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आचार्य डॉ. विक्रमादित्य द्वारा भारतीय अध्यात्म के वैज्ञानिक स्वरूप पर दिये वक्तव्य पर एम्स के डॉक्टरों ने दिया स्टैंडिंग ऑवेशन

नई दिल्ली। सात जून को दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू ऑडिटोरियम में एम्स के डायरेक्टर के सानिध्य में अध्यात्म के वैज्ञानिक या वैज्ञानिक स्वरूप पर हुई वार्ता पर आचार्य डॉ. विक्रमादित्य ने अपने वक्तव्य रखे। उन्होंने भारतीय संस्कृति, योग, आयुर्वेद एवं वेद विज्ञान का वैज्ञानिक स्वरूप पर ऑल इंडिया मेडिकल के समस्त स्टाफ के समक्ष तथ्यात्मक व्याख्यान दिया।

आचार्य डॉ. विक्रमादित्य ने कहा कि भारतीय संस्कृति परम वैज्ञानिक है। यहां जितने भी क्रियाकलाप बताये गये हैं, उन सबके पीछे वैज्ञानिक सत्य छिपे पड़े हैं। चाहे वह पूजा पाठ हो, मंत्र विज्ञान हो, योग हो, आयुर्वेद, ज्योतिष या आध्यात्मिक योग हो। योग के अंदर सहस्र शाखाएं आती हैं, इनमें से एक योगासन के उपर आज पूरा विश्व महिमामंडन कर रहा है, जो कि योग के सागर मे एक बूंद मात्र है।

पतंजिल योग सूत्र के सूत्रों पर, ज्योतिष के सूत्रों पर, राम चरित मानस के चौपाइयों पर एम्स के प्रांगण में आचार्य डॉ. विक्रमादित्य ने ऐसा विलक्षण वक्तव्य रखा जिसे सभी डॉक्टर्स, नर्सेस और वहां उपस्थित गणमान्य लोगों ने खड़े होकर कर्तल ध्वनि से आचार्य डॉ. विक्रमादित्य जी का सम्मान किया।

आचार्य विक्रमादित्य ने कहा कि भारतीय पराविज्ञान के रहस्यों को सरकारों ने आजादी के बाद आगे नहीं आने दिया और अपने राजनीतिक उदेश्यों को पूर्ति करने के लिए भारतीय वेद विज्ञान की संस्कृति को आगे नहीं बढ़ने दिया गया।

आज पाश्चात्य देश जब योग की अहमियत को पहचान रहे हैं, तब भारत में एम्स जैसे संस्थान यदि योग आयुर्वेद और वेद विज्ञान के साथ मिलकर भारतीय चिकित्सा विज्ञान के अनुरूप शोध करे तो पूरे विश्व के समक्ष चमत्कारिक छुपी हुई विद्याओं को उपस्थित किया जा सकता है।

इस संबंध में डॉक्टर कोचर जो फिजियोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी है, उन्होंने आचार्य विक्रमादित्य का आह्वान किया और आने वाले समय में आचार्य डॉ. विक्रमादित्य जी के संस्थान के साथ भारतीय चिकित्सा के क्षेत्र में शोध करने का आमंत्रण दिया। इस अवसर पर एम्स के डॉ. अश्विनी मिश्रा जी ने भारतीय पराविज्ञान के कई चमत्कारिक रहस्यात्मक तथ्यों को उपस्थित किया।

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