जी-23: नेतृत्व से नाराजगी, एक मंच पर आये बागी!
1 min readजी-23 के नाम पर कश्मीर में जुटे पार्टी के अंसतुष्ट नेताओं की लंबी फेहरिश्त है और इसमें कई बड़े नाम हैं। जब इन नेताओं को अपनी बात रखने के लिए एक मंच का सहारा लेना पड़ रहा है तो आम नेताओं और कार्यकर्ताओं की पार्टी में क्या बिसात होगी। बढ़ते असंतोष से पार्टी के नेता अब दो भागों में बंटते दिख रहे हैं। ऐसा पहली बार देखा गया कि कांग्रेस के शीर्ष नेता पार्टी नेतृत्व के खिलाफ एक मंच पर आ गये। इनमें ज्यादातर ऐसे नेता है जिनकी पहचान खांटी कांग्रेस नेता की रही है और उन्होंने अपनी जिंदगी गांधी परिवार की भक्ति में ही गुजारी है।
हाल ही में कांग्रेस पार्टी के 23 बागी नेता कश्मीर में एक मंच पर दिखे। ये सभी नेता कांग्रेस हाईकमान से नाराज चल रहे हैं। इस मंच को जी-23 कहा जा रहा है। गत महीने राज्य सभा से अपने कार्यकाल से विदा हुए वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद पार्टी की दशा पर कुछ कड़वे शब्द बोल दिये थे, जिसके बाद कांग्रेस के दरबारी नेता उन्हें साइडलाइन करने की तरकीबें ढूंढ रहे हैं। अभी तक यही देखा गया है कि कांग्रेस पार्टी में रहते हुए नेतृत्व के खिलाफ जिसने भी मुंह खोला है उसे बाहर का रास्ता दिखाने में जरा भी परवाह नहीं की जाती। चाहे वह नेता हो या कार्यकर्ता, नये हों या पुराने, जुनियर हों या वरिष्ठ। पार्टी नेतृत्व को अपनी आलोचना सुनना कतई पसंद नहीं है, बगावत करना तो दूर की बात है। लेकिन कश्मीर में जुटे ये सभी नेता बगावत के मूड में हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, अगर पार्टी नेतृत्व को ही संदेश देना था तो दिल्ली में मीडिया के सामने अपनी बात रख सकते थे।
हालांकि दिल्ली में भी ऐसा करने पर इनको पार्टी विरोधी ही माना जाता, लेकिन एक सकारात्मक संदेश जाता कि इनके मन में पार्टी के विरूद्ध किसी तरह के भाव नहीं हैं। लेकिन वहां तो ये सभी योजनाबद्ध तरीके से एक मंच पर आये हैं।
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद पार्टियां चुनाव जीतने की रणनीति बना रही है, वहीं कांग्रेस पार्टी में नेतृत्व के विरूद्ध व्याप्त असंतोष ने बागियों को एक मंच पर आने पर मजबूर कर दिया है। कांग्रेस के दरबारी नेता इसे पार्टी के खिलाफ विद्रोह करार दे रहे है और इसके लिए गुलाम नबी आजाद को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। सोनिया गांधी-राहुल गांधी के करीबी नेताओं का कहना है कि गुलाम नबी आजाद नयी सियासी पारी के लिए नया ठौर तलाश रहे हैं। राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद गुलाम ने बगावती तेवर दिखाया है।
विदित हो कि, राज्यसभा से विदाई के वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुलाम नबी आजाद की तारीफ की थी। उसके बदले में कश्मीर में आजाद ने भी प्रधानमंत्री की तारीफ में कहा है कि वह दिल के सच्चे हैं, कम से कम अपनी पहचान को नहीं छिपाते हैं। गुलाम नबी आजाद द्वारा मोदी की तारीफ किये जाने के बाद कांग्रेस के दरबारी नेता खफा हो गये हैं। कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ बोलने पर कांग्रेस के कुछ नेताओं ने गुलाम नबी आजाद का पोस्टर जलाया है। अंदाजा लगा सकते हैं कि अब कांग्रेस पार्टी में उनके लिए कितनी जगह बची है। यह सब कुछ कांग्रेस हाईकमान की नजर के सामने हो रहा है। देश की सबसे पुरानी पार्टी आज अंतर्कलह से गुजर रही है। सबसे बड़ी बात है कि जो भी कांग्रेस नेतृत्व को कुछ समझाना चाहता है कि उसे पार्टी विरोधी करार दे दिया जाता है।
विदित हो कि, बिहार चुनाव में उम्मीदजनक परिणाम नहीं आने पर पार्टी के शीर्ष नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने हार के लिए पार्टी नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया था। उसके बाद कपिल सिब्बल भी पार्टी विरोधी करार दे दिये गये थे और उन्हें भी एक तरह से पार्टी से साइडलाइन ही कर दिया गया है। क्योंकि पार्टी में रहते हुए भी उनकी पूछ परख खत्म हो गई है।
इस बार जी-23 के नाम पर कश्मीर में जुटे पार्टी के अंसतुष्ट नेताओं की लंबी फेहरिश्त है और इसमें कई बड़े नाम हैं। जब इन नेताओं को अपनी बात रखने के लिए एक मंच का सहारा लेना पड़ रहा है तो आम नेताओं और कार्यकर्ताओं की पार्टी में क्या बिसात होगी। गुलाम नबी आजाद के अलावा आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी जैसे बड़े नाम जो कभी राहुल गांधी के राइट हैंड हुआ करते थे लेकिन आज ये सभी पार्टी नेतृत्व से असंतुष्ट हैं।
विदित हो कि, चुनाव-दर चुनाव देश भर में सिमटती काग्रेस पार्टी को लेकर इन नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को चिटटी लिखी थी जिसमें पार्टी की नीतियों, तौर-तरीकों सहित कई बिन्दुओं पर सवाल उठाये गये थे। लेकिन पार्टी नेतृत्व की ओर से इस पर कोई जवाब नहीं दिया गया था। जबकि पिछले महीने एक मीटिंग के दौरान सोनिया गांधी की मौजूदगी में ही पार्टी के कई नेता आपस में लड़ गये थे। इस लड़ाई से आपसी अंतर्कलह खुलकर सामने आ गई। किसी तरह इस मामले को शांत किया गया था।
लेकिन, बढ़ते असंतोष से पार्टी के नेता अब दो भागों में बंटते दिख रहे हैं। ऐसा पहली बार देखा गया कि कांग्रेस के शीर्ष नेता पार्टी नेतृत्व के खिलाफ एक मंच पर आ गये। इनमें ज्यादातर ऐसे नेता है जिनकी पहचान खांटी कांग्रेस नेता की रही है और उन्होंने अपनी जिंदगी गांधी परिवार की भक्ति में ही गुजारी है।