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I.N.D.I.A में असहजता की स्थिति : पीएम उम्मीदवार के कई दावेदार

राहुल गांधी की सांसदी सदस्यता बहाल होने से विपक्षी घटक के सामने पीएम उम्मीदवारी को लेकर असहजता की स्थिति बन गई है। क्योंकि कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी के अलावा किसी और पर सहमति जता पायेगी इसकी संभावना कम दिखती है। ऐसे में विपक्षी घटक में शामिल कई नेताओं के पीएम उम्मीदवार बनने के सपने अधूरे रह जायेंगे।
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हाल ही में आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने बयान दिया था कि विपक्षी दलों के नये गठबंधन इंडिया के कई संयोजक हो सकते हैं। लालू का यह बयान ऐसे समय में आया है जब 31 अगस्त को इंडिया गठबंधन की बैठक होने जा रही है। जल्द ही यह स्पष्ट हो जायेगा कि नये गठबंधन में नीतीश कुमार की भूमिका किस रूप में रहेगी। नीतीश कुमार की पीएम उम्मीदवार बनने की चाहत जाहिर हो चुकी है लेकिन पीएम मोदी के खिलाफ विपक्ष इनपर दांव लगाने को तैयार नहीं है।

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2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को हराने के लिए विपक्षी दलों ने पिछले महीने इंडिया नाम से एक गठबंधन बनाया। पहले यह गठबंधन यूपीए के नाम से जाना जाता था। यूपीए का नेतृत्व कांग्रेस पार्टी कर रही थी। लेकिन इस बार अब तक यह तय नहीं हो पाया है कि इसका नेतृत्व कौन करेगा और नये गठबंधन से पीएम उम्मीदवार कौन होगा। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संयोजक बनाये जाने पर भी दलों के बीच एकमत नहीं है।

नये गठबंधन के बैनर तले विपक्षी नेताओं की अब तक दो बार मीटिंग हो चुकी। एक बंगलुरू में और दूसरी मीटिंग पटना में हुई थी। अब 31 अगस्त और 01 सितम्बर को महाराष्ट्र में मीटिंग रखी गई है। सूत्र बताते हैं कि इस मीटिंग में कई चीजें स्पष्ट कर दी जायेगी। क्योंकि दलों के बीच कई मामलों पर पेंच फंसा हुआ है। नये घटक में शामिल दलों के अध्यक्षों एवं उनके बड़े नेता को किसी तरह की जिम्मेदारी अभी नहीं दी गई है। सबसे बड़ी बात है कि किसी को जिम्मेदारी कौन देगा अभी यही तय नहीं हुआ है।

पहले यह खबर आ रही थी कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इंडिया के संयोजक बनाये जायेंगे। लेकिन हाल ही में आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने बयान दिया था कि विपक्षी दलों के नये गठबंधन इंडिया के कई संयोजक हो सकते हैं। यह बयान नीतीश कुमार की सियासी पहचान कमजोर करने की लालू यादव की चाल हो सकती हैं।

इस नये गठबंधन में नीतीश कुमार की लीडरशिप शायद लालू प्रसाद यादव को ही मंजूर नहीं है। इसलिए यह बयान दिया कि इंडिया गठबंधन में कई कन्वेनर हो सकते हैं। लालू का यह बयान ऐसे समय में आया है जब 31 अगस्त को इंडिया गठबंधन की बैठक होने जा रही है। जल्द ही यह स्पष्ट हो जायेगा कि नये गठबंधन में नीतीश कुमार की भूमिका किस रूप में रहेगी। लालू यादव भी चाहते हैं कि नीतीश कुमार जल्द से जल्द बिहार की राजनीति छोड़ दें। इससे तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता आसान हो जायेगा। फिर अचानक क्या हुआ कि लालू यादव ने ऐसा बयान दिया है ?

सूत्र बताते हैं कि नीतीश कुमार के पीएम उम्मीदवार बनाये जाने पर गठबंधन दलों के बीच एकमत नहीं है। इंडिया गठबंधन से कई चेहरे पीएम उम्मीदवार बनने के लिए तैयार हैं। लेकिन किसी पर भी अब तक एक राय नहीं बन पायी है। उसकी मूल वजह है राहुल की सांसदी सदस्यता का बहाल हो जाना।

इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस पार्टी कभी नहीं चाहेगी कि राहुल गांधी के रहते पीएम उम्मीदवार कोई और बने। टीएमसी की ओर से ममता बनर्जी, आम आदमी पार्टी से अरविंद केजरीवाल, तेलंगाना राष्ट्र समिति से के. चन्द्रशेखर राव पार्टी के माध्यम से अपनी इच्छा जता चुके हैं।

ऐसी स्थिति में नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एक धूरी पर लाकर भी ठगा महसूस कर रहे हैं। अगर वह पीएम उम्मीदवार नहीं बनाये जाते हैं तो बिहार में सीएम पद पर बने रहेंगे और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव का अपने बेटे तेजस्वी यादव को सीएम बनाने का सपना अधूरा ही रह जायेगा।

नीतीश कुमार के पाला बदलने से उनकी पोलिटिकल इमेज खराब हुई है। बीजेपी ने उनके वापसी के रास्ते बंद कर दिये। लिहाजा अब बिहार में आरजेडी के साथ रहकर सरकार चलाना नीतीश कुमार की मजबूरी है। नीतीश कुमार की पीएम उम्मीदवार बनने की चाहत जाहिर हो चुकी है, लेकिन पीएम मोदी के खिलाफ विपक्ष इनपर दांव लगाने को तैयार नहीं है। लोकसभा चुनाव होेने में अभी देर हैं और इस दौरान सियासी परिस्थितियों में कई बदलाव भी देखे जा सकते हैं। समय के साथ कौन पाला बदलकर किधर जायेंगे यह कहना मुश्किल है।

नये विपक्षी गठबंधन में अब तक 36 राजनीतिक दल शामिल हुए हैं। इनमें ज्यादातर क्षेत्रीय दल हैं। कुछ ऐसी पार्टियां भी शामिल हुई है जिनकी सियासी तौर बड़ी पहचान नहीं है। ज्यादातर क्षेत्रीय दलों के बड़े राजनीतिक उद्देश्य नहीं होते हैं। वह क्षेत्रीय राजनीति के सहारे अपनी सियासी जमीन तलाशते रहते हैं। ऐसे में उनके सामने जब बड़ा मौका आता तो उसे लपकने में जरा भी देर नहीं करते हैं। इस घटक में कई ऐसे दल शामिल हैं जिनका वर्तमान में एक भी सांसद नहीं हैं।

एनडीए के खिलाफ नये गठबंधन में शामिल होने वाली राजनीतिक पार्टियों के नेताओं की राजनीतिक महात्वाकांक्षाएं बढ़ती जा रही है। जहां इस गठबंधन में अभी से ही कई नेता पीएम उम्मीदवार के दावेदार बताये जा रहे हैं वहीं इंडिया गठबंधन में सीटों को लेकर भी विवाद शुरू हो गये हैं।

इंडिया गठबंधन में शामिल कई राजनीतिक दल के नेता सहज स्थिति में नहीं हैं। उन्हें लग रहा है कि कहीं इस गठबंधन की वजह से उन्हें भारी नुकसान न उठाना पड़ जाये। विशेषतौर पर शरद पवार और अरविंद केजरीवाल सहज स्थिति में नहीं हैं।

आम आदमी पार्टी ने लोकसभा की सीटों और भागीदारी को लेकर अपनी शर्तें रख दी है। इंडिया घटक दलों के बीच विवाद दिल्ली लोग सभा सीटों को लेकर शुरू हुआ है। कांग्रेस दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों में एक भी सीट आम आदमी पार्टी को देने को तैयार नहीं है। जबकि आम आदमी पार्टी ने भी दिल्ली में लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारने का मन बना लिया है। घटक में होते हुए भी दोनों पार्टियों के प्रवक्ता एक दूसरे पर बयानबाजी कर रहे हैं।

उधर मराठा छत्रप शरद पवार सबको भरमाये हुए हैं। वह इस बार सियासी स्तर पर पहले से कमजोर दिख रहे हैं। शरद पवार की पार्टी एनसीपी दो हिस्सों में बंट गयी हैं। शरद पवार का भतीजा अजीत पवार ने पार्टी को तोड़ दिया और कई विधायकों के साथ एनडीए में शामिल हो गये। कहा जा रहा है कि अजीत पवार महाराष्ट्र के भावी मुख्यमंत्री हैं।

सूत्र यह भी बताते हैं कि शरद पवार भी इस बार विपक्षी गठबंधन का हिस्सा बनकर असहज महसूस कर रहे हैं। पिछले दिनों कांग्रेस के एक नेता ने दावा किया था कि शरद पवार पीएम मोदी के साथ नजदीकियां बढ़ा रहे हैं। एनडीए अजीत पवार के जरिए शरद पवार को साधने की रणनीति बना रही है।

हाल ही में शरद पवार और अजीत पवार की एक सीक्रेट मीटिंग हुई थी जिसपर विपक्ष के कई नेताओं ने आपति जाहिर की है। शरद पवार अपने सियासी रिश्ते सभी के साथ बनाकर रखना चाहते हैं। यही कारण है कि विपक्ष के साथ-साथ एनडीए के नेताओं के साथ भी उनके घनिष्ठ संबंध है और इसमें कोई दो राय नहीं है कि वह लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए तेल और तेल की धार देख रहे हैं।

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