Tuesday, November 4, 2025
Google search engine
Homeराष्ट्रीयमोदी सरकार के फैसले से कश्मीर में एक नये युग के सूत्रपात...

मोदी सरकार के फैसले से कश्मीर में एक नये युग के सूत्रपात की उम्मीद

कांग्रेसी नेताओं के बयान से अब तो स्पष्ट हो रहा है कि कांग्रेस पार्टी कश्मीर मसले का समाधान नही चाहती थी। कांग्रेस की मंशा सिर्फ इसपर राजनीति करना और देश की जनता को भ्रमित करके रखने की रही थी। कश्मीर से धारा 370 के हटने पर पूरे देश में खुशी और जश्न का माहौल है। जबकि, कांग्रेस नेताओं में बेचैनी, हताशा और अनाप-शनाप बयानबाजी से पार्टी का वास्तविक चरित्र सामने आ रहा हैं। कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष राजनीति पर अब लोग सवाल उठा रहे हैं। अलगाववाद से देश को अस्थिर करने वालों के पक्ष में कांग्रेस पार्टी के खडे होने पर अब लोग पूछ रहें है कि क्या कांग्रेस पार्टी की यही धर्मनिरपेक्ष राजनीति हैं ?

  कांग्रेस पार्टी की सेक्यूलर नीति अब उजागर हो रही है।

——————————-

वरिष्ठ राजनीतिक समीक्षक और भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक सूर्यकांत केलकर का कहना है कि, राष्ट्रीय हितों को नजरअंदाज कर अलगाववादियों और चरमपंथियों के पक्ष में कांग्रेस पार्टी के तर्कहीन बयान से देश हैरान है। आने वाले समय में कांग्रेस पार्टी को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। जो हालात को समझ रहे हैं वह इस राष्ट्रीय मसले पर सकारात्मक पक्ष रख रहे हैं। सियासी परिस्थितियां बदलती रहती है लेकिन जाति, पंथ और सम्प्रदाय पर सियासत करने वाले खुद को नहीं बदलना चाहते। देश पुनर्जागरण दौर से गुजर रहा है और वर्तमान समय में कांग्रेस सहित कई राजनीतिक पार्टियां जनभावनाओं को समझ पाने में असमर्थ है।

देश की सबसे पुरानी पार्टी (कांग्रेस) जो आजाद भारत में पिछले सात दशकों से धर्मनिरपेक्षता का चोला ओढ़कर सियासी रोटियां सेंक रही थी, लेकिन कश्मीर से 370 हटाये जाने के बाद बिलबिला उठी है। संसद से लेकर सड़क तक कांग्रेस के नेता अनाप शनाप बयान दे रहे हैं। पूरा देश हैरान है कि आखिर कश्मीर से 370 हटने पर कांग्रेसी क्यों परेशान हैं। सदन में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कश्मीर मसले को अंतर्राष्ट्रीय मसला बता दिया। जबकि सत्ता में रहते हुए कांग्रेस पार्टी भी कहती रही है कि यह भारत का आंतरिक मसला है और इसपर किसी तीसरे पक्षकार और मध्यस्थ की जरूरत नहीं है। लेकिन अब कांग्रेस के बयान ठीक इसके उलट हैं। हालांकि चौतरफा आलोचना से घिरने के बाद अधीर रंजन चौधरी ने सफाई देते हुए इसे आतंरिक मसला बताया, लेकिन कश्मीर मसले पर केन्द्र सरकार के उठाये फैसले को सहीं नहीं ठहराया।

जिस समस्या को देश की राजनीतिक पार्टियों विशेषकर कांग्रेस, पीडीपी, नेशनल कांफ्रेेंस और अन्य दलों ने नासूर बना दिया था, उसका भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार ने हल निकाल दिया। धारा 370 के हटने से कश्मीर में एक नये युग के सूत्रपात की उम्मीद जगी है। क्योंकि चंद कश्मीरियों को छोड़कर सभी जश्न में अभी भी डूबे हैं। लद्दाख के निवासियों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फैसले के बाद कहा है उन्होंने अब आजाद महसूस किया है। क्योंकि कश्मीर की सियासत में लद्दाख की भागीदारी बहुत कम थी। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के यूनियन टेरीटरी बनाये जाने पर लद्दाख के लोगों का कहना है कि केन्द्र शासित प्रदेश बनाये जाने से केन्द्र सरकार अब इस क्षेत्र की जनता का दुख दर्द जानने का प्रयास करेगी। क्योंकि कश्मीर की सियासत पर चंद नामदारों का ही कब्जा रहा।

बहरहाल, कश्मीर से धारा 370 के हटने के बाद पूरा देश जश्न मना रहा है लेकिन कुछ पार्टियोें और कुछ नेताओं को यह हजम नहीं हो रहा है कि बिना दंगा फसाद किये मोदी सरकार ने कैसे इस मसले को इतनी जल्दी सुलझा दिया।
जबकि इन पार्टियों ने कश्मीर को लेकर हमेशा ही देश की जनता को डरा-डरा कर रखा है और वह सच्चाई से हमेशा मुंह मोड़ते रहे। इन पार्टियों ने देश में एक ऐसा भय बनाकर रखा कि कश्मीर मसले से छेड़छाड़ करने पर देश में हर स्तर पर अस्थिरता आ जायेगी, सिविल वॉर जैसी नौबत आ जायेगी। अब उन पार्टियों के नेता मीडिया के सवालों का सामना करने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं। इसलिए विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर धार्मिक कार्ड खेलना शुरू किया है। धारा 370 को कांग्रेस पार्टी के नेता अब हिन्दू-मुस्लिम के चश्मे से देख रहे हैं। इस संविधानिक मसले पर कांग्रेस का धार्मिक कार्ड खेलना दुर्भाग्यपूर्ण है। जबकि, धर्मनिरपेक्षता का राग आलापते हुए देश के कई नेता अलगावादियों को भी एक पक्षकार के रूप में देखते हैं जिसने कश्मीर को नर्क में तब्दील कर दिया। ये अलगाववादी नेता डंके की चोट पर कहते थे कि भारत सरकार में हिम्मत नहीं है कि कश्मीर से धारा 370 को हटा दे। कश्मीर में हिंसा, पत्थरबाजी, अलगाववाद, आतंकवाद का प्रश्रय देना इनके मूल सिद्धांतों में शामिल रहा।

सवाल अब यह उठता है कि कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हकीकत को क्यों नहीं समझ पा रहे हैं और हर पहलूओं को सियासत की तराजू पर क्यों तौल रहे हैं। जब पूरा देश मोदी सरकार के फैसले का समर्थन रहा है और धूर विरोधी पार्टियों के भी सूर अब 370 पर बदलने लगे हैं तो कांग्रेस पार्टी इसका विरोध कर क्या दर्शाना चाह रही है ? कांग्रेस पार्टी विपक्ष में है और विरोध करना इस पार्टी का सियासी धर्म है। लेकिन राष्ट्रीय एकता और अखंडता जैसे मसले पर केन्द्र के फैसले का विरोध कर कांग्रेस पार्टी देश का माहौल बिगाड़ने का काम कर रही है। धारा 370 पर कांग्रेस के विरोध के कई मायने निकाले जा रहे हैं। क्या कांग्रेस के विरोध पर अब यह मान लेना चाहिए कि धारा 370 के समाधान में कांग्रेस पार्टी की कभी दिलचस्पी नहीं रही और इस जटिल मुद्दे को धार्मिक चश्मे से देखती रही, जो पूरी तरह संविधानिक मसला है।

कांग्रेस पार्टी एक ही राग आलाप रही है कि धारा 370 हटाने से पहले मोदी सरकार ने कश्मीरियों धोखा दिया है, क्योंकि उनसे राय नहीं ली गई। क्या उन अलगाववादियों से सरकार यह पूछती की आपकी अलगाववाद और चरमपंथ की दुकान बंद की जा रही है। पिछले सत्तर सालों से विशेष पैकेज की मलाई खाने की आदत पड़ चुकी कश्मीरी क्या इस बात पर राजी हो पाते कि अब उनका विशेष पैकेज बंद किया जा रहा है?

अगर केन्द्र सरकार कश्मीरियों से राय मशविरा भी करती तो पूरे देश में दंगे जैसे हालात पनप जाते और विरोधी पार्टियों के बयान आग में घी का काम करते। पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के नेता केन्द्र सरकार को पहले ही धमकी दे चुके थे कि केन्द्र सरकार 370 औैर 35ए पर छेड़छाड़ न करे, नहीं तो हालात को संभालना मुश्किल हो जायेगा। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के बयान पहले से ही सुर्खियों में हैं। उन्होंने कई बार कहा है कि धारा 370 एवं 35ए हटाने के बाद कश्मीर में भारत का झंडा उठाने वाला कोई नहीं होगा। खून-खराबे, गोला-बारूद और हिंसा की खुलेआम धमकी के बाद भी कांग्रेस अलगाववादी नेताओं से राय मशविरे की बात कर रही है, जिसे सुनकर देश की जनता हैरान है। क्या कांग्रेस यही चाहती थी कश्मीर का मसला कभी न सुलझे और उसपर सियासी रोटियां सेंकी जाती रहे ?

कांग्रेसी नेताओं के बयान से अब तो स्पष्ट हो रहा है कि कांग्रेस पार्टी कश्मीर मसले का समाधान नही चाहती थी। कांग्रेस की मंशा सिर्फ इसपर राजनीति करना और देश की जनता को भ्रमित करके रखने की रही थी। कश्मीर से धारा 370 के हटने पर पूरे देश में खुशी और जश्न का माहौल है। जबकि, कांग्रेस नेताओं में बेचैनी, हताशा और अनाप-शनाप बयानबाजी से पार्टी का वास्तविक चरित्र सामने आ रहा हैं। कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष राजनीति पर अब लोग सवाल उठा रहे हैं। अलगाववाद से देश को अस्थिर करने वालों के पक्ष में कांग्रेस पार्टी के खडे होने पर अब लोग पूछ रहें है कि क्या कांग्रेस पार्टी की यही धर्मनिरपेक्ष राजनीति हैं ?

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments