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शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर कौमुदी महोत्सव का शुभारंभ

उल्लेखनीय है कि इस ऐतिहासिक स्थल की खोज बौद्ध विद्वान एवं इतिहासकार डॉक्टर शत्रुघ्न दांगी ने वर्षों पूर्व की थी। उन्होंने बुद्धपहाड़ी की खोज वर्ष 1965 में ही की थी, जब ये मैगरा उच्च विद्यालय में शिक्षक पद पर पदास्थापित हुए थे। चूंकि तब ये जान चुके थे कि यहां आदमकद की बौद्ध प्रतिमा ब्रिटिश काल में स्थापित थी,जिसे तत्कालीन अंग्रेज कलेक्टर ग्रियर्सन ने यहाँ से उसे 1946 में अपने साथ ले जाकर किसी म्यूजियम में रख छोड़ा था।

बिहार स्थित गया जिले के इमामगंज प्रखंड अंतर्गत दुबहल पंचायत के “बुद्ध-पहाड़ी” स्थित बौद्ध मंदिर परिसर में शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर बौद्ध विद्वान एवं पुरातत्ववेत्ता डा.शत्रुघ्न दांगी ने महात्मा बुद्ध की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करते हुए दीप प्रज्वलित कर बौद्ध कालीन उत्सव “कौमुदी महोत्सव” का प्रथम बार शुरुआत की। वहीं यू.एन.वर्मा इंटर महाविद्यालय के प्राचार्य राधेश्याम प्रसाद ने फीता काटकर “महोत्सव” का उद्घाटन किया। समारोह की अध्यक्षता बुद्ध पहाड़ी विकास मंच के अध्यक्ष शिव नारायण सिंह दांगी ने किया।

इस अवसर पर प्राचार्य राधेश्याम प्रसाद ने अपने उद्घाटन भाषण में बताया कि महात्मा बुद्ध शांति, मैत्री और करुणा के अवतार थे। यही कारण है कि आज विश्व के लगभग दो तिहाई से अधिक देशों के लोग बौद्ध धर्म के प्रति श्रद्धा और विश्वास से भारत के उन सभी पवित्र बौद्ध स्थलों विशेष कर महात्मा बुद्ध की ग्यान स्थली ‘बोधगया’ में श्रद्धा निवेदित करने लाखों की संख्या में प्रति वर्ष पहुंचते हैं।

उल्लेखनीय है कि इस ऐतिहासिक स्थल की खोज बौद्ध विद्वान एवं इतिहासकार डॉक्टर शत्रुघ्न दांगी ने वर्षों पूर्व की थी। उन्होंने बुद्धपहाड़ी की खोज वर्ष 1965 में ही की थी, जब ये मैगरा उच्च विद्यालय में शिक्षक पद पर पदास्थापित हुए थे। चूंकि तब ये जान चुके थे कि यहां आदमकद की बौद्ध प्रतिमा ब्रिटिश काल में स्थापित थी,जिसे तत्कालीन अंग्रेज कलेक्टर ग्रियर्सन ने यहाँ से उसे 1946 में अपने साथ ले जाकर किसी म्यूजियम में रख छोड़ा था। तबसे यह बौद्धस्थल भव्य मूर्ति विहीन हो गई थी। छोटी मूर्तियों की पूजा बौद्ध श्रद्धालु तथा बौद्ध भिक्षु करते थे। उसे भी मूर्ति भंजकों ने तोड़ डाली और मंदिर को भी विध्वंस कर दिया। इसके अवशेष तथा इस पहाड़ी की तलहटी में पंचवर्गीय भिक्षुओं का “पंचमठ” गांव और महाविहारों के अवशेष आज भी विद्यमान है।

इतिहासकार डॉक्टर दांगी के इस विशेष खोज तथा इस स्थल की ऐतिहासिकता को जानकर ही ग्रेट-ब्रिटेन की विद्वान लेडी “मिसेज किट्टी” इनसे मिलने भारत आयी और लद्दाख के भंते आनंद के बोधगया स्थित महाविहार में इनसे मुलाकात की। इनसे मिलने के बाद वह काफी इनसे प्रभावित हुई और इनके आग्रह पर उन्होंने यहां एक मार्बल की बेशकीमती मूर्ति दान में दी तथा गरीबों के बीच 300 कंबल भी बांटी। इनकी यह ऐतिहासिक खोज विश्व जगत में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में मानी जाती है।

ध्यातव्य है कि विगत 15 अक्टूबर को बुद्ध पहाड़ी मंदिर परिसर में बौद्ध कालीन “कौमुदी महोत्सव” समारोह की शुरुआत करने हेतु बौद्ध विद्वान एवं इतिहासकार डॉक्टर शत्रुघ्न दांगी की अध्यक्षता में एक आवश्यक बैठक भी सदस्यों के बीच संपन्न की गई थी, जिसमें सर्वसम्मति से समारोह को मनाने का निर्णय लिया गया था। उक्त बैठक में दिलीप दास, धीरेंद्र कुमार, शिव नारायण सिंह बुद्ध पहाड़ी विकास मंच अध्यक्ष, रघुनंदन प्रजापति, राम नंदन प्रजापति, शिवचरण भारती साधु जी बौद्ध मंदिर पूजारी, बुद्ध मंदिर विकास प्रभारी एडवोकेट रामसेवक प्रसाद, रामदास भारती, रवि रंजन कुमार आदि सदस्यों ने भाग लिया था।

“कौमुदी महोत्सव” समारोह के इस पावन अवसर पर दूर-दूर से लोग पधारे और अपने-अपने विचार रखे। सभी ने एक स्वर से इस ऐतिहासिक,धार्मिक,सामाजिक,सांस्कृतिक, पुरातात्विक एवं पर्यटन की दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थल को बुद्ध सर्किट से जोडऩे और विकसित करने की सरकार से मांग की है। इससे राज्य में रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा तथा राज्य को पर्यटन से राजस्व में वृद्धि भी होगी।

समारोह को संबोधित करने वालों में लोक कला विकास मंच के सचिव सुमन कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री सह इमामगंज क्षेत्र विधायक प्रतिनिधि विरेंद्र कुमार,अवकाश प्राप्त शिक्षक नरेश कुमार दांगी, अधिवक्ता उपेन्द्रनाथ वर्मा, अशोक प्रसाद शेरघाटी, निरंजन प्रसाद शिक्षक आदि प्रमुख हैं।

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