अलग मोर्चा बनाने की हिमायती है।

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