
1919 में नंदी परिवार में जन्मी अमला नंदी 11 वर्ष की आयु में श्री उदय शंकर के परिवार से विदेश (पैरिस) में एक प्रदर्शनी में मिली और तभी से श्री उदय शंकर जी की माता की पसंदीदा बन गयी । उदय शंकर जी के ग्रुप में नृत्य सीखा, किया व् वहीँ से शोहरत हासिल की, क्योंकि उदय शंकर जी का नाम ख्याति प्राप्त गुरुओं में था |
उदय शंकर के जीवन काल में उनकी कई नृत्य सहायिका बनी, उनकी पसंदीदा रही इटली की नृत्यांगना, सिमकी | परन्तु 1942 में उन्होंने अमला नंदी से विवाह किया व् उनकी 2 संताने हुई , अनंदा शंकर व् ममता शंकर | उदय शंकर व् अमला शंकर की जोड़ी सृजनात्मक नृत्य की शैली में काफी प्रसिद्द हुई | उदय शंकर जी द्वारा निर्मित फिल्म ‘कल्पना’ में भी नायिका अमला शंकर ही रही | विदेशों में भी वह उदय शंकर के साथ ही रही तथा कई नृत्य नाटिकाओं में भाग लिया |
कहा जाता है कि उदय शंकर जी एक काफी प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले थे, लम्बी कद काठी के साथ उनके चेहरे पर सदा मुस्कान व् तेज रहता था | 1936 के आसपास उन्होंने उन्होंने अल्मोड़ा सेन्टर की स्थापना की | अनेकों कलाकारों को तैयार किया तथा शंकर घराने की नींव रखी | 4 साल तक चले द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जब अल्मोड़ा सेन्टर का अनुदान बंद हो गया और वह अपने को कुछ अकेला महसूस करने लगे तथा ऐसे साथी की तलाश करने लगे जिसके साथ वह अपनी यात्रा तथा जीवन को एक लम्बे समय तक चला सके | तब उन्होंने इसके लिए अमला नंदी को चुना तथा उन्हें अपना जीवन साथी बनाया |
इनकी पहली संतान अनंदा शंकर भी अपने समय से अंत तक एक बेहतरीन संगीत निर्देशक रहे तथा उनकी अर्धांगिनी तनुश्री शंकर आज भी नृत्य की शिक्षा प्रदान करती हैं | उनकी दूसरी संतान ममता शंकर ने माता के साथ रहकर शंकर घराने को आगे बढ़ाया तथा आज भी उदय शंकर तथा अमला शंकर के पद चिन्हों पर चलकर अपनी कला यात्रा को आगे बढ़ा रही हैं |
1955 में ममता के जन्म तक, अमला शंकर की जीवन कहानी उदय शंकर के साथ साथ चलती रही | मगर 60 के दशक तक उदय शंकर 3 नए नर्तकों के संपर्क में आये व् उनके साथ उन्होंने ‘चंडालिका’ बनायीं | अंतिम दिनों में दोनों अलग अलग रहने लगे थे |
1977 में श्री उदय शंकर का निधन हुआ और इन्होने अपने परिवार में वापसी कर उसे संभाला व् शंकर घराना चलता रहा | मुझे भी उन्हें देखने और रू बरु होने का मौका दिल्ली में प्राप्त हुआ जब श्री रवि शंकर जी ने श्री उदय शंकर जी की याद में 3 दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन 80 के दशक में किया | वहां पर श्रीमती अमला शंकर की भी नृत्य का प्रस्तुतीकरण हुआ तथा ‘कल्पना’ फिल्म भी दिखाई गयी | सीरीफोर्ट सभागार में इसका आयोजन हुआ |
1912 तक शंकर घराना, अमला जी ने चलाये रखा , मगर शरीर और बढ़ती उम्र के साथ यह कठिन हो गया था , इसलिए 2012 के बाद इसकी ज़िम्मेदारी परिवार के अन्य सदस्यों पर रही | अमला शंकर जी को कई सम्मान के अवसर भी प्राप्त हुए, परन्तु उन्हें जो सम्मान अपने पति से प्राप्त हुआ उसे ही सर्वोपरि मान कर अपनी जीवन यात्रा पूर्ण की |
उदय शंकर की नृत्य संगिनी, पत्नी का निधन 101 वर्ष की उम्र में कलकत्ता में हुआ ।