उपचुनाव में दस फीसदी वोट: पीके की पार्टी ‘जन सुराज’ ने उड़ा दी दिग्गज नेताओं की नींद
1 min read‘जन सुराज’ का आगाज ऐसा है तो आगे क्या होगा ?
………………………
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की पार्टी ‘जन सुराज’ के गठन के बाद मैने दिल्ली में एक चर्चा के दौरान अपने साथियों से कहा था कि इस पार्टी से सबसे ज्यादा नुकसान बिहार में आरजेडी को होने वाला है। चार विधानसभा के उपचुनावों के परिणाम उसी के अनुरूप निकले हैं।
…………………
बिहार में चार विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम ने बड़े-बड़े नेताओं की नींद उड़ा दी है। बिहार में इमामगंज, बेलागंज, रामगढ़ और तरारी विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए थे। इसके परिणाम हैरान करने वाले हैं।
प्रशांत किशोर की नवगठित राजनीतिक पार्टी जन सुराज के उम्मीदवारों के चुनाव मैदान में उतरने के बाद चारों विधानसभा सीटों पर जातीय समीकरण बिगड़ गये। वोटों के बिखराव का फायदा बीजेपी को मिला है। चारो विधानसभा सीट एनडीए के खाते में गई।
जन सुराज का चुनाव में डेब्यू हो चुका, लेकिन एक भी सीट नहीं जीतने पर कई राजनीतिक समीक्षकों का कहना है प्रशांत किशोर का एजेंडा बिहार में नहीं चलेगा। बिहार में लोग मुर्गा और दारू पर वोट दे देते हैं। वहां चंद पैसों का लालच देकर नेता वोट खरीद लेते हैं।
प्रशांत किशोर उसी मानसिकता को बदलना चाह रहे हैं। उनकी राजनीतिक सक्रियता और जन जागरूकता का प्रभाव भी दिखने लगा है। बिहार मे चार विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भले ही प्रशांत किशोर की पार्टी के उम्मीदवार जीत नहीं पाये, लेकिन चुनाव परिणाम में जनसुराज के उम्मीदवार का तीन विधानसभा सीटों पर तीसरे नंबर पर और एक विधानसभा सीट पर चौथे नंबर पर आना बड़ी पार्टियों के लिए बड़ी चुनौती है। सिर्फ जीत-हार के पैमाने पर जनसुराज का आकलन करना ठीक नहीं है।
क्योंकि, चुनाव परिणाम के बाद जारी किये गये आंकडे़ सभी को हैरान कर रहे हैं। प्रशांत किशोर की पार्टी ने चारों विधानसभा सीट मिलाकर 66 हजार से ज्यादा वोट हासिल की है, भले ही वह वोट जीत में तब्दील ना हुए हों।
गया जिले के इमामगंज विधानसभा सीट से जनसुराज के उम्मीदवार जितेन्द्र पासवान को 37103 वोट मिले हैं। जबकि बेलागंज विधानसभा सीट पर जनसुराज के उम्मीदवार मोहम्मद अमजद ने 17 हजार 285 वोट हासिल किये। भोजपुर जिले के तरारी विधानसभा सीट से किरण सिंह को 5622 वोट मिले वहीं कैमूर जिले के रामगढ़ विधानसभा सीट से सुशील कुमार सिंह 6513 वोट हासिल किये। टोटल वोट की बात करें तो प्रशांत किशोर की डेब्यू पार्टी जन सुराज ने 66523 वोट हासिल की है।
हार जीत के पैमाने से इतर देखें तो जनसुराज का यह बेहतर प्रदर्शन कहा जा सकता है। दस फीसदी से ज्यादा वोट जन सुराज के हिस्से में आये हैं। जन सुराज के उम्मीदवारों के चुनावी मैदान में उतरने से पिछड़ा और अल्पसंख्यक वोट बिखरे हैं और इसी कारण विशेषकर आरजेडी के वह उम्मीदवार हार गये, जिनके जीतने की प्रबल संभावना थी।
बेलागंज विधानसभा सीट से राजद ने विश्वनाथ यादव को उम्मीदवार बनाया था। बेलागंज विधानसभा सीट पर पिछले तीन दशकों से डॉ. सुरेन्द्र यादव का दबदबा रहा है। डॉ. सुरेन्द्र यादव के जहानाबाद के सांसद बनने पर वह सीट खाली हो गई थी। उस सीट पर उन्हीं के पुत्र विश्वनाथ यादव को राजद ने उम्मीदवार बनाया। बेलागंज विधानसभा सीट जीतने के लिए आरजेडी के दिग्गज नेताओं ने रैलियां की, भाषण दिये।
लालू यादव की राजनीतिक विरासत संभालने वाले तेजस्वी यादव की रैली में भी खूब भीड़ जुटी, लेकिन वह भीड़ जीत में तब्दील नहीं हो सकी। बेलागंज सीट पर जदयू की उम्मीदवार मनोरमा देवी ने जीत दर्ज की है। रामगढ़ विधानसभा को भी राजद का गढ़ माना जाता हैं। रामगढ़ विधानसभा सीट पर भी आरजेडी के उम्मीदवार अजीत सिंह हार गये। अजीत सिंह राजद के शीर्ष नेता जगदानंद सिंह के पुत्र हैं। उस सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार अशोक कुमार सिंह को जीत मिली है।
गया के इमामगंज विधानसभा सीट पर जीतन राम मांझी की बहू एनडीए उम्मीदवार दीपा मांझी ने जीत दर्ज की है। आरजेडी के उम्मीदवार यहां भी हार गये। तरारी विधानसभा सीट पर भी एनडीए उम्मीदवार विशाल प्रशांत ने जीत दर्ज की है। आरजेडी के हिस्से में एक भी सीट नहीं आयी है।
बिहार में चार विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव के परिणाम से फिलहाल ना सत्तारूढ़ पार्टी को कुछ फर्क पड़ने वाला है और ना ही विपक्ष के लिए। लेकिन, इसके परिणाम ने जो संकेत दिये वह गठबंधन दलो को टेंशन बढ़ाने वाला हैं। अगर पीेके की पार्टी जनसुराज का आगाज ऐसा है तो आगे क्या होगा।
जन सुराज पार्टी का गठन 02 अक्टूबर 2024 को हुआ है। देखा जाये तो जनसुराज का बिहार में अभी पूरी तरह विस्तार नहीं हुआ हैं। बिहार के कई जिलो में जनसुराज की यूनिट/विंग की स्थापना अभी नहीं हुई है। बिहार में 2025 में जन सुराज पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी। प्रशांत किशोर की सक्रियता को देखकर बिहार में कई नेता परेशान नजर आ रहे हैं। 2025 का विधानसभा चुनाव जातिगत समीकरणों के आधार पर जीत पाना उनके लिए आसान नहीं होगा।
बिहार मे प्रशांत किशोर का एजेंडा लोगों को पसंद आ रहा हैं। प्रशांत किशोर अपने भाषण में युवाओं की परेशानी की बात करते हैं। रोजगार की बात करते हैं। बिहार की शैक्षणिक व्यवस्था की बात करते हैं। प्रवासी श्रमिकों की बात करते हैं। और इसके लिए पूर्व की सरकारों और वर्तमान सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं। जिससे राजद का कार्यकाल लोगों के निशाने पर आ जाता है।
राजद कार्यकाल में लचर शिक्षा-चिकित्सा व्यवस्था, रोजगार ठप, बढ़ते अपराध और अपहरण मामले पर प्रशासन लाचार, नरसंहार, वसूली गैंग से दुकानदार/व्यापारी परेशान, श्रमिकों का प्रवास और व्यापारियों का बिहार से पलायन।
इन सभी हालातों से बिहार के लोग वाकिफ हैं। प्रशांत किशोर यहीं पर चोट कर रहे हैं। वह बिहार के लोगों की जमीर को जगाने का प्रयास कर रहे हैं और कुछ हद तक प्रशांत किशोर को इसमें सफलता भी मिल रही है। उपचुनाव का परिणाम यही दर्शाता है।