You are currently viewing श्रीलंका में आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता: भारत के छद्म सेक्युलरवादियों के लिए सबक

श्रीलंका में आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता: भारत के छद्म सेक्युलरवादियों के लिए सबक

 ” श्रीलंका के मुस्लिम धर्मगुरूओं ने की पुरूषों और महिलाओं से अपील “

सरकार के आदेश का पालन करते हुए चेहरा ढकने से परहेज कर संदिग्धों की जांच में सहयोग करें।

श्रीलंका में ईस्टर के दिन चर्च सहित कई स्थानों पर हुए सीरियल आतंकी हमले में मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 365 लोग मारे जा चुके हैं जबकि 500 से ज्यादा घायल है। आतंकियों के निशाने पर ईसाई समुदाय के लोग थे इसलिए चर्च को निशाना बनाया। इस हमले में अमेरिका और भारत के भी कई लोग मारे गये हैं।

इस हमले का मुख्य आरोपी काफी शिक्षित और सम्पन्न घराने का था। हमेशा कहा जाता रहा है कि आतंकवादी संगठनोें के चंगुल में वही लोग फंस जाते हैं जो गरीबी, अशिक्षा, उत्पीड़न और दुर्भावना से ग्रसित होते हैं। लेकिन, श्रीलंका सहित पिछले कुछ आतंकी हमलों पर गौर करें तो हमलावर शिक्षित और समृद्ध घराने के पाये गये। ढाका आतंकी हमले में बांग्लादेश के कई ऐसे युवा शामिल थे जो आर्थिक रूप से सम्पन्न और रसूख वाले घराने से थे। श्रीलंका में भी वही बानगी देखने को मिली है।

श्रीलंका में हुए सीरियल आतंकी हमले मेे शामिल मोहम्मद इब्राहिम इंसाफ सम्पन्न घराने से था और अपने पुस्तैनी कारोबार से जुड़ा था। उसका छोटा भाई मोहम्मद इब्राहिम इल्हाम काफी शिक्षित था और वह विदेश से पढ़कर आया था। आसपास के लोग उसके रसूख को देखकर सम्मान भी करते थे। जब श्रीलंका के जांच अधिकारी उसके घर की तलाशी लेने आये तो इल्हाल इब्राहिम ने खुद को बम से उड़ा लिया जिसमें उसकी पत्नी सहित तीन बच्चे भी मारे गये।

श्रीलंका में इस आतंकी घटना के बाद वहां के टीवी चैनलों में यह डिबेट चल रही है कि देश में चरमपंथ को बढ़ावा कौन दे रहा है। लिट्टे के सफाए के 10 साल बाद श्रीलंका में पहली बार भयानक मंजर देखने को मिला है। आतंकी हमले के बाद पूरा देश गमजदा है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका में अब तक 15 आईएस के आतंकी सेना के साथ मुठभेढ़ में मारे गये है, जबके 25 संदिग्ध पकड़े गये हैं जो विदेशी हैं। इस हमले के बाद वहां की सरकार और सेना फुल एक्शन में आ गई है जिसे देखकर वहां के मुसलमानों में डर बढ़ता जा रहा है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 800 पाकिस्तानी अहमदिया मुसलमानों ने सरकार की कार्रवाई से बचने के लिए निकट के मस्जिदों मे शरण ले ली है। वहां के मुसलमानों में इस बात का डर है कि कहीं वह लोगों के गुस्से का शिकार न बन जायें। लिहाजा घटना के आस-पास के इलाकों में अभी भी सन्नाटा है। श्रीलंका में अन्य देशों से आये हजारों मुसलमान छोटे-छोटे कारोबार से जुड़े हैं और किराये के घरों में रहते हैं और उन घरों के मालिक ज्यादातर इसाई हैं या सिंहली हैं। वहां रह रहे कई मुसलमानों का कहना है कि उन्हें घर खाली करने को कहा गया है। क्योंकि, इस घटना के बाद उन्हें आस-पास के लोग शक की नजरों से देखने लगे हैं।

इस आतंकी हमले का मास्टरमाइंड जाहरान हाशिम श्रीलंका के कट्टन कुड़ी गांव में रहता था। वहां के लोग सेना की बढ़ती गतिविधियों को देखकर भयभीत हैं और यह विश्वास दिलाने की कोशिश कर रहे है कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं पता है।

जाहरान हाशिम एक मस्जिद में मौलवी था और वह पिछले दो सालों से गांव से गायब था। उसके परिवार वालों का कहना है कि वह एक कट्टर मुसलमान था लेकिन वह इस हद तक जा पहुंचेगा इसकी उम्मीद उन्हें नहीं थी। कहा जा रहा है कि श्रीलंका में जाहरान हाशिम की मदद से ही आईएसआईएस ने इस बर्बर आतंकी हमले को अंजाम दिया। आईएसआई ने भी इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली है और हमलावरों के चित्र जारी कर कहा है कि वह आईएसआई के आतंकी थे।

बहरहाल, इस आतंकी हमले के बाद श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के सख्त तेवर को देखते हुए सुरक्षा की कमान संभाल रहे अधिकारियों की सांसे फूंल रही कि किस समय वह क्या फैसला लेंगे। अब तक कई शीर्ष अधिकारी हटाये जा चुके हैं। राष्ट्रपति का कहना है कि सुरक्षा में भारी चूक की वजह से यह आतंकी हमले हुए हैं और इसके लिए शीर्ष अधिकारी जिम्मेदार हैं। रक्षा प्रमुख के बाद श्रीलंका के पुलिस प्रमुख आईजीपी पुजीत जयसुंदर ने भी इस्तीफा दे दिया है। श्रीलंका सरकार ने पीड़ितों को सांत्वना देते हुए कहा है कि इस हमले के दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जायेगी।

राष्ट्रपति ने स्वीकार किया है कि आतंकी हमले के संबंध में दो हफ्ते पहले भारत ने श्रीलंका के अधिकारियों को आगाह किया था लेकिन सुरक्षा अधिकारियों ने इसे हल्के में लिया। राष्ट्रपति ने यहां तक कहा कि इसके संदर्भ में उन्हें जानकारी तक नहीं दी गई। जांच में लापरवाही बरतने में अब तक कई शीर्ष अधिकारी नप चुके हैं।

सूत्रों के मुताबिक, श्रीलंका के रक्षा अधिकारियों और शीर्ष पुलिस अधिकारियों को भी यह जानकारी थी कि 2013 में श्रीलंका के कई युवा आईएसआईएस से जुड़ गये थे लेकिन सरकार को इसकी जानकारी नहीं दी गई थी। इसी कड़ी को जोड़ते हुए राष्ट्रपति सिरीसेना जांच की तह तक पहुंचना चाहते हैं कि श्रीलंका में आईएसआईएस की जड़ें कहां तक फैल चुकी है। इसलिए सेना को आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल करने के आदेश दिये गये हैं। आपाताकलीन शक्तियों में सेना को विशेष अधिकार दिये जाते हैं।

इस कानून के प्रभावी होते ही श्रीलंका में चेहरा ढंकने पर रोक लगा दी गई है। देश की सुरक्षा के मद्देनजर सरकार ने ऐसा किया है ताकि वहां संदिग्धों की पहचान की जा सके। यह कानून महिला और पुरूष दोनों पर लागू हुआ है। श्रीलंका में आपातकालीन परिस्थितियों में लागू इस कानून का विरोध कोई भी व्यक्ति धर्म का हवाला देकर नहीं कर सकता है।

 श्रीलंका के मुस्लिम धर्मगुरूओं ने अपने कौम के पुरूषों और महिलाओं से अपील की है कि वह सरकार के आदेश का पालन करते हुए चेहरा ढकने से परहेज कर संदिग्धों की जांच में सहयोग करें। सूत्रों के मुताबिक इस हमले में शामिल 140 संदिग्धों की तलाश श्रीलंका सरकार कर रही है। जांच इतनी सख्त कर दी गई है अभी भी वहां कई जगहों पर कर्फ्यू जैसे हालात हैं। आतंकी हमले के एक हफ्ते बाद भी श्रीलंका में विस्फोटक पदार्थ पाये जा रहे हैं और फिदायीन हमले रूक नहीं रहें हैं। आतंकी ठिकानों पर छापेमारी के दौरान फिदायीन हमले में एक आतंकी ने खुद को उड़ा लिया जिसमें छह बच्चे सहित 15 लोग मारे गये।

इन घटनाओं ने श्रीलंका की सरकार की शक को यकीन मेें बदल दिया कि देश में अभी भी आईएस के फिदायीन छिपे हो सकते हैं। इन आतंकी हमले की जिम्मेदारी आईएसआईएस के लेने के बाद श्रीलंका सरकार आतंकियों के खिलाफ फुल एक्शन प्लान बना रही है। आतंकियों की तलाशी इतनी सघन कर दी गई है कि संदिग्ध पाये जाने पर अब तक 500 लोगों को घरों से उठाकर वहां की सेना ले गई है।

इस आतंकी हमले के बाद पूरा देश एक साथ खड़ा दिख रहा है। सरकार से विपक्षी दलोे के नेताओं, मानवाधिकार संगठनों और वहां के लोगों द्वारा हमलावरों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग की मांग की जा रही, ताकि दोबारा ऐसा मंजर श्रीलंका में देखने को नहीं मिले।

श्रीलंका में आतंकी हमले के बाद वहां की सियासी परिस्थितियां, लोगों के संयम और सरकार की कार्रवाई से भारत के सियासतदानों को सबक लेने की जरूरत है। भारत की तरह वहां आतंकियों को जाति, धर्म, पंथ और समुदाय में बांटकर नहीं देख रहे हैं। श्रीलंका के लोग आतंकी को आतंकी मान रहे हैं, धर्म और जाति के आधार पर आतंकियों का महिमामंडन नहीं कर रहे हैं।

जबकि, भारत में आतंकी हमले होते हैं तो उसपर सियासत शुरू हो जाती है। सरकार द्वारा आतंकियों के खिलाफ कोई कदम उठाने से पहले छद्म सेक्युलरवादी नेता और बौद्धिक आतंक फैलाने वाले कुछ लोग आतंकियों को नादान और भटका हुआ कहने लगते हैं, तो कोई इसका कारण गरीबी, शोषित और अशिक्षित होना बताने लगते हैं। यहां तक कि भारत में हुए पिछले कई आतंकी हमलों में विपक्षी नेताओं, कथित बुद्धिजीवियों और कई मानवाधिकार संगठनों ने सरकार की नीतियों को ही जिम्मेदार ठहराया है और आतंकियों का महिमामंडन करते हुए पाये गये हैं।

©

Leave a Reply