पाक सेना की गोद में बैठी इमरान सरकार कश्मीर एजेंडे को आगे बढ़ा रही है
1 min readपुलवामा आतंकी हमला
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में वीभत्स आतंकी घटना से देश में उबाल है। भारत सरकार से बदले की कार्रवाई की मांग की जा रही है। भारत सरकार ने ऑल पार्टी मीटिंग बुलाकर आगे की रणनीति पर विचार कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की जनता को आश्वासन दिया है कि जवानों का बलिदान बेकार नहीं जायेगा। आतंकवादियों और उनके आकाओं को भी इस वीभत्स घटना की कीमत चुकानी पड़ेगी। पिछले 20 सालों में यह अब तक की सबसे बड़ी आतंकी घटना है। इस आतंकी हमले में अबतक 44 जवान शहीद हो चुके हैं और 30 से ज्यादा जवान गंभीर अवस्था में घायल हैं।
मोदी सरकार के कार्यकाल में यह दूसरी बड़ी आतंकी घटना है। इससे पहले 2016 में उरी में आर्मी कैम्प पर रात में आतंकियों ने हमला कर दिया था जिसमें 19 जवान शहीद हो गये थे। जिसके बाद केन्द्र सरकार के आदेश पर भारतीय फौज ने सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक कर पाक सेना सहित आतंकियों के कई शिविर तबाह कर दिये थे। हालांकि पाकिस्तान सरकार आज तक स्वीकार नहीं पायी कि भारतीय फौज ने उनकी जमीन पर जाकर आतंकी ठिकाने तबाह किये हैं।
जबकि पुलवामा में इतनी बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम देने वाला संगठन जैश ए मोहम्मद ने जिम्मेदारी लेकर पाकिस्तान की पोल खोल दी है। जैश ए मोहम्मद पाकिस्तान की धरती से संचालित होता है। यह संगठन इससे पहले भी कश्मीर में कई आतंकी घटनाओं का अंजाम दे चुका है। आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के संचालक मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करवाने की पूरजोर कोशिश भारत कर रहा है, लेकिन चीन इसमें रोड़ा बना हुआ है।
पुलवामा आतंकी घटना की पूरी दुनिया ने निंदा की है लेकिन काफी सोच समझकर एक दिन बाद औपचारिकतावश चीन ने निंदा की है। लेकिन जैश ए मोहम्मद के संचालक आतंकी मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी मानने से चीन ने साफ तौर पर इंकार कर दिया है। जबकि इस हमले की जिम्मेदारी खुद जैश ए मोहम्मद ने ली है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा है कि इस आतंकी घटना की हम कड़ी निंदा करते है, लेकिन जहां तक जैश ए मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर वैश्विक आतंकी ठहराने का मामला है तो हम इसपर विचार करेंगे। इस तरह पूर्वी एशिया में चीन की दोहरी नीति के कारण आतंकवाद को फैलने में मजबूती मिली है। सूत्र बताते हैं कि चीन पाकिस्तान का सबसे बड़ा मददगार है।
पाकिस्तान के अमेरिका के रिश्ते बिगड़ने के बाद पाक सरकार चीन की रहमतों पर चल रही है। इसके बदले में पाकिस्तान चीन को अपने देश में कई प्रोजेक्ट को चालू करने की अनुमति दे दी है। इसलिए दोनों देशों की दोस्ती में फिलहाल कोई अड़चन नहीं आये इसलिए मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी मानने से चीन इंकार कर रहा है। यूनाइटेड नेशन आज अगर मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी इसलिए घोषित नहीं कर पा रहा है कि क्योंकि उसका सबसे बड़ा पक्षकार चीन ही है। दोनों देशों की संयुक्त प्रोजेक्ट सीपीईसी के कारण चीन पाकिस्तान की मानवता विरोधी कार्यो को भी नजर अंदाज करता रहा है।
जबकि, पूरी दुनिया को पता है कि एशिया में आंतकवाद को फैलाने में पाकिस्तान का हाथ है और विगत तीन दशकों से यह देश आतंकवाद की फैक्ट्री को संचालित करता रहा है। इधर चीन की सरपरस्ती बढ़ने के कारण पाकिस्तान खुलेआम भारत को देख लेने की धमकी भी देने लगा है। कश्मीर मुद्दे को लेकर पाकिस्तान द्विपक्षीय वार्ता चाहता है लेकिन भारत पाकिस्तान की इस मांग को साफ तौर पर इंकार कर चुका है।
पाकिस्तान के नये हुक्मरान इमरान खान से भारत को काफी उम्मीदें थीे लेकिन पाक सेना की गोद में बैठी यह सरकार भी पूर्ववर्ती सरकार के एजेंडे पर ही काम करने में जुटी है। पाकिस्तान की सत्ता संभालते ही इमरान खान ने कश्मीर राग अलापकर भारत को आखें दिखाना शुरू कर दिया। पाकिस्तान कई सालों से कश्मीर को अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बनाना चाहता है। लेकिन पाक पोषित आतंकवादी संगठनों के बारे में जब दुनिया को पता चला तो विकसित देशों ने पाकिस्तान को तरजीह देना छोड़ दिया है।
कर्ज की बदहाली से गुजरता पाकिस्तान आज पूरी दुनिया के सामने रहमत की भीख मांगने पर मजबूर है। ऐसे में पाकिस्तान में सक्रिय आंतकवादी संगठनों पर लगाम कसने की बजाय इमरान सरकार भी आतंकियों के माध्यम से हितों को साधने में जुटी है। जैश ए मोहम्मद सहित दर्जनों आतंकी संगठन पाकिस्तान की धरती पर सक्रिय है और आये दिन कोई न कोई आतंकी संगठन वहां खुलेआम रैली कर रहा है। जबकि देश दुनिया के लिए मॉस्ट वांटेड आतंकवादी मसूूद अजहर और हाफिज सईद जैसे दर्जनों आतंकवादी पाकिस्तान की सड़कों पर खुलेआम घूम रहे हैं क्योंकि उनकी सुरक्षा खुद पाकिस्तान की सेना कर रही है।
इमरान खान के इरादे नेक नहीं है यह उनके सत्ता संभालते ही भारत सरकार को पता चल गया था। जबकि क्रिकेट के मैदान में खेलकर अतर्राष्ट्रीय हस्ती बनने वाले इमरान खान सियासत के मैदान में अनाड़ी साबित हो रहे हैं, यह पाकिस्तान की जनता बहुत जल्दी ही समझ गई है। वहां की सरकार को कश्मीर एजेंडा ही जीवित रखता है जिससे सेना और वहां के आंतकी सगठनों का उन्हें सहयोग प्राप्त होता है। ऐसे में पाकिस्तान के नये प्रधानमंत्री इमरान खान वहां के पूर्ववर्ती सरकारोें के नक्शेकदम पर चलकर कश्मीर एजेंडे को आगे बढाने के लिए आतंकी गतिविधियों को शह दे रहे हैं तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए। जबकि, पुलवामा में आतंकी घटना पर भारत सरकार क्या कदम उठाती है इसपर देश- दुनिया की निगाहें टिकी हैं।