गया-डालटनगंज रेल निर्माण परियोजना
भारत के बिहार राज्य स्थित बिहार झारखंड राज्य को जोड़ने वाली एक महत्वाकांक्षी गया-डाल्टनगंज भाया गुरुआ, शेरघाटी, इमामगंज नई रेल लाइन निर्माण परियोजना का शिलान्यास तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने शेरघाटी में दिनांक 7 दिसंबर 2008 को किया था।
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इस नवनिर्मित गया- डाल्टनगंज परियोजना रेलखंड में 30 मार्च 2017 को प्रस्तावित रेलवे नक्शा में गया -डाल्टनगंज के बीच स्टेशनों के नामों में मथुरापुर, गुरुआ, शेरघाटी, कैंडी, नारायणपुर, छपरी, चहर पानी, नौडीहा बाजार, छतरपुर, डाली ,दुल्ही, कजरी और डाल्टनगंज अंकित है। रेलवे के लिए आंशिक सर्वेक्षण और स्थल पर निशानदेही कार्य संपन्न कर लिए गए हैं। जमीन अधिग्रहण का कार्य भी विगत 5 जुलाई 2016 को ही संपन्न हो गया था। इस परियोजना में दूर अवस्थित रेलवे स्टेशनों में उत्तर में 50 किलोमीटर दूर गुरारू, दक्षिण में 160 किलोमीटर दूर रामगढ़, पूर्व में 90 किलोमीटर दूर गया तथा पश्चिम में 100 किलोमीटर दूर डाल्टनगंज स्टेशन पड़ता है। इस क्षेत्र में सड़क मार्ग भी सुलभ नहीं है।
यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही अति वैभवशाली, समृद्ध एवं खनिज संपदा से परिपूर्ण रहा है। यह इलाका एक ओर जहां जनसंख्या के घनत्व की दृष्टि से अति घना है, वहीं वन संपदा से भी भरपूर है। इस क्षेत्र में बीड़ी उद्योग से जुड़े केंदू के पत्ते, लाह उद्योग से जुड़े फलाश, बेर, शहतूत, गोंद उद्योग के सहजन और बबूल, कीमती चिरौंजी आदि का पाया जाना इसकी समृद्धि को प्रदर्शित करता है। इसके अलावा इमारती लकड़ियों जैसे सागवान, शीशम, चीड़ के पेड़ के घने जंगल हैं।
खनिज पदार्थों में अभ्रक, क्वार्टजाइट, तांबा, कोयला, जस्ता, जिंक ग्रेफाइट आदि के अलावा गोमेद, लह सुनिया आदि कीमती पत्थर के भंडार भी यहां भरे पड़े हैं।
इस क्षेत्र में अनेक जड़ी बूटियाँ, औषधीय पौधे तथा खाद्य पदार्थ में चावल, गेहूं ,दलहन, तिलहन आदि के उपजाऊ क्षेत्र हैं। दैनिक जीवन से जुड़े साग- सब्जी, गोभी, भिंडी, करेला, फ्रसबीन, कंद, मूली, टमाटर, आलू आदि बहुतायत में पैदा होते हैं, जिसका बाजार रेल सुविधा के अभाव में यह सारे कच्चे माल बर्बाद होते हैं। खनिज का उत्पादन भी इस क्षेत्र का प्रभावित होता है। इतना ही नहीं वन संपदा का उपयोग बड़े पैमाने पर नहीं हो पाता है।
इस क्षेत्र में ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल जैसे बैजू धाम, बांके धाम, गुरुआ, गुनेरी, मंडा, बुध पर्वत, नगमा आदि पड़ते हैं, जहां सावन, अश्विन, कार्तिक आदि महीनों में लाखों की भीड़ उमड़ती है और धार्मिक दिनों के दिन भी भीड़ काफी संख्या में देखने को मिलती है।
आवागमन के लिए सस्ते एवं सुगम मार्ग के अभाव में यह क्षेत्र अत्यंत पिछड़ा बना हुआ है। यही कारण है कि यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित भी हैं जिससे विकास की किरणें यहां दिखाई नहीं पड़ती। रेलमार्ग नहीं होने के कारण व्यापार करने में कई परेशानियां उठानी पड़ती हैं। कच्चे माल, तैयार माल व घरेलू उद्योग धंधों से बने माल का बाजार नहीं मिलता है । यह भी पिछड़ापन का एक बड़ा कारण है ।
इस प्रस्तावित रेलवे के परिचालन हेतु 1000 मेगा वाट का नबीनगर थर्मल पावर प्लांट पास ही में उपलब्ध है। यहां विश्व पुरातात्विक नक्शे का बलथरबा का हेमाटाइट पेंटिंग्स, सीनपुर पहाड़ी पर प्राचीन किले के 2 किलोमीटर में फैले प्रस्तर प्राचीर पहाड़ी के ऊपर अवस्थित है। 41.8 मीटर में बने बौद्ध स्तूप के अवशेष के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध कवि जानकी बल्लभ शास्त्री, प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी जग लाल महतो , राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध आर्टिस्ट ब्रह्मदेव शास्त्री का स्थल मैगरा ग्राम भी इसी क्षेत्र में है।
इन्हीं सब खूबियों को देखते हुए आम नागरिकों की आकांक्षाओं की पूर्ति हेतु इस क्षेत्र के लोगों ने एक समिति बनाकर अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधि तथा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के माध्यम से रेल मंत्रालय व रेल मंत्री को बीते माह ज्ञापन सौंपा है। जीतन राम मांझी ने शहीद जगदेव प्रसाद के 47 वें शहादत दिवस के अवसर पर इमामगंज स्थित टाउन हाल में आयोजित विशाल जनसभा के बीच बताया कि- रेल मंत्री ने आश्वासन दिया है कि जब इसका शिलान्यास और रेल मार्ग का सर्वेक्षण चिन्ह मैप तैयार है, तो हम जब अगली बार दिल्ली जाने पर रेल मंत्री तथा प्रधानमंत्री से मिलकर इस परियोजना को कार्यान्वित कराने की भरपूर कोशिश करेंगे।
प्रतिनिधि मंडल में सामाजिक नेता शिवनंदन सिंह विक्रम, प्राचार्य राधेश्याम प्रसाद, समिति के अध्यक्ष तारा नाथ प्रसाद, सचिव अशोक कुमार, पूर्व जिला पार्षद मुसाफिर पासवान, चंद्रदेव प्रसाद, अक्षय कुमार चंद्रवंशी ,बिगन पासवान, पूर्व प्रमुख डुमरिया रामचंद्र प्रसाद सिंह आदि शामिल थे।
अब लोगों के बीच आशा जगी है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार विशेष ध्यान देकर इस परियोजना को प्राथमिकता देते हुए पूर्ण करेगी, जिससे इस क्षेत्र के लाखों आमजन लाभान्वित होकर विकास की जिन्दगी के साथ अपना जीवन व्यतीत कर पाएंगे।




