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आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका पांच सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

बिहार सरकार की अड़ियल रवैये के चलते “बिहार राज्य आंगनवाड़ी संयुक्त संघर्ष समिति” के बैनर तले करीब यहां की दो लाख आंगनवाड़ी सेविका और सहायिका विगत 29 सितंबर 2023 से अपनी पांच सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। इससे छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं,कुपोषण के शिकार बच्चों, आंगन बाड़ी केंद्र से मुहैया होने वाले खाद्यान्न व भोजन आदि सभी प्रभावित है। फिर भी राज्य सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है।

विगत दो वर्षों से “संयुक्त संघर्ष समिति, बिहार” के बैनर तले कार्यरत चार आंगनबाड़ी यूनियनों ने राज्य सरकार से अपनी जायज मांगों को लेकर वार्ता कर रहे हैं,जिसमें पिछले आंदोलनों के क्रम में सरकार द्वारा किये गए वायदों को निभाना भी शामिल है। आंदोलनों के तहत सरकार द्वारा न केवल आश्वासन दिया गया था,बल्कि उनकी मांगों को पूर्ण करने का भी वायदा किया गया था, लेकिन आज तक सेविका और सहायिका की एक भी बुनियादी समस्या का समाधान सरकार द्वारा नहीं किया गया। इससे सेविका और सहायिकाओं में भारी क्षोभ है।

समिति की पांच सूत्री मांगें –

पहला- अन्य राज्यों की भांति ₹10,000 मासिक प्रोत्साहन राशि बिहार सरकार की तरफ से दी जाए।

दूसरा- माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसला के आलोक में बिहार सरकार की तरफ से सेविका-सहायिका बहनों को ग्रेचुएटी प्रदान की जाए।

तीसरा- सेविका-सहायिका बहनों के कार्यकाल में मृत्यु उपरांत उनके आश्रितों को अनुकंपा का लाभ दिया जाए।

चौथा- सेविका-सहायिका के 4 घंटे कार्य को बढ़कर 8 घंटा निर्धारित किया जाए, साथ ही बिना अतिरिक्त प्रोत्साहन के श्रम का शोषण करना बंद किया जाए।

पांचवां- 45 वें एवं 46 वें अधिनियम संशोधन के अनुसार सेविका-सहायिका बहनों का मानदेय/प्रोत्साहन राशि निर्धारित किया जाय।

इस बीच सरकार यूनियन से वार्ता करने के बजाय सेविका- सहायिकाओं की एक भी बुनियादी समस्या का समाधान नहीं कर, गैर लोकतांत्रिक रवैयों द्वारा आंदोलन को कुचलना चाही। जब इसमें भी सरकार कामयाब नहीं हुई और 100% सेविका-सहायिका हड़ताल में डटी रहीं, तो सरकार उन्हें डराने और धमकाने की कोशिश की। सरकार की यह कदम अति नींदनीय है।

जब इससे भी बात नहीं बनी तब आईसीडीएस विभाग ने निदेशक के पत्र संख्या 5663 दिनांक 23.10. 2011 खाद्य सुरक्षा कानून का हवाला देकर एक तानाशाही फरमान जारी कर सभी आंगनवाड़ी सेविका-सहायिकाओं को धमकी दी है कि अगर वे 17 अक्टूबर 2023 तक ड्यूटी पर वापस नहीं लौटती हैं, तो उनके विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई कर उन्हें नौकरी से निष्कासित कर दिया जाएगा। इसी आशय का पुनः समाचार पत्र में भी प्रकाशन कर उन्हें 20 अक्टूबर 2023 और अब दुर्गा पूजा के उपरांत करवाई करने की धमकी दी गई है।

सरकार की इस गैर लोकतांत्रिक एवं तानाशाही धमकी ने “संयुक्त संघर्ष समिति” के आह्वान पर हड़तालियों ने संघर्ष को और भी मजबूत कर बिहार सरकार को सेविका और सहायिकाओं ने सरकार को मूंहतोड़ जवाब दिया है,अर्थात वे धरना और प्रदर्शन पर अडिग हैं।

जब इसमें भी सरकार नाकाममयाब रही तो सरकार और विभाग आंदोलन को तोड़ने का एक अलग तरीका अपनाया है। मंत्री से वार्ता के नाम पर विभाग में कुछ संगठनों के नाम पत्र जारी किया है, जो हास्यास्पद है। विभाग के पास बिहार में कार्यरत सभी आंगनवाड़ी यूनियनों की पूर्ण जानकारी है और सालों से कई बार यूनियनों से वार्ता भी कर चुकी है,किन्तु अब वही विभाग कुछ नए नाम जिनमें महाराष्ट्र के ठाणे की भी एक यूनियन शामिल है, को मंत्री से वार्ता पर बुलाया है और हड़ताली यूनियनों को नजर अंदाज कर उनके बीच फूट डालने की अंतिम कोशिश की है, जिसकी हम बहनें कड़ी निंदा करते हैं।

जबकि सच्चाई तो यह है कि सरकार खुद आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए पोषाहार राशि का आवंटन राशि कम करके खाद्य सुरक्षा कानून को त़ोड़ा है और ग्रेच्युटी के सवाल पर भी माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को लागू करने के लिए बिहार राज्य आंगनवाड़ी संयुक्त समिति द्वारा बार-बार मांग किये जाने के बाबजूद भी अभीतक लागू नहीं किया है।
बिहार राज्य आंगनबाड़ी संयुक्त संघर्ष समिति राज्य सरकार से मांग करती है कि वह ऐसे गैर लोकतांत्रिक रवैये को छोड़ कर संयुक्त संघर्ष समिति की जायज मांगों को मान ले और उनकी यूनियनें जो हड़ताल पर हैं, उनसे वार्ता कर सेविका और सहायिकाओं तथा आम लाभार्थियों की परेशानी को दूर करे।

नहीं तो सभी सेविका और सहायिकाओं ने निर्णय लिया है कि जबतक हमारी मांगें सरकार पूरी नहीं करती है, तबतक हम अनिश्चित हड़ताल जारी रखेंगे। इसी कड़ी में संघर्ष समिति के प्रखंड अध्यक्षा श्रीमती सुनिता रानी,मंत्री श्रीमती मधु कुमारी एवं अन्य सदस्यों ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री श्री जीतनराम मांझी से मिलकर अपनी संघर्ष समिति की ओर से मांगों को बिहार सरकार से पूरा करवाने हेतु ग्यापन सौंपा है। जिसमें वर्तमान मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार एवं समाज कल्याण मंत्री बिहार सरकार से अपनी संघर्ष समिति की मांगों को पूर्ण करवाने का आग्रह किया गया है,जिसे श्री मांझी ने इनकी मांगों को जायज बताते हुए, उसे पूरा करवाने का भरपूर प्रयास करने का वचन दिया है।

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