रूस और यूक्रेन के बीच पिछले चार साल से युद्ध हो रहे हैं, लेकिन जीत हार का निर्णय नहीं हो पा रहा है। यूक्रेन यह युद्ध जीतने और हारने के नतीजों के लिए नहीं लड़ रहा हैं। पश्चिमी देशों द्वारा इस युद्ध में रूस को लम्बे समय तक उलझाकर रखने की रणनीति है।
पश्चिमी देश, यूरोपियन यूनियन और नाटो के सदस्य देश इस यूद्ध में यूक्रेन को आर्थिक एवं सैन्य सहायता प्रदान कर रहे हैं। लेकिन यह युद्ध यूक्रेन को कितना महंगा पड़ रहा है कि इसका अंदाजा इससे लगा लीजिए कि यूक्रेन की जीडीपी 2025 में पिछले महीने 3.3 प्रतिशत पहुंच गई है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अपनी राजनीतिक अदूदर्शिता के कारण अपने देश को पचास साल पीछे धकेल दिया। जेलेंस्की एक टीवी शो का कॉमेडियन स्टार रह चुके हैं। जेलेस्की की राजनीतिक छवि तो कभी बनी ही नहीं। जेलेंस्की ने यूक्रेन को विकट मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है, जहां से आगे की राह काफी चुनौतिपूर्ण है। इस युद्ध में यूक्रेन का जो नुकसान हो चुका है उसकी भरपाई क्या लम्बे समय तक संभव नहीं है। यूक्रेन के कुछ हिस्सों पर रूस ने कब्जा भी कर लिया है।
राजधानी कीव के साथ-साथ तीन और शहर युद्ध में हुई बर्बादी की गवाही दे रहे हैं। यूक्रेन के बड़े शहरों में होटल, हॉस्पीटल, स्कूल, कॉलेज, टूरिज्म स्पॉट सभी पूरी तरह बर्बाद हो चुके है। वहां के लोग मूलभूत जरूरतों के अभाव से गुजर रहे है। तीस-चालीस किलोमीटर तक बिजली पानी की आपूति अवरूद्ध हो चुकी है।
पिछले महीने यूरोपियन बैंक फोर रिकंस्ट्रक्शन एड डेवलपमेंट (ईबीआरडी) ने एक रिपोर्ट जारी किया है, जिसमें यूक्रेन की जीडीपी 2025 में 3.3 प्रतिशत बताई गई है। ईबीआरडी ने इसके लिए रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को मुख्य कारण माना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कि युद्ध में हुए नुकसान की वजह से निकट भविष्य में यूक्रेन की अर्थव्यस्था को पटरी पर लाना आसान नहीं होगा।
ईबीआरडी ने आगाह किया है कि अगर यूक्रेन अपने देश की जीडीपी बढ़ाने पर ध्यान नहीं देगा तो दुनिया के उन गरीब देशों में शामिल हो जायेगा, जिसे वैश्विक आर्थिक संस्थाएं दिवालिया कैटेगरी में रखती है।
सूरत ए हाल यही है कि रूस और यूक्रेन दीर्घकालीन युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं। रूस एक महाशक्ति देश है। वह अपनी नुकसान की भरपाई कर ले सकता है लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति की क्या मजबूरी है कि वह युद्ध से पीछे नहीं हटना चाह रहे हैं।
पिछले दिनों यूक्रेन द्वारा रूस में जो किया गया है उससे स्पष्ट हो गया कि यह युद्ध पश्चिमी देश लड़ रहे हैं। यूक्रेन को युद्ध की आग में झोककर पश्चिमी देश ताल ठोक रहे हैं।
दुनिया को हैरानी हो रही है कि बदहाली के कगार पर खड़ा यूक्रेन अब रूस पर भारी पड़ रहा है। यूक्रेन के सैनिकों ने रूस में चार हजार किलोमीटर अदर घुसकर तबाही मचाई थी। यह रूस का अब तक का सबसे बड़ा नुकसान बताया जा रहा है। यूक्रेन ने ड्रोन की मदद से रूस के 41 विमान और पांच एयरबेस को तबाह कर दिया और इसके लिए डेढ़ साल से तैयारी की जा रही थी।
रूस के राष्ट्रपति ब्लादमीर पुतिन ने युक्रेन को धमकी दी है कि इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। इसके बाद पश्चिमी देश अलर्ट हो गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दोनों के बीच संघर्ष विराम पर पहल कर रहे हैं।
अमेरिकी प्रशासन ने खुद मीडिया को बताया है कि दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों से राष्ट्रपति ट्रम्प की बात हुई है और सीजफायर पर बातचीत चल रही है। अब देखना यह है कि संघर्ष विराम होता है या रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन यूक्रेन की बर्बादी की गाथा लिखकर ही मानेंगे।




