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यह आरती-छोटू की प्रेम कहानी नहीं, रिश्तों की तिलांजलि है

जो लड़की पल भर में मां-बाप से रिश्ता तोड़ ले और अपने प्रेमी की हत्या को लेकर अपनों के खिलाफ ही बगावत पर उतर जाये, उसके बार-बार बदलते बयानों में कितनी सत्यता है इसकी भी जांच होनी चाहिए। लड़की और उसके परिवार के बयानों में कई विरोधाभास हैं। टीआरपी की रेस में दौड़ रहे मीडिकर्मियों और समाज के बुद्धिजीवियों को भावनाओं मे बहकर ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए, जिससे इस केस का रूख ही मुड़ जाये। क्योंकि… अगर इसका सच सामने नहीं आया तो यह तय मान लीजिए कि एक साथ कई जिंदगियां तबाह हो जायेगी।

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गत दिनों बिहार के अररिया जिले में एक प्रसंग का मामला सामने आया। खबरों की मानें तो प्रेमी को लड़की के पिता और भाई ने इतना मारा कि उसकी मौत हो गई। यह खबर राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बनी हुई है। मातमपुर्सी के लिए कई गणमान्य लोग वहां पहुंचे और लड़की को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया। उक्त लड़की आरती कुमारी के प्रति एक सहानुभूति देखी जा रही है। अपने मृत प्रेमी छोटू कुमार की याद में वह आजीवन विधवा बनकर रहने का फैसला किया है।

आरती कुमारी अपने माता-पिता का घर छोड़कर मृत छोटू कुमार के घर पर रह रही है। बड़ा सवाल यह है कि लड़की की जब शादी ही नहीं हुई है तो वह किसी की विधवा कैसे बन सकती है। कानूनन, सामाजिक एवं धार्मिक स्तर क्या इसे जायज करार दिया जा सकता है।

मृत छोटू कुमार के परिजनों की तारीफ करनी चाहिए कि उन्होंने उसे अपने घर में शरण दिया है। जबकि वह चाहते तो आरती कुमारी को अपने घर में रखने से मना भी कर सकते थे। वह कह सकते थे कि जब उनका बेटा ही मर गया तो मुझे तुम्हारी क्या जरूरत है। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और मानवता का परिचय देते हुए आरती कुमारी को एक नर्सिंग होम में इलाज भी करवाया है। क्योंकि कहा जा रहा है कि छोटू कुमार को बचाने के चक्कर वह भी घायल हो गई थी।

हालांकि, यहां पर कई पेंच हैं। लड़की के बार-बार बदलते बयानों से ही इस हत्याकांड की गुत्थी सुलझने की जगह और उलझती जा रही है। छोटू कुमार की हत्या को लेकर आरती कुमारी ने अपने पिता, भाई और जीजा पर आरोप लगाया है कि साजिशन उसे मारा गया गया है। यहां बताना जरूरी कि छोटू कुमार आरती के घर पर रात में दो बजे पहुंचा था। आरती का यह भी कहना है कि उसकी भाभी ने छोटू कुमार को फोन करके बुलाया है।

जबकि, आरती के घर वाले उसके बयान को सिरे से खारिज कर रहे हैं। परिजनों का कहना है कि किसी ने उसे फोन नहीं किया है, वह आरती से मिलने रात में दो बजे आया था। मीडिया के सामने आरती कुमारी ने भी स्वीकार किया है कि हम दोनों के बीच प्रेम प्रसंग पिछले दो साल से चल रहा था और यह परिवार के कुछ लोगों को पता था।

इस हत्या के पीछे गहरी साजिश लगती है। वह लड़की कुछ कह रही है, जबकि उसकी मां, उसकी दादी और उसकी बहन कुछ और कह रही है। इसलिए उस लड़की को प्रेम की मूर्ति बनाने से पहले समाज को थोड़ा धैय रखना चाहिए। उसे कोई तपस्विनी बनाने में जुटा है। कोई त्याग की मूर्ति बता रहा है तो कोई नयी प्रेम कहानी गढ़ने में जुटा है। जितनी मुंह उतनी बातें की जा रही है। लेकिन समाज के लोगों की सहानुभूति उस लड़की के प्रति है जिसके प्रेमी को उसके पिता और भाई ने मार दिया।  अब वह अपने प्रेमी के हत्यारे को सजा दिलाने के कुछ भी करने को तैयार है।

आरती ने अपने परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और उन्हें सजा दिलवाने के लिए प्रशासन से गुहार लगा रही है। वह इतना तक कह रही अगर जांच में लापरवाही बरती गई तो वह एसपी के पास जायेगी, डीएम के पास जायेगी, मुख्यमंत्री के पास जायेगी और सजा दिलवाकर ही रहेगी। इस मामले में अब तक आरती कुमारी के पिता भाई और उसके जीजा सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

कोई भी माता-पिता अपने बच्चों के दुश्मन नहीं हो सकते । वह अपने बच्चों के भविष्य के लिए अच्छा ही सोचेंगे। लेकिन प्रेम अंधा होता है। जोश और जज्बात में वह ऐसी भी गलतियां कर बैठते हैं जिसकी भरपाई संभव नही है। आरती कुमारी को भी यहां कुछ हासिल नहीं हुआ। मां-बाप का घर छूटा, अपनों का साथ छूटा।  छोटू कुमार दुनिया छोड़कर चला गया। वह कब तक छोटू कुमार के घर में रहती है और कब तक उसे छोटू कुमार के परिवार का सहारा मिलता है, यह आने वाला समय बतायेगा।

इस हत्याकांड की परतें धीरे-धीरे खुलने लगी है। आरती की माता और दादी का बयान पब्लिक डोमन में है। जिसमें वह कह रही हैं कि रात के दो बजे दोनों को आपत्तिजनक हालात में देखा गया । जिसे देखकर आरती का भाई गुस्से में एक कमरे में ले जाकर छोटू को मारने लगा। जबकि, आरती का कहना है कि छोटू कुमार को उसकी भाभी ने धोखे से बुलाकर मरवा दिया।

आरती की मां इस बात से साफ तौर पर इंकार करती हुई कहती हैं कि उस लड़के से अपनी बेटी की शादी का सवाल ही नहीं उठता है। हम तो उसकी शादी की बात कहीं और कर रहे हैं। हम उसे क्यों बुलायेंगे और उसमें भी रात में। अगर शादी को लेकर बात करनी होती तो दिन में उसके परिवार को बुलाकर बात करते। उनकी इस बात में भी दम है कि अगर शादी की बात करनी होती तो छोटू कुमार के परिजनों से दिन में बातचीत की जा सकती थी। रात में दो बजे बुलाने का कोई औचित्य नहीं बनता है।

घर वालों के बयानों के अनुसार, लड़का और लड़की दोनों रात दो बजे के आस-पास बाथरूम के करीब एक साथ आपत्तिजनक हालत में देखे गये। आवाज सुनकर आरती कुमारी का भाई रविकांत उठा और छोटू कुमार को घसीटकर एक कमरे में बंद कर दिया। इतने में आरती के पिता धीरेन्द्र यादव भी उठ गये। सारा माजरा समझते हुए पिता-पुत्र ने छोटू कुमार की जमकर पिटाई की है।

हुआ यह कि जैसे ही लड़के की मौत हुई ये सभी घर छोड़कर भाग गये और परिवार एवं समाज, मीडिया की पूरी सहानुभूति लड़की के प्रति चली गई। अब जब लड़की के परिजन की ओर से बयान आ रहे हैं तो और भी कई सवाल उठ रहे हैं। जिसके बाद आरती भी सवालों के घेरे में है। लड़की भी कुछ छिपा रही हैं। छोटू कुमार तो अब इस दुनिया में है नहीं कि वह कुछ सच बता सके।

अब यहां पर सवाल उठता है कि छोटू कुमार किसके बुलाने पर रात में आरती के धर पहुंचा। उस घर मे फिलहाल आरती की मां और दादी है, बाकी सब घर छोड़कर फरार चल रहे है।

छोटू कुमार को पिटते देख आरती कुमारी उसके मामा को बुलाने घर के पास में ही स्थित उसके नानीहाल में चली गई। लेकिन छोटू कुमार के मामा ने रात में वहां जाना उचित नहीं समझा और उन्होंने सुबह आने के लिए कहा। किसी के घर में रात में दो बजे जाना शायद उन्हें उचित नहीं लगा। हालांकि उन्होंने एक बड़ी गलती की है। वह पुलिस को फोन कर सकते थे। जिससे छोटू कुमार की समय रहते जान बचायी जा सकती थी।

छोटू की हत्या को लेकर आरती ने अपने जीजा पर आरोप लगाया है। इस पर आरती की बड़ी बहन का कहना है कि उनका पति निर्दोष है। उनके पास फोन रात में जरूर आया था लेकिन वह तो अपने घर से निकलकर सात बजे सुबह मेरे पिता के घर पर गये है। छोटी की हत्या कैसे हुई, यह मेरे पिता, भाई और आरती पूछिये। मेरा पति इसमें कसूरवार नहीं है। उनको जानबूझकर फंसाया जा रहा है। वह कहती हैं कि छोटू की हत्या के लिए आरती भी जिम्मेदार है। रात के दो बजे एक अनजान लड़का के साथ उस हालत में किसी का बाप और भाई देख लेगा तो वह कैसे बर्दाश्त कर सकता है। आरती पर यही आरोप उसकी माता और उसकी दादी ने भी लगाये हैं। इस हत्याकांड में इन सभी के बयान महत्वपूर्ण हैं।

जो लड़की पल भर में मां-बाप से रिश्ता तोड़ ले और अपने प्रेमी की हत्या को लेकर अपनों के खिलाफ ही बगावत पर उतर जाये, उसके बार-बार बदलते बयानों में कितनी सत्यता है इसकी भी जांच होनी चाहिए। लड़की और उसके परिवार के बयानों में कई विरोधाभास हैं। टीआरपी की रेस में दौड़ रहे मीडिकर्मियों और समाज के बुद्धिजीवियों को भावनाओं मे बहकर ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए, जिससे इस केस का रूख ही मुड़ जाये। क्योंकि… अगर इसका सच सामने नहीं आया तो यह तय मान लीजिए कि एक साथ कई जिंदगियां तबाह हो जायेगी।

 

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