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धारा 370 : गुपकार डिक्लियरेशन का समर्थन करना कांग्रेस की बड़ी राजनीतिक भूल!

राष्ट्रवाद के मुद्दे पर कांग्रेस असहज हो जाती है और यही बीजेपी चाहती है। दशकों से मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करती रही कांग्रेस पार्टी हमेशा सॉफ्ट जोन तलाशती रही है। एक तरफ कश्मीर से धारा 370 हटाये जाने पर मुखर विरोधी पार्टियों ने भी मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया लेकिन कांग्रेस ने इसे मोदी सरकार की तानाशाही करार दिया था। अब 370 से जुड़ी गुपकार डिक्लियरेशन को समर्थन देकर कांग्रेस ने खुद मुसीबत मोल ले ली है। बीजेपी ने कांग्रेस हाईकमान से रूख स्पष्ट करने को कहा है कि वह फारूख अब्दुल्ला के देशविरोधी एजेंडे के साथ खड़ी है या उसके खिलाफ।

गुपकार बैठकों से कश्मीर में ठंड में भी सियासी पारा गर्म हो रहा है। बता दें कि कश्मीर में गुपकार रोड पर फारूख अब्दुल्ला का बंगला है। नजरबंदी से फारूख अब्दुल्ला के रिहा होने के बाद कश्मीर में धारा 370 की बहाली को लेकर पहली बैठक उसी बंगले में हुई थी। इसलिए इसे गुपकार बैठक नाम दिया गया है और इससे संबंधित एजेंडे को गुपकार डिक्लियरेशन कहा गया है।

वहीं दूूूसरी ओर कांग्रेस ने कश्मीर में धारा 370 की वापसी के लिए अलगाववादी नेताओं के एजेंडे को जायज करार देकर देश की सियासत को गरमा दिया है। कांग्रेस का कहना है कि कश्मीरियों की मांग जायज है और कांग्रेस पार्टी उनके साथ खड़ी है।

विदित हो कि, कुछ दिनों पूर्व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी. चिदम्बरम ने गुपकार डिक्लियरेशन का समर्थन करते हुए कहा था कि कश्मीर से धारा 370 हटाया जाना मोदी सरकार का गलत फैसला है। इसे एक वर्ग विशेष को टारगेट करने के लिए किया गया है। यह कानून फिर से बहाल किया जाना चाहिए और कांग्रेस पार्टी कश्मीरियों के हितों के साथ खड़ी रहेगी। पी. चिदम्बरम के बयान का कांग्रेस हाइकमान की ओर से खंडन नहीं किया गया था।

अगले महीने कश्मीर में निकाय स्तर के चुनाव होने वाले हैं, जिसमें स्थानीय पार्टियां भाग ले रही है। इस चुनाव में मुफ्ती महबूबा की पार्टी पीडीपी भी हिस्सा ले रही है। ज्ञात हो कि मुफ्ती महबूबा ने कहा था कि जब तक कश्मीर में 370 वापस नहीं आ जाता उनकी पार्टी किसी चुनाव में हिस्सा नहीं लेगी।

कश्मीर से 370 हटाये जाने के बाद केन्द्रशासित प्रदेश के तौर पर वहां पहला लोकतांत्रिक चुनाव होने जा रहा है। खबर है कि कांग्रेस भी इस चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस के साथ गठबंधन करेगी। फारूख अब्दुल्ला ने भी स्पष्ट किया है कि कांग्रेस गुपकार डिक्लियरेशन का हिस्सा है। उन्होंने यह भी कहा है नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस साथ मिलकर जम्मू कश्मीर में जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनाव लड़ेंगे।

जिसपर केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि कांग्रेस को गुपकार फैसले पर अपना रूख स्पष्ट करना चाहिए। कांग्रेस को पूरे देश को बताना चाहिए कि 370 पर फारूख अब्दुल्ला के देश विरोधी एजेंडे के साथ खड़ी है या उसके खिलाफ। फारूख अब्दुल्ला 370 की बहाली के लिए चीन से सहयोग मांग रहे हैं। कश्मीर में विदेशी शक्तियों की दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं की जायेगी।

कश्मीर में कई स्थानीय दलों को मिलाकर पीपुल्स एलायंस फोर गुपकार डिक्लियरेशन बनाया गया है, जिसके अध्यक्ष   फारूख अब्दुल्ला हैं। गुपकार डिक्लियरेशन में 370 की बहाली के लिए एक एजेंडा तैयार किया गया है। गुपकार समर्थक कश्मीर में भ्रष्टाचार निरोधी कानून सहित कोई कानून नहीं चाहते। वह भारतीय सविधान के तहत आने वाले किसी कानून को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। वह अपना झंडा और अपना कानून वापस चाहते हैं। उन्हें जम्मू कश्मीर के शासकीय कार्याें में केन्द्र सरकार के हस्तक्षेप मंजूर नहीं हैं। वह जम्मू-कश्मीर की जमीन खरीद बिक्री संबंधी नये कानून की मंजूरी को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुके हैं।

नये कानून के मुताबिक कोई भी भारतीय नागरिक चाहे वह किसी राज्य का हो, जम्मू कश्मीर में जमीन खरीद सकता है। लेकिन उन नेताओं को इससे दिक्कत है। वह नहीं चाहते कि कोई बाहरी व्यक्ति जम्मू-कश्मीर में आकर जमीन खरीदे। इन सभी पहलुओं के साथ उन तमाम मुद्दों को गुपकार डिक्लियरेशन में रखा गया है जिससे कश्मीर से धारा 370 को हटाये जाने के बाद वह वंचित हो चुके हैं। इसीलिए गुपकार समर्थक हर कीमत पर कश्मीर से धारा 370 को रिस्टोर कराना चाहते हैं। चाहे उसके लिए उन्हें विदेशी शक्तियों से भी हाथ क्यों ना मिलाना पड़े।

आशंका इस बात की है कि गुपकार डिक्लियरेशन के एजेंडे के तहत 370 की वापसी के लिए अलगाववादी नेता कश्मीरियों को पुनः मोहरा बना सकते हैं। उन नेताओं को अपनी राजनीतिक भविष्य की चिंता सता रही है। इसलिए कश्मीर में 370 की बहाली का शिगूफा छोड़कर स्थानीय नेता अपनी सियासी जमीन मजबूत कर रहे हैं।

ये सभी 370 के बहाने देश को तोड़ने की साजिश रच सकते हैं। कुछ नेताओं ने खुद ही मान लिया है कि उन्हें चीन और पाकिस्तान से भी सहयोग लेने में कोई दिक्कत नहीं है।  उन नेताओ को देश की एकता, अखंडता और सम्प्रभूता से कोई वास्ता नहीं है।

कांग्रेस की तुष्टिकरण नीति के कारण पिछले 7 दशकों से इनकी मनमानी चल रही थी। लेकिन पिछले साल इन अलगाववादी नेताओं की मनमानी पर केन्द्र सरकार ने नकेल कस दी और संसदीय विधान से कश्मीर से धारा 370 को समाप्त कर दिया। इसके साथ ही इस देश में दो निशान और दो विधान की प्रणाली समाप्त हो गई।

केन्द्रीय मंत्री रविशंकर का कहना है कि, कांग्रेस ने गुपकार डिक्लियरेशन को समर्थन देकर अलगाववादी ताकतों को पुनः हौसला देने का काम किया है। उनका मानना है कि, मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली कांग्रेस कभी राष्ट्रवाद की अहमियत नहीं समझ पायेगी। सवाल यह है कि 370 के मसले पर कांग्रेस को क्या हासिल होगा। जबकि, अगर कश्मीर का माहौल पुनः अराजक हुआ तो इसका ठीकरा कांग्रेस पर भी फूटेगा।

क्योंकि, गुपकार डिक्लियरेशन राष्ट्रहित में नहीं है। यह देशविरोधी शक्तियों को पुनः एकजुट करने की राजनीतिक साजिश है। जिसका मुल उद्देश्य 370 बहाली के नाम पर कश्मीर में पुनः अलगाववाद, अराजकता और चरमपंथ को बढ़ावा देना है।

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