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बंद दरवाजे से घर में घुसा पोर्न


डिजिटल क्रांति की देन है कि नयी पीढ़ी को वह सारी चीजें आसानी उपलब्ध हो रही है जो भारत सरकार के नियमों के अनुसार 18 साल से पहले उसे इस्तेमाल करना, देखना वर्जित माना जाता है। नियम तोड़ने पर इसके लिए सख्त कानून भी बनाये गये हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर उपलब्ध अश्लील वीडियो और नग्नतापूर्ण तस्वीरें उन नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं।

कोविड काल में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू होने के कारण स्मार्टफोन छोटे-छोटे बच्चों के हाथ में आ गये और अब इन स्मार्टफोन का इस्तेमाल एक लत के रूप मे देखी जा रही है। स्कूली बच्चे एडल्ट स्टोरी और क्राइमबेस्ड वीडियो गेम में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं। इसी कारण कम उम्र के बच्चे शॉर्ट टेम्परामेंटल होते जा रहे हैं। वह अवसाद से ग्रसित देखे जा रहे हैं और उनमें तामसिक-आपराधिक और नशे की प्रवृति बढ़ रही है।

आज छठी-सातवीं क्लास के बच्चे सेक्स में लिप्त पाये जा रहे हैं। बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ स्मार्टफोन के माध्यम से वह सबकुछ जानने का प्रयास कर रहे हैं जिसके लिए उनका शरीर और मन पूरी तरह परिपक्व नहीं हुआ है। स्मार्टफोन के माध्यम से बच्चे उन चीजों को तलाश रहे हैं रहे हैं जिसे जानने के लिए, देखने के लिए व्यस्क की उम्रसीमा में प्रवेश करना पड़ता है। लेकिन आज सोशल मीडिया के दौर में उम्र सीमा कोई मायने नहीं रख रही है। क्योंकि अब उन्हें एडल्ट फिल्म देखने के लिए सिनेमा हॉल में लाइन में लगने की जरूरत नहीं पड़ती।

डिजिटल क्रांति ने उन सारी वर्जनाओं को तोड़ दिया है, जिसपर लोग बात करनें में भी असजहज महसूस करते थे। सोशल मीडिया पर हजारों वीडियो मिल जायेंगे जो सेक्स के बारे कुड़ा कचरा ज्ञान युवाओं के दिमाग में भर रहे हैं। कोई मर्दाना ताकत बढ़ाने का ज्ञान दे रहा है, तो कोई सेक्स कैसे करें, चरम सुख कैसे पाये… इस तरह की टाइटल्स से नयी पीढ़ियों को आकर्षित कर रहा है।

कम उम्र में पोर्न वीडियो देखने की लत के कारण समय से पहले लड़के-लड़कियों में शारीरिक बदलाव तेजी से हो रहे है। स्कूली छात्र-छात्राएं अश्लील वीडियो और उत्तेजक तस्वीरें देखने के बाद अपने सहपाठी के साथ शारीरिक संबंध बनाने लगे हैं।

उच्च वर्ग तो छोड़ दीजिए, मध्यवर्गीय समाज में भी लड़के एवं ल़ड़कियों को गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड के रूप में एक साथ समय बिताने में उनके माता-पिता को भी ऐतराज नहीं है। कुछ ही दिनों में यह रिश्ता नया आयाम गढ़ लेता है।

आज इंटरनेट अश्लीलता बढ़ाने का सबसे बड़ा माध्यम बन चुका है। वर्तमान दौर में इंटनेट पर उपलब्ध अश्लील सामग्री का इस्तेमाल बच्चे ज्यादा कर रहे हैं। भारत में करीब एक लाख से अधिक वेबसाइटें अश्लील सामग्रियां परोस रही हैं। किशोर अवस्था में इंटरनेट पर अश्लील चैटिंग से संबंधित साइटें बच्चों में अश्लीलता और सेक्स का बढ़ावा दे रही है।
जब दिमाग हमेशा सेक्स पर ही केन्द्रीत रहेगा तो जाहिर सी बात है कि आज की युवा पीढ़ी के सामने कई वैकिल्पक रास्ते भी हैं।

महानगरों में होटल, पब, कैफे, चैट रूम, कैंडल लाइट डिनर युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर आधुनिक तरीके से डिजाइन किये गये हैं। यहां तक कि पीरियडिक होटल रूम महानगरों में मुनाफे का बेजोड़ धंधा बन गया है। कुछ घंटों के लिए इन होटल रूम का इस्तेमाल करने वालों में औसतन 18 से 26 साल के लड़के एवं लड़कियां हैं।

माता-पिता और अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों को गलत रास्ते पर जाने से बचायें। आधुनिकता का मतलब यह नहीं है कि आप उनकी गलत एक्टिविटी को भी नजरअंदाज करें।

स्कूली बच्चों को सबसे ज्यादा पथभ्रष्ट करने वाला अगर कुछ है तो वह है स्मार्टफोन। स्मार्टफोन से ही बच्चे नयी दुनिया के सम्पर्क में आते हैं और उन्हें नयी चीजें सीखने को मिलती है। इसका पॉजिटिव और निगेटिव दोनो प्रभाव बच्चों पर पड़ता है।

जैसे ही आपको अपने बच्चों के व्यवहार में अंतर दिखने लगें, उनके हाव-भाव बदलने लगे, तो आपको यह जरूर जानना चाहिए आपका बच्चा दिन भर क्या करता है। मोबाइल में क्या देखता है और किसके सम्पर्क में ज्यादा रहता है। इससे मनोवैज्ञानिक स्तर पर आप अपने बच्चों की भावनाओं को खुद ही पढ़ सकते है। समय रहते आप अपने बच्चों को भटकाव के रास्ते पर जाने से पहले ही रोक सकते हैं।

 

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